सारंगढ़-बिलाईगढ़। कलेक्टर डॉ. संजय कन्नौजे के निर्देशानुसार नगर पंचायत भटगांव के शासकीय औद्योगिक प्रशिक्षण संस्था में नशा मुक्त शिक्षण संस्थान हेतु स्वास्थ्य शिविर का आयोजन किया गया। सीएमएचओ डॉक्टर एफ आर निराला ने चर्चा करते हुए बताया कि तंबाकू सामान्य सा दिखने वाला एक पौधा है जिसमें निकोटिन नामक रसायन होता है जिसे नशे के रूप में उपयोग किए जाने के कारण नशीला बन गया है। तंबाकू में हजारों प्रकार के रासायनिक पदार्थ मिले होते हैं, जो खतरनाक होते है और जानलेवा है। तंबाकू से बहुत जल्द लत लगने की क्षमता होती है। ये आसानी से उपलब्ध हो जाता है। सस्ता भी होता है।
तंबाकू सेवन देश की सबसे तेजी से बढ़ती स्वास्थ्य समस्या है। इससे प्रतिवर्ष भारत वर्ष में लगभग 13 लाख लोगो की मौतें हो रही है। यह देश की उत्पादकता और अर्थव्यवस्था के लिए भी एक चुनौती है। इस सबके बावजूद संतोष की बात है की तंबाकू से होने वाले बीमारी और मौत को बहुत आसानी से रोका जा सकता है। वैसे तंबाकू पूरी दुनिया के लिए एक चिंता का विषय है। देश के साथ हमारा प्रदेश ज्यादा प्रभावित है। तंबाकू उद्योग में लगे लोग तरह तरह के हथकंडे अपना कर खास तौर पर बच्चो और युवाओं को अपने उत्पाद के प्रति आकर्षित करते हैं। हमें उद्योगपतियों की इस हथकंडे से अपने बच्चो, आम युवाओं को बचाने की जरूरत है। तंबाकू नियंत्रण के प्रयासों को गति देने के लिए भारत सरकार के द्वारा अधिनियम(कोटपा एक्ट 2003 ) को प्रभावी ढंग से लागू करने की प्रयास हुई है, जिसके अंतर्गत विद्यालयों में जागरूकता अभियान चला कर विभिन्न प्रकार के प्रचार प्रसार के माध्यम से तंबाकू के उपयोगकर्ता को परामर्श करके इसकी उपयोगिता को कम करने का बीड़ा उठाया है। इस अवसर पर तम्बाकू नियंत्रण कार्यक्रम के जिला नोडल संजीव, प्रशिक्षण अधीक्षक मंगल डहरिया, प्रशिक्षण अधिकारी हरिश्चंद्र साहू, राजेश कुमार साहू, रामनिवास कुर्रे, धनंजय तांडेल, पदुम लाल कर्ष,गुलशन कुमार साहू, डिगेस्वर दीवान एवं बड़ी संख्या छात्र छात्राएं उपस्थित थे।
डब्लूएचओ एवम भारत सरकार के द्वितीय ग्लोबल एडल्ट टोबैको सर्वे 2017 के अनुसार भारत वर्ष में 28.6 प्रतिशत वयस्क लोगो के द्वारा तंबाकू का उपयोग अनेकों तरह से उपयोग कर रहा है, जिसमें 42.4 प्रतिशत पुरुष एवम 14.2 प्रतिशत महिलाओं के द्वारा उपयोग किया जा रहा है। यदि छत्तीसगढ़ के संदर्भ में देखे तो 39.1 प्रतिशत वयस्क लोग उपयोग कर रहे है, जिसमें 53.7 प्रतिशत पुरुष और 24 .6 प्रतिशत महिला तंबाकू का सेवन कर रहे है। इसमें 36 प्रतिशत लोग तंबाकू को चबाने वाले के रूप में लेते है। ग्लोबल एडल्ट टोबैको वर्ष 2019 के अनुसार भारत वर्ष में 13 से 15 वर्ष के 8. 6 प्रतिशत छात्र तंबाकू को किसी न किसी रूप में उपयोग कर रहे है जबकि छत्तीसगढ़ में 8 प्रतिशत छात्र उपयोग कर रहे है। छत्तीसगढ़ में 5 .7 प्रतिशत बालिका एवम 10.5 प्रतिशत बालक तंबाकू का उपयोग कर रहे है। इसमें 7. 5 प्रतिशत शहरीय एवम 8.1 प्रतिशत छात्र ग्रामीण अंचल के होते हैं। हैरान करने वाली बात है कि 13 से 15 वर्ष के शाला प्रवेशी बच्चो में तंबाकू उपयोग प्रारंभ करने की औसत उम्र 7.3 वर्ष है। 13 से 15 वर्ष के बच्चो में 75 .5 प्रतिशत बच्चे तंबाकू का उपयोग सिगरेट के रुप मे उपयोग करते है, जिसे वे दुकान से खरीदते हैं। 18 वर्ष से कम उम्र के 70 प्रतिशत बच्चे तंबाकू का उपयोग कर रहे, यह चिंता का विषय है।
18 वर्ष के कम उम्र के बच्चो को तंबाकू उत्पाद नही बेची जा सकती
प्राय: ऐसा देखा जाता है कि राज्य के शैक्षणिक संस्थानों के परिसर एवम आसपास तंबाकू उत्पाद जैसे सिगरेट, बीड़ी,पान मसाला, जर्दा, खैनी इत्यादि की बिक्री होते देखी जा सकती है। इससे कम उम्र के बच्चो एवम युवाओं में धूम्रपान एवम तंबाकू की लत को बढ़ावा मिलता है। युवाओं को इसके लत से बचाने के लिए कोटपा एक्ट की धारा 6 में प्रावधान है कि 18 वर्ष के कम उम्र के बच्चो को तंबाकू उत्पाद नही बेची जा सकती। साथ ही किसी शैक्षणिक संस्थान के 100 गज के दायरे में तंबाकू उत्पाद की बिक्री पूर्णत: प्रतिबंधित है।
कोटपा एक्ट और सजा
तंबाकू को दो रूपों में लिया जाता है। पहला धुआं रहित तंबाकू वाला पान, पान मसाला के साथ तंबाकू, तंबाकू और बुझा हुआ चुना, गुड़ाखू, दंत मंजन आदि। धुआ सहित में बीड़ी, सिगरेट, सिगार, चिलम, हुक्का कोटपा एक्ट की धारा 4 में सार्वजनिक स्थान पर धूम्रपान निषेध उलंघन करने पर 200 रुपए जुर्माना दंड की भुगतान करने से इंकार करने पर हिरासत में लिया जा सकता है। कोटपा एक्ट की धारा में 5 सिगरेट और अन्य तंबाकू उत्पाद के विज्ञापन का निषेध। उल्लंघन करने पर प्रथम बार उल्लंघन करने पर 1000 रुपए या 2 वर्ष की कारावास या दोनो। द्वितीय बार उल्लंघन करने पर 5000 रुपए या 5 वर्ष की कारावास। धारा 6 में कोई भी व्यक्ति सिगरेट तथा अन्य तंबाकू उत्पाद की बिक्री, बिक्री के लिए प्रस्थापना तथा बिक्री की अनुमति नही देगा।
बच्चों में नशे की लत और अपराध की ओर बढ़ता बचपन
किशोरावस्था में उत्सुकतावश या मित्रो के साथ इन पदार्थों की सेवन शुरू होता है, फिर इस नशा का आदी, लत लग जाती है। तंबाकू को खरीदने के लिए पैसे की जरूरत होती है, जिसके आपूर्ति के लिए पालको पर दबाव बनाना प्रारंभ हो जाती है। पैसे नही मिलने पर घर में तोड़ फोड़, चोरियां करना प्रारंभ कर दिया जाता है। फिर तंबाकु के अलावा अन्य नशीली पदार्थ, दारू आदि का भी सेवन करता है।
नशा मुक्त शिक्षण संस्थान बनाने हेतु भटगांव आईटीआई में शिविर का आयोजन
