सारंगढ़। ब्रह्माकुमारीज़ प्रभु पसंदभवन में श्रीमद्भगवद्गीता की राह, वाह जि़न्दगी, वाह! का शुभारंभ उत्साहपूर्ण ढंग से हुआ। कार्यक्रम की वक्ता राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी मंजू दीदी ने प्रतिदिन शाम 5:30 से 7:30 बजे तक चलने वाले इस आध्यात्मिक ज्ञान उत्सव पहले दिन उपस्थित साधकों को गीता के गूढ़, वैज्ञानिक, मनोवैज्ञानिक और अत्यंत व्यावहारिक रहस्यों से अवगत कराया। उन्होंने कहा कि – आज तनाव, चिंता, अस्थिरता और उलझनों से भरे समय में गीता का ज्ञान एक जीवन दायी औषधि की तरह है। जैसे आयुर्वेद रोग को जड़ से मिटाता है, वैसे ही गीता मन के रोग क्रोध, लोभ, भय, ईर्ष्या, मोहको समाप्त करती है और मनुष्य को आत्मिक बल, स्पष्ट चिंतन और निर्णय क्षमता प्रदान करती है। दीदी ने कहा कि गीता का पहला वाक्य मनुष्य को यह अनुभूति कराता है कि मैं शरीर नहीं, बल्कि इस शरीर में रहने वाली अमर अजर अविनाशी आत्मा हूँ। शस्त्र मुझे काट नहीं सकते, अग्नि मुझे जला नहीं सकती और वायु मुझे उड़ा नहीं सकती यह समझ जीवन में स्थिरता, निडरता की नींव डालती है।
सफलता का वास्तविक अर्थ हेतु उन्होंने कहा सफल वह नहीं जिसने केवल धन, पद या नाम पाया हो, बल्कि वह है जिसने अपने जीवन से अधिक से अधिक लोगों को खुशी, सुकून और प्रेरणा प्रदान की हो। दीदी ने बताया कि वर्तमान समय चुनौतियों से भरा हुआ है। पारिवारिक असंतोष, सामाजिक अस्थिरता और मानसिक तनावों ने जीवन को जटिल बना दिया है। यही कारण है कि आज हर परिवार, हर व्यक्ति के जीवन में मनोयुद्ध (इनर बेटल) चल रहा है। उन्होंने कहा वर्तमान समय महाभारत काल जैसा है, जहाँ अच्छाई और बुराई के बीच संघर्ष निरंतर चल रहा है। गीता हमें इस संघर्ष से विजयी होकर निकलने की शक्ति देती है। दीदी ने समझाया कि – महा भारत युद्ध वास्तव में मन के विकारों से लड़ाई है। पांडव सद्गुणों और शक्तियों के प्रतीक हैं – स्थिर बुद्धि, धैर्य, आत्मबल, अनुशासन, सहयोग। कौरव विकारों का प्रतिनिधित्व करते हैं- काम, क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार, ईर्ष्या, घृणा, आलस्य, भय।
दुर्योधन के चरित्र समझाते हुए बताया दुर्योधन जानता था कि धर्म क्या है ? पर चल नहीं पाता था और जानता था अधर्म क्या है? पर छोड़ नहीं पाता था। यही मानव कमजोरी है। दीदी ने कहा कि जैसे श्रीकृष्ण ने अर्जुन का सारथी बनकर उसके मन के भ्रम को दूर किया वैसे ही परमात्मा हमारे सारथी बनकर हमें सही दिशा दिखाते हैं। बस हमें अर्जुन की तरह हाँ जी कहकर सीखने और बदलने का संकल्प लेना है। ब्रह्मा कुमारीज़ प्रभुपसंद भवन, सारंगढ़ की ओर से सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी कंचन दीदी ने नगरवासियों को आव्हान किया कि वे अपने परिवार सहित इस 7 दिवस ज्ञान अमृत का लाभ उठाएँ। यह कार्यक्रम न केवल आध्यात्मिक उन्नति का माध्यम है, बल्कि जीवन में संतुलन, शांति व सद्भाव स्थापित करने का भी सूत्र है।रायगढ़ सेवा केंद्र से ब्रह्मा कुमारी राधिका दीदी सहित नगर के गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे इस कार्यक्रम का संचालन नीलू बहन ने किया। कार्यक्रम में जपं अध्यक्ष श्रीमती ममता राजीव सिंह अतिथि के रूप में उपस्थित रहीं।
ब्रह्माकुमारीज़ प्रभु-पसंद भवन में सात दिवसीय गीता रहस्य का आयोजन



