रायगढ़। कांग्रेस में टिकट बंटवारे के बाद अब प्रत्याशियों के संयुक्त रूप से नामांकन दाखिल करने की तैयारी है। रायगढ़ जिले की चार विधानसभा सीटों के लिए शुक्रवार को कांग्रेस के सभी प्रत्याशी मुख्यमंत्री भूपेश बघेल की अगुवाई में नामांकन फार्म अपने-अपने विधानसभा क्षेत्र से भरेंगे। शुक्रवार की दोपहर को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रायगढ़ पहुंचेंगे। कांग्रेस प्रत्याशियों के नामांकन जमा करने के दौरान शक्ति प्रदर्शन करने की तैयारी में है। हालांकि राजनीति के जानकारों की माने तो इस चुनाव में जिले की चारों विधानसभा क्षेत्र में कार्यकर्ताओं में नाराजगी की बात सामने आ रही है। साथ ही रायगढ़ लैलूंगा क्षेत्र में भीतरघात होने की भी आशंका है। टिकट वितरण के बाद संभावित दावेदारों को संतुष्ट करने के दावे प्रत्याशियों के अलावा संगठन के नेता कह रहे हैं। सब ठीक-ठाक होने और सब साथ-साथ होने के पीछे पक रही खिचड़ी से कांग्रेस को नुकसान हो सकता है। मुख्यमंत्री के रायगढ़ प्रवास के दौरान सब ठीक होने का प्रदर्शन भी किया जाएगा, लेकिन कांग्रेस के भीतर चल रहे वास्तविक की स्थिति को समझने की फिलहाल सार्थक पहल दिखाई नहीं देती यह आने वाले दिनों में कांग्रेस के लिए काफी नुकसानदायक हो सकता है।
रायगढ़ जिले की खरसिया और धर्मजयगढ़ विधानसभा सीट से मौजूदा विधायकों के अलावा टिकट की दावेदारी किसी ने नहीं की थी। दोनों सीटों पर कांग्रेस ने सिटिंग विधायकों को टिकट देकर उन्हें हैट्रिक लगाने का मौका दिया है। खरसिया से उमेश पटेल और धरमजयगढ़ से लालजीत सिंह राठिया को इस बार भी प्रत्याशी बनाया गया है। जबकि रायगढ़ जिला मुख्यालय की सीट से चुनाव लडऩे वाले संभावित दावेदारों की लंबी फेहरिस्त रही है। लंबी माथापच्ची के बाद विधायक प्रकाश नायक को प्रत्याशी घोषित किया गया। दूसरी तरफ लैलूंगा सीट से कांग्रेस ने विधायक चक्रधर सिंह सिदार की टिकट काटकर महिला प्रत्याशी पर विश्वास जताया और विद्यावती सिदार को प्रत्याशी घोषित किया गया। जानकारों की माने तो कांग्रेस में टिकट को लेकर जिस तरह भाग दौड़ मची थी। उससे लगता है कि कांग्रेस में रायगढ़ और लैलूंगा सीट में अंदर ही अंदर प्रत्याशी बदलने का बड़ा जोर था। लंबे इंतजार के बाद प्रत्याशियों का नाम फाइनल होने पर इस आशंका को बल भी मिलता है लेकिन इन दोनों सीट से प्रत्याशी घोषित होने के तत्काल बाद से सब ठीक-ठाक होने के दावे प्रत्याशी कर रहे हैं, परंतु स्थिति इससे अलग होने की बात सामने आ रही है।
रायगढ़ सीट से टिकट को लेकर एक वर्ग विशेष की ओर से एड़ी-चोटी का जोर लगाया जा रहा था, लेकिन सफलता नहीं मिली तो अब उन्हें व उस वर्ग विशेष के कांग्रेस को लेकर पूरी तरह संतुष्ट होने के दावे किए जा रहे हैं। संभावित दावेदारों के साथ प्रत्याशी के फोटो वायरल हम साथ-साथ हैं के दावे किए जा रहे हैं। परंतु वास्तविक स्थिति को समझने की जरूरत है। पिछले 2018 के चुनाव में एक वर्ग विशेष के दो प्रत्याशी मैदान में थे, उस दौरान क्या इस वर्ग का वोट कांग्रेस के पक्ष में आया था, या उन दोनों प्रत्याशियों को इस वर्ग ने वोटिंग की थी। इस वर्ग विशेष के भीतर मचे इस द्वंद्व को भांपने समझने की जरूरत है। अगर चूक हुई तो कांग्रेस के लिए नुकसानदायक हो सकता है। कांग्रेस में भीतरघात की आशंका को नकारना जल्दबाजी होगी। राजनीति के जानकारों की माने तो यही स्थिति लैलूंगा सीट को लेकर बन रही है। टिकट नहीं मिलने से नाराज लोगों का मान-मनोबल नहीं होने पर अपनों से होने वाले नुकसान से इनकार नहीं किया जा सकता। मुख्यमंत्री के रायगढ़ प्रवास के दौरान जिस तरह एक जुटता और शक्ति प्रदर्शन दिखाने की कोशिश में है, उस पर विरोधियों के भी नजर रहेगी।
कांग्रेस को अपने भीतर के इस दिखावे से निकलकर हकीकत की धरातल पर कदम बढ़ाने की जरूरत है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और आगंतुक संगठन के नेताओं की दृष्टि वहां तक पहुंच सके, इसकी अपेक्षा कांग्रेस के निष्ठावान कार्यकर्ता तो कर ही सकते हैं।
चुनावी सभा मिनी स्टेडियम में
शुक्रवार को रायगढ़ के मिनी स्टेडियम में कांग्रेस का कार्यकर्ता सम्मेलन होगा। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल दोपहर को रायगढ़ पहुंचेंगे और यहां कार्यकर्ताओं को संबोधित करेंगे। मुख्यमंत्री बघेल का रायगढ़ के चुनावी सभा में बड़ी संख्या में कार्यकर्ता शामिल होंगे। जिले के सभी चार विधानसभा क्षेत्र से कार्यकर्ता पहुंचेंगे। इस चुनावी सभा में मुख्यमंत्री बघेल रायगढ़ जिले के कांग्रेस कार्यकर्ताओं को रिचार्ज करने आ रहे हैं। अलग-अलग गुटों में बटी कांग्रेस को एकजुटता के साथ चुनाव मैदान में डटकर मुकाबला करने की नसीहत भी दे सकते हैं। परंतु कांग्रेस कार्यकर्ताओं के भीतर मचा द्धंद को साधने में कितनी सफलता मिलती है, यह तो आने वाले दिनों में संगठन की एकजुट से ही पता चल सकता है।
प्रचार प्रसार में क्यों पीछे हैं प्रत्याशी
कांग्रेस प्रत्याशियों के नाम घोषित होने के बाद भी रायगढ़ जिले में कांग्रेस प्रचार प्रसार में काफी पीछे दिख रही है। रायगढ़ जिला मुख्यालय सहित अन्य विधानसभा क्षेत्र के नगरीय एवं ग्रामीण इलाकों में कांग्रेस के चुनाव प्रचार प्रसार में कमी कार्यकर्ताओं को खल रही है। राजनीति के जानकारों की माने तो कांग्रेस प्रत्याशी चुनाव के प्रचार-प्रसार में फिलहाल बेहद कमजोर स्थिति में नजर आ रहे हैं। जबकि अन्य प्रमुख राजनीतिक दल के प्रत्याशी चुनाव प्रचार को लेकर बेहद सक्रिय होते दिख रहे हैं। बताया जाता है कि कांग्रेस प्रत्याशी सीधे तौर पर अपनी सरकार की योजनाओं को गिनाने में गुरेज कर रहे हैं, सिर्फ अपना चेहरा चमकाने की नीति कांग्रेस के लिए बेहद घातक मानी जा सकती है। राजनीति के जानकारों की माने तो प्रत्याशियों की सूची घोषित होने में हुए विलंब को इसका कारण बताया जा रहा है। जबकि वास्तविकता इससे अलग है, संगठन स्तर पर चल रही गुटबाजी को साधने के बजाय कांग्रेस प्रत्याशी टिकट मिलने के जश्न में डूबे नजर आ रहे हैं। जनसंपर्क कार्यक्रम से लेकर चुनावी प्रचार प्रसार की धीमी गति का आने वाले दिनों में विपरीत प्रभाव पड़ सकता है, इसे गंभीरता से वक्त रहते समझ देने की आवश्यकता है।
हम साथ-साथ हैं : पर ‘साथ’ नहीं!
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