रायगढ़। प्रदेश में अमीरी और गरीबी के बीच की खाई को कुछ अधिकारी अपने निजी स्वार्थ और बुलमुल रवैये से दिनों दिन बीछा करते जा रहे हैं जिसके कारण किसी नी आक्रोश का ज्वालामुखी फट सकता है। उक्ताशय का आरोप वरिषा इका नेहा ने लगाते हुए कहा है कि यदि किसी गरीब का बिजली का बिल दो हजार भी बाकी हो तो उसके घार में बिजली काटकर अंधेरा कर दिया जाता है. लेकिन जिले के अनेकों उद्योगों पर सौ करोड़ आसपास जलकर बकाया है चनके ऊपर कोई कार्यवाही होना तो दूर उनों बदस्तुर हमारी नदियों बांधों और भुजल का भरपुर उपयोग करने की छूट ऐसे सुल्त अधिकारियों द्वारा दी जा रही है। जलकर की राशि बकाया होने के बाद भी उद्योगों को जल दोहन की अनुभाग क्यों दी जा रही और किसके निर्देश पर दी जा रही है यह गंभीर जाय का विषय है। यदि सरकार इस दिशा में कुछ नहीं करती तो न्यायालय को स्वयं संज्ञान लेकर कार्यवाही करना भाहिए। श्री गुप्ता ने बताया कि एक उद्योग पर तो 50 करोड़ की राशि बकाया होने के बावजुद यह उद्योग बिक गया सरकार की करोड़ों की राशि बाकी होने के बाद भी दस्तावेजों में नये मालिकों के नाम चढ़ गए किंतु जल संसाधन विभाग के हमारे अधिकारी गहरी निद्रा में सोते यें। इसी तसा जुटमिल पर भी मजदुरों एवं शासन के टैक्स आदि की काफी राशि बकाया बताई जा रही थी। मिल के मजदूरी से बकायदा आदोलन भी किया था। शासन को इस बात की जांच करनी चाहिए कि जुटमिल के मजदूरों और शासन का कोई टैक्स बकाया हो तो राशि मिली कि नहीं? या फिर जल संसाधन विभार की तथा जुटमिल भी बमाया को घटा बताकर नये सालिकों के पास पली गई।
वरिष्ठ इंकर नेहा ने यह भी आरोप लगाया है कि अमीरी गरीबी का फर्क करने में गाहिर नगर निगम की कार्यप्रणाली श्री साई को चौड़ा करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। यदि किसी गरीब की शोपड़ी को ठेला ही मुमठी हो तो उसे हटाने या नस्ट नाबूद करने में जरा भी लापरवाही नहीं बरती जाती। किंतु रसूखदारों के अवैध निर्माण लिखित शिकायत के बाद भी जस के तस खड़े हार शासन प्रशासन का मुंह विडा रहे है। श्री गुप्ता ने मुख्यमंत्री और जिले के मंत्री ओपी चौधरी से आग्रह किया है उनकी सरकार ने सुशात्तन का जो नारा दिया है उसी के अनुरूआती की अपेक्षा भी जनता चाहती है।
दो हजार का बिजली बिल बाकी हो तो गरीब के घर में अंधेरा:- मुरारी
उद्योगों पर सौ करोड़ बाकी होने के बावजूद पानी का उपयोग बदस्तुर जारी



