रायगढ़। पिछले 10 दिनों से शहर सहित अंचल में गणपति बप्पा के आगमन की धूम मची हुई थी, इस बीच शनिवार को अनंत चतुर्दशी पर गणपति बप्पा मोरया, अगले बरस तू जल्दी आ के जयकारों के साथ गजानन को विदाई दी गई। इससे सुबह से लेकर देर रात तक केलो नदी के घाट पर भक्तों की भीड़ लगी रही।
उल्लेखनीय है कि जिलेभर में गणेश उत्सव की धूम पिछले 10 दिनों से चल रहा था, लेकिन कुछ लोग तीन दिन तो कुछ पांच या सात दिनों में ही विसर्जन कर दिया था, लेकिन ज्यादातर लोग शनिवार को अनंत चतुदर्शी होने के कारण भगवान गणेश का विधिवत पूजा-अर्चना कर उन्हें वाहनों में विराजमान कर विसर्जन स्थल लेकर पहुंचे थे। इससे शनिवार को सुबह से देर रात तक केलो नदी के घाट में भक्तों की भीड़ ने जयघोष के साथ भगवान श्री गणेश की प्रतिमा को विसर्जित किया। शास्त्रों के अनुसार भगवान गणेश पर किसी तरह का कोई भी पंचक नहीं आता, जिससे हर साल लोग पूरे उत्साह के साथ गणेश भगवान को स्थापित करते हैं और पूरे 10 दिन तक विधि-विधान से पूजन करने के बाद इनको विसर्जन करते हैं।
उल्लेखनीय है कि विगत चार-पांच सालों से नगर निगम द्वारा प्रतिमा विसर्जन के लिए अलग-अलग तालाबों को चिन्हांकन किया जाता था, ताकि केलो नदी में प्रतिमा विसर्जन न कर तालाब व गड्ढे खोदकर विसर्जन किया जाए, लेकिन इस बार कोई भी गाईड लाइन जारी नहीं हुआ, जिसके चलते विगत तीन-चार दिनों से केलो नदी में ही लगातार प्रतिमाओं का विसर्जन हो रहा है। हालांकि इन दिनों जिले में लगातार बारिश होने के कारण केलो डैम लबालब भरा है, इससे विगत दो-तीन दिनों से गेट खुलने के कारण केलो नदी ऊफान पर है, इसके चलते लोग सहुलियत के अनुसार अलग-अलग घाट पर लगातार विसर्जन कर रहे हैं। साथ ही प्रशासन की तरफ से भी अभी तक न तो गाइड लाइन जारी किया गया है और न ही कोई सख्ती बरती गई है।
गाजे बाजे के साथ पहुंचे थे भक्त
शहर में सुबह से ही भक्त श्रीगणेश प्रतिमा को ढोल-नगाड़ों की धुन पर रंग गुलाल उड़ाते हुए बप्पा को विदाई देने निकल पड़ेे थे, जो नगर के प्रमुख मार्गों से होते हुए केलो नदी के विभिन्न घाट पहुंचे, जहां भक्तों ने उन्हें अगले बरस जल्दी आने का वायदा लेकर विदाई दी। साथ ही भक्तों ने केलो नदी के घाट पर भगवान श्रीगणेश की पूजा-अर्चन करते हुए परिवार सहित नगर की सुख-शांति की कामना किया।
क्या कहते हैं समिति के सदस्य
इस संंबंध में गणपति बप्पा के विसर्जन करने पहुंचे समिति के लोगों का कहना था कि इस साल लगभग सभी लोग छोटी से बड़ी प्रतिमा कच्ची मिट्टी से बना ही लेकर आए थे, इससे नदी में विसर्जन करने के कुछ ही घंटे बाद घुल जा रही है, साथ ही जो लकड़ी व पैरा लगा है, वह तेज बहाव के साथ आगे निकल जा रहा है, इससे नदी का पानी दूषित भी होने की संभावना नहीं है। हालांकि अभी जिले में लगातार बारिश होने के कारण नदी में अच्छा खासा बहाव रहेगा, इससे नदी पूरी तरह से साफ भी जो जाएगी।
गणपति बप्पा मोरया के जयकारे के साथ हुआ विसर्जन
सुबह से देर रात तक केलो नदी किनारे लगी रही भक्तों की भीड़
