रायपुर। प्रदेश में 15 नवंबर से समर्थन मूल्य पर धान खरीदी शुरू हो गई है। पूरे प्रदेश में 2,739 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं। सरकार के सख्त निर्देश के बाद भी पहले दिन मात्र 10 प्रतिशत यानि 195 उपार्जन केंद्रों में धान खरीदी हुई। इन केंद्रों के माध्यम से 19,464 क्विंटल धान खरीदा गया है। धान खरीदी के पहले दिन प्रदेश भर से अलग-अलग तस्वीरें सामने आई है। कहीं धान खरीदी केंद्रों में ताले लटके रहे। कहीं अधिकारी-कर्मचारी नहीं पहुंचे। इन सबके बीच कर्मचारियों की हड़ताल की वजह से टोकन नहीं मिलने पर किसान परेशान नजर आए। कहीं उत्तरप्रदेश से लाया हुआ अवैध धान भी पकड़ाया।
बलरामपुर जिले में पुलिस ने साढ़े 4 किलोमीटर दूर पीछा कर अवैध धान की गाड़ी रुकवाया। घटना का वीडियो भी सामने आया है। दोनों वाहनों से लगभग 200 बोरी अवैध धान बरामद हुआ है। वहीं सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में लापरवाही के कारण 4 समितियों के प्रभारी प्रबंधकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। इसके अलावा हड़ताल पर गए सहकारी समिति कर्मचारी संघ के प्रदेश स्तरीय पदाधिकारियों पर कार्रवाई की गई है। आरोपों की जांच के बाद सहकारिता विभाग ने कुल 6 पदाधिकारियों की सेवाएं समाप्त कर दी हैं।
रायपुर कलेक्टर गौरव सिंह ने धान खरीदी को लेकर समीक्षा बैठक ली। जहां उन्होंने संबंधित अधिकारियों को धान खरीदी केन्द्रों में हर संभव व्यवस्था उपलब्ध कराने को कहा है। कलेक्टर ने स्पष्ट किया है कि शासन ने एस्मा लागू किया है। किसी भी स्तर पर लापरवाही किए जाने पर कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
धमतरी जिले में धान खरीदी केंद्रों पर अव्यवस्था देखने को मिली। माकरदोना सोसाइटी में धान खरीदी के पहले दिन केंद्र पर ताला लगा मिला, जिसे किसानों को तोडऩा पड़ा। इस दौरान किसानों ने ही खुद इलेक्ट्रॉनिक कांटे से खरीदी की और औपचारिकता निभाई। माकरदोना सोसाइटी के गेट और प्रबंधक कक्ष में 15 नवंबर को ताला लटका हुआ था। कई किसान केंद्र पहुंचे लेकिन ताला देखकर लौट गए। तहसीलदार, पटवारी, सरपंच और नोडल अधिकारी बाहर खड़े थे। पूछने पर बताया गया कि चौकीदार चाबी लेकर कहीं चला गया है। राजनांदगांव में धान खरीदी के पहले दिन कर्मचारियों की हड़ताल और टोकन न मिलने के कारण शुरुआत धीमी रही। जिले के उपार्जन केंद्रों पर व्यवस्था चरमरा गई, जिससे किसान अपनी उपज बेचने के लिए कम संख्या में पहुंचे। कर्मचारियों की हड़ताल के चलते धान खरीदी केंद्रों पर कामकाज प्रभावित हुआ है। जिला प्रशासन ने राजस्व अमले को खरीदी केंद्रों पर तैनात किया है, लेकिन प्रभारी कर्मचारियों को प्रक्रिया समझने में दिक्कतें आ रही हैं। कई केंद्रों पर किसानों को टोकन ही नहीं मिल पाए, और जहां टोकन मिले, वहां कर्मचारी गैरहाजिर थे। पहले दिन यहां दो किसानों से 152 कट्टा धान की खरीदी की जा सकी।
छत्तीसगढ़ में धान खरीदी से पहले सहकारी समितियों के कर्मचारियों और कंप्यूटर ऑपरेटरों की अनिश्चितकालीन हड़ताल पर है। जिससे प्रदेशभर में धान खरीदी प्रक्रिया सीधे प्रभावित हो रही है। दुर्ग संभाग सहित सात जिलों से रोजाना लगभग ढाई हजार कर्मचारी दुर्ग के मानस भवन के पास धरना स्थल पर एकत्र हो रहे हैं। इसी बीच, जिला प्रशासन ने धान खरीदी में गायब कर्मचारियों पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की है, जिसके तहत 7 कर्मचारियों की सेवाएं समाप्त कर दी गई हैं। इस कार्रवाई से आंदोलन और आक्रामक हो गया है।
बलरामपुर जिले में पुलिस ने साढ़े 4 किलोमीटर दूर पीछा कर अवैध धान की गाड़ी को पकड़ा है। जिले में 15 नवंबर से धान खरीदी शुरू हुई है। इस दौरान उत्तरप्रदेश से 2 पिकअप गाड़ी में कुछ लोग अवैध धान लेकर पहुंचे थे। सूचना मिलने पर 15 नवंबर की सुबह साढ़े 3 बजे पुलिस की टीम पीछा करते हुए 2 पिकअप वाहनों को रोका और तलाशी ली। जांच में दोनों वाहनों से लगभग 200 बोरी अवैध धान बरामद हुआ। वाहन चालकों के पास वैध दस्तावेज नहीं थे। जिसके बाद दोनों गाडिय़ों को जब्त कर थाने में सुपुर्द कर दिया गया है। जिले में 2 दिनों में 410 बोरी अवैध धान पकड़ाया है। सारंगढ़-बिलाईगढ़ जिले में पहले दिन धान खरीदी कार्य में लापरवाही बरतने के आरोप में जिले की 4 समितियों के प्रभारी प्रबंधकों की सेवा समाप्त कर दी गई है। यह आदेश 15 नवंबर को प्राधिकृत अधिकारी ने जारी किया है।
जिन प्रभारी प्रबंधकों की सेवा समाप्त की गई है, उनमें प्राथमिक कृषि सहकारी समिति मर्यादित पवनी के रामेश्वर साहू, समिति भटगांव के राजेश कुमार आदित्य, समिति धनगांव के दयाराम यादव और समिति जोरा के गिरजा शंकर साहू शामिल हैं। कई जिलों में जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में विधिवत पूजा-अर्चना कर धान खरीदी की शुरुआत की गई। सहकारी समितियों के कर्मचारियों की आंशिक हड़ताल के बावजूद शासन ने तेजी से कदम उठाते हुए 2,739 आउटसोर्स डेटा एंट्री ऑपरेटरों की व्यवस्था की, जिससे खरीदी प्रभावित नहीं हुई। सहकारिता विभाग के कर्मचारियों ने भी जिम्मेदारी निभाते हुए कार्य को निरंतर जारी रखा। उपार्जन से जुड़े कर्मचारियों को श्वस्रू्र के तहत अधिसूचित कर खरीदी को निर्बाध रखने के निर्देश जारी किए गए हैं।
इस साल खरीदी को अधिक पारदर्शी बनाने ऑनलाइन टोकन और तुंहर टोकन प्रणाली लागू है। 15 नवंबर को जारी 2,029 टोकन में से 1,912 तुंहर टोकन से लिए गए। किसानों की सुविधाओं के लिए केन्द्रों में पानी, छाया, शौचालय और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था की गई है। नोडल अधिकारियों और हेल्पलाइन 1800-233-3663 को भी सक्रिय रखा गया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने अधिकारियों को स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि किसानों की सुविधा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए खरीदी कार्य को समयबद्ध और पारदर्शी तरीके से संचालित किया जाए। छत्तीसगढ़ में 2,739 उपार्जन केंद्र बनाए गए हैं, जहां से किसानों से धान खरीदी की जाएगी। यह प्रक्रिया 15 नवंबर से 31 जनवरी 2026 तक चलेगी। एक एकड़ खेत से अधिकतम 21 क्विंटल धान खरीदी की जाएगी। केंद्रों में मापक यंत्र, तौल कांटा, बारदाने, कंप्यूटर और इंटरनेट जैसी सभी जरूरी व्यवस्थाएं की गई हैं।
पुलिस ने पीछा कर पकड़ा यूपी का अवैध धान, पहले दिन सिर्फ 10 प्रतिशत केंद्रों में हुई धान खरीदी
धमतरी में लटका ताला, 10 कर्मचारी बर्खास्त



