रायगढ़। नाबालिग बालिका के साथ लंबे समय तक अनाचार के गंभीर मामले में रायगढ़ फास्ट्रेक कोर्ट ने आरोपी शिशुपाल सेठ को दोषी करार देते हुए 20 वर्ष के सश्रम कारावास की सजा सुनाई है। यह मामला थाना चक्रधरनगर, जिला रायगढ़ का है, जहां पीडि़ता द्वारा दर्ज कराई गई शिकायत के आधार पर पुलिस ने अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना पूर्ण की थी।
अभियोजन के अनुसार आरोपी ने नाबालिग पीडि़ता को जान से मारने की धमकी देकर, सामाजिक बदनामी का भय दिखाकर और उसकी नाबालिग होने का लाभ उठाते हुए लगातार शारीरिक शोषण किया। पीडि़ता लंबे समय तक डर और दबाव के कारण इस अपराध की जानकारी किसी को नहीं दे सकी। विचारण के दौरान न्यायालय के समक्ष पीडि़ता के बयान, चिकित्सकीय साक्ष्य, परिस्थितिजन्य प्रमाण तथा अन्य दस्तावेज प्रस्तुत किए गए, जिनका सूक्ष्म परीक्षण करने के बाद न्यायालय ने आरोपी को दोषसिद्ध माना। फास्ट्रेक कोर्ट रायगढ़ के न्यायाधीश देवेंद्र साहू ने अपने निर्णय में स्पष्ट कहा कि नाबालिगों के विरुद्ध यौन अपराध अत्यंत गंभीर श्रेणी के अपराध हैं और ऐसे मामलों में कठोर दंड दिया जाना आवश्यक है, ताकि समाज में भयमुक्त वातावरण बन सके और अपराधियों को स्पष्ट संदेश जाए।
इस प्रकरण में अभियोजन की ओर से अपर लोक अभियोजक मोहन ठाकुर के साथ एडवोकेट प्रवीण कुमार त्रिपाठी एवं एडवोकेट उपासना कुलदीप ने सशक्त रूप से पैरवी की। अभियोजन पक्ष ने साक्ष्यों की कड़ी को प्रभावी ढंग से न्यायालय के समक्ष रखते हुए यह सिद्ध किया कि आरोपी द्वारा किया गया कृत्य न केवल कानून के विरुद्ध है बल्कि समाज की नैतिकता और मानवता के भी खिलाफ है। न्यायालय के इस फैसले से पीडि़ता को न्याय मिला है और यह निर्णय नाबालिगों के विरुद्ध अपराध करने वालों के लिए एक कड़ा संदेश माना जा रहा है।
नाबालिग से अनाचार के आरोपी को 20 साल की सश्रम कैद



