रायगढ़। विद्या भारती की योजना के अनुरूप भैया-बहनों की बहुआयामी प्रतिभा के विकास के उद्देश्य से सरस्वती शिशु मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय, लोचन नगर रायगढ़ में रविवार को अभिभावक गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में शिशु विभाग एवं प्राथमिक विभाग के अरुण से पंचम तक के विद्यार्थियों के अभिभावकों को आमंत्रित किया गया था। गोष्ठी में लगभग 65 अभिभावकों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया।
कार्यक्रम का शुभारंभ प्रात: 9 बजे विद्यालय के सभा कक्ष में हुआ, जहां मंचासीन अतिथियों ने माँ सरस्वती, भारत माता और ओम के छायाचित्रों के समक्ष दीप प्रज्वलन कर कार्यक्रम की शुरुआत की। मां सरस्वती की वंदना वाद्य यंत्रों के साथ प्रस्तुत की गई, जिससे पूरा वातावरण भक्तिमय हो उठा।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एल.पी. कटकवार (सचिव, सशिमं समिति रायगढ़), अध्यक्ष डी. पटनायक (उपाध्यक्ष, सशिमं समिति रायगढ़ एवं लोचन नगर प्रभारी) तथा विशिष्ट अतिथि गणेश चंद्र यादव (जिला प्रतिनिधि, रायगढ़) उपस्थित रहे। मंच पर विद्यालय के प्राचार्य कुबेर लाल माली एवं आचार्य अंजनी श्रीवास्तव भी मौजूद थे। संचालन संघमित्रा मिश्रा ने किया और छायांकन विकास सोनी एवं वीणा सिंह ने किया।
अभिभावकों ने रखे महत्वपूर्ण सुझाव
गोष्ठी में अभिभावकों ने अपने बच्चों की घर और विद्यालय की गतिविधियों पर खुलकर चर्चा की। उन्होंने शिक्षण पद्धति, गृहकार्य, मोबाइल उपयोग, पाठ्यक्रम की गति और परीक्षा की तैयारी पर सुझाव दिए। कई अभिभावकों ने कहा कि विद्यालय में नियमित गृहकार्य जांच और पुनरावृत्ति सत्र आयोजित किए जाएं, ताकि बच्चों की पढ़ाई में निरंतर सुधार हो सके।
अभिभावकों ने बच्चों के मोबाइल और टीवी के अत्यधिक प्रयोग पर चिंता जताते हुए कहा कि परिवार में अनुशासित माहौल और समय-सीमा तय करने से बच्चों में सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है।
अतिथियों का मार्गदर्शन
मुख्य अतिथि एल.पी. कटकवार ने कहा कि विद्यालय और घर दोनों ही बच्चे के विकास के दो स्तंभ हैं। “शिशु को घर और विद्यालय में निरंतर निगरानी और स्नेहपूर्ण मार्गदर्शन की आवश्यकता होती है। इससे उसका बौद्धिक, शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक विकास संभव है।
जिला प्रतिनिधि गणेश चंद्र यादव ने अपने उद्बोधन में कहा कि “बच्चे घर में सबसे अधिक समय बिताते हैं, इसलिए अभिभावकों को सतत् मार्गदर्शन और निरीक्षण करना चाहिए। विद्यालय की गतिविधियों की जानकारी नियमित रूप से लेना भी अभिभावक की जिम्मेदारी है।” उन्होंने यह भी कहा कि बच्चों के चतुर्मुखी विकास के लिए मोबाइल के उपयोग पर रोक और रचनात्मक कार्यों को प्रोत्साहन जरूरी है।
अध्यक्ष डी. पटनायक ने कहा कि अभिभावक और शिक्षक दोनों मिलकर ही बालक के जीवन में संस्कार और शिक्षा का संतुलन ला सकते हैं।
विद्यालय प्रबंधन की ओर से विचार
विद्यालय के प्राचार्य कुबेर लाल माली ने विद्यालय की प्रगति और शिक्षा व्यवस्था के बारे में विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने कहा कि विद्यालय का उद्देश्य केवल परीक्षा परिणाम नहीं, बल्कि संस्कारवान नागरिक तैयार करना है।
गोष्ठी में विद्यालय के व्यवस्थापक श्री कटकवार जी ने भी अभिभावकों को संबोधित करते हुए कहा कि “विद्यालय और अभिभावक के बीच निरंतर संवाद आवश्यक है। बच्चे का सर्वांगीण विकास तभी संभव है जब दोनों मिलकर उसकी कमजोरियों को पहचानें और सुधार का प्रयास करें।
सांस्कृतिक प्रस्तुति और समापन
कार्यक्रम के दौरान ‘हे शारदे मां…’ गीत पर सुंदर नृत्य नाटिका प्रस्तुत की गई, जिसने उपस्थित सभी अभिभावकों का मन मोह लिया।
समापन अवसर पर प्राचार्य श्री माली ने सभी अतिथियों और अभिभावकों का आभार व्यक्त किया। गोष्ठी का समापन कल्याण मंत्र के साथ हुआ और इसके बाद सभी ने मिलकर स्वल्पाहार ग्रहण किया।
इस गोष्ठी को सफल बनाने में विद्यालय के आचार्य परिवार कृ ओजस्वी तिवारी, विमला साहू, पुष्पांजलि साहू, कवि प्रिया ठाकुर, प्रियंका रेड्डी, रेणुका ठाकुर, प्रतिमा गुप्ता, पुष्पा निषाद, तरुण साव और कार्यालय लिपिक महेश का सराहनीय योगदान रहा।
विद्यालय के प्रचार-प्रसार प्रमुख अंजनी श्रीवास्तव ने बताया कि इस गोष्ठी का उद्देश्य केवल संवाद नहीं, बल्कि अभिभावक-शिक्षक संबंधों को और सशक्त बनाना था, ताकि हर बच्चे की प्रतिभा को सही दिशा मिल सके।
सरस्वती शिशु मंदिर लोचन नगर में अभिभावक गोष्ठी संपन्न
बच्चों के सर्वांगीण विकास हेतु अभिभावकों ने दिए सुझाव



