रायगढ़। शहर वासियों को विजयादशमी की बधाई देते हुए ओपी चौधरी ने कहा मन के अंदर मौजूद बुराइयों के रावण का दहन अधिक जरूरी है। रावण ने बहुत सी दैवीय शक्तिया घोर तपस्या के बाद अर्जित की थी। इन शक्तियों का उपयोग लोक हित में करने की बजाय रावण ने पाप की लंका खड़ी कर दी। ओपी ने कहा अपने अपने रसूख,पद,धन,वर्दी का गलत उपयोग भी रावण की शक्तियों के दुरुपयोग की तरह है।विजयदशमी प्रभु राम को स्मरण करने का शुभ अवसर है।प्रभु राम का स्मरण सामाजिक समरसता के लिए करते हैं। प्रभु प्रिय राम ने भी तो शबरी के जूठे बेर खाकर कुछ ऐसा ही संदेश दिया था। उपेक्षित और वंचित वर्ग के लिए भी मन में प्रेम-संवेदना का एक दीप तो जलाकर देखने मात्र से ही मन के भीतर के राम मुस्कुराते नजर आएंगे। प्रति वर्ष विजयदशमी पर रावण वध के प्रतीकात्मक वध से आसुरी शक्तियां खत्म नहीं हो पाती हैं। ऐसे में यह आवश्यक है कि अपने अंदर के दशानन की पहचान करें और आत्ममंथन करें कहीं हमारे मन के किसी कोने में रावण तो नहीं छिपा है। रावण अहंकार, अनैतिकता, सामर्थ्य के दुरुपयोग का प्रतीक हैं । इन सबसे कहीं अधिक रावण ईश्वरीय विधान से विमुख होने का प्रतीक है।रावण के दस सिर काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर जैसे अवगुणों के प्रतीक है। रावण इन सारे अवगुणों के मिश्रित स्वरूप का नाम है। प्रकांड विद्वान होने के बावजूद उसकी विद्वत्ता स्वयं के अंदर स्थित अवगुण के रूप में मौजूद आसुरी शक्तियों का वध नहीं कर पाई।
मन के रावण का दहन करे-ओपी चौधरी

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lochan Gupta
