रायपुर। रायपुर के जंगल सफारी की बाघिन ‘बिजली’ को इलाज के लिए गुजरात के वनतारा शिफ्ट किया गया है। बाघिन बिजली को यूट्रस और ओरल में इन्फेक्शन है। उसे खाने-पीने में परेशानी हो रही है। बाघिन को हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस से शाम को रवाना किया गया। वहीं इसके पहले प्लेटफॉर्म पर फॉरेस्ट अधिकारी और रेलवे कर्मचारियों की जमकर बहस हो गई। फॉरेस्ट अधिकारी बिना टिकट लिए ही प्लेटफॉर्म पर आ गए थे। इसके साथ ही बाघिन को एक पिंजरे में छिपाकर लाए थे। रेलवेकर्मी पिंजरे को देखना चाह रहे थे, लेकिन नहीं दिखाया जा रहा था। इस बात से रेलवे के कर्मचारी नाराज थे। इसी के चलते यह कार्रवाई करने का आदेश रेलवे मजिस्ट्रेट ने दिया। आदेश के बाद रेल कर्मियों ने फॉरेस्ट अधिकारियों का चालान काट दिया। हालांकि बाद में रेलवे की मदद से बाघिन को हावड़ा-अहमदाबाद एक्सप्रेस से शाम को रवाना किया गया। इस मामले में वन मंत्री केदार कश्यप ने बताया कि, बाघिन बिजली 8 साल की है। जंगल सफारी में पिछले कुछ समय से बीमार चल रही थी। यूट्रस और ओरल में इन्फेक्शन है। इसलिए बेहतर इलाज के लिए ट्रेन से वनतारा भेजा जा रहा है। जहां एक महीने तक इलाज चलेगा।
बता दें कि, चिरमिरी से मिले सफेद भालू और हिरण को अप्रैल 2025 में वनतारा वाइल्ड लाइफ रेस्क्यू एंड रिहैबिलिटेशन सेंटर भेजा गया था। भालू और हिरण देकर छत्तीसगढ़ वन विभाग के अफसर ज़ेब्रा जोड़ा, माउस डियर और मीर कैट लाए थे। इन वन्य प्राणियों को क्वारेंटाइन किया गया था और आने वाले दिनों में पर्यटकों को दिखाना था। क्वारेंटाइन के बीच नर ज़ेब्रा को सांप ने काट लिया और उसकी मौत हो गई। मादा ज़ेब्रा, मीर कैट और माउस डियर अभी भी क्वारेंटाइन में हैं और पर्यटकों के सामने उन्हें अभी नहीं लाया गया है।
जेब्रा और जिराफ जैसे वन्य प्राणी आने की उम्मीद में जंगल सफारी में 12 करोड़ रुपए बाड़ा बनाने में खर्च कर दिए गए। जू में 32 बाड़े हैं। इनमें नए बने 8 खाली हैं। पिछली सरकार में इन्हें बनाने की मंजूरी दी। इनमें विदेशी वन्य प्राणियों को रखा जाएगा। इसलिए सेंट्रल जू अथॉरिटी को जेब्रा, जिराफ जैसे प्राणियों के हिसाब से बाड़े का डिजाइन भेजा गया।
जंगल सफारी से बाघिन ‘बिजली’ गुजरात शिफ्ट
इलाज के लिए ट्रेन से भेजा वनतारा, बिना टिकट फॉरेस्ट अधिकारियों का कटा चालान
