रायगढ़। जिले में चिटफंड कंपनियों से निवेशकों की रकम की वापसी एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। लगभग 85,000 से अधिक लोगों ने चिटफंड कंपनियों में करीब 250 करोड़ रुपये का निवेश किया था, लेकिन अब तक पुलिस केवल 10 लाख रुपये की ही वसूली कर पाई है। स्थिति यह है कि अब तक सिर्फ पांच निवेशकों को ही उनकी रकम वापस मिल सकी है।
पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में चिटफंड कंपनियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई करते हुए निवेशकों से आवेदन मांगे गए थे। बड़ी संख्या में पीडि़तों ने जिला प्रशासन के समक्ष रकम वापसी के लिए आवेदन प्रस्तुत किए थे। इसके बाद पुलिस ने विभिन्न कंपनियों के 75 डायरेक्टर और कर्मचारियों को गिरफ्तार भी किया था, लेकिन रिकवरी की दिशा में अब तक कोई ठोस प्रगति नहीं हो सकी है।
पुलिस ने चिटफंड कंपनियों की 3 अरब 39 करोड़ रुपये की संपत्ति का चिन्हांकन किया है, लेकिन इन संपत्तियों की कुर्की की प्रक्रिया वर्षों से अटकी हुई है। अधिकांश संपत्तियां अन्य राज्यों में स्थित होने के कारण कानूनी प्रक्रियाएं जटिल बनी हुई हैं।
इस मुद्दे पर कांग्रेस ने भाजपा सरकार को घेरा है। जिला कांग्रेस अध्यक्ष अनिल शुक्ला ने कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में जनता को राहत दिलाने का प्रयास हुआ था, लोगों ने भरोसे के साथ आवेदन दिए थे, लेकिन सरकार बदलते ही इस दिशा में कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई। आज निवेशक खुद को ठगा महसूस कर रहे हैं।
वहीं, पुलिस प्रशासन का कहना है कि कार्रवाई लगातार जारी है। एडिशनल एसपी के अनुसार, जिले में अब तक 29 मामलों में एफआईआर दर्ज की गई है, जिनमें से 16 मामलों का निराकरण किया जा चुका है। पुलिस ने 22 मामलों में चिटफंड कंपनियों की संपत्तियों का पता लगाकर चिन्हांकन कर लिया है, और अब कुर्की के लिए शासन से निर्देशों का इंतजार किया जा रहा है।
जब तक कुर्की की प्रक्रिया आगे नहीं बढ़ती, तब तक लाखों निवेशक अपनी गाढ़ी कमाई के लौटने की आस में ही बैठे रहेंगे। जनता को न्याय दिलाने के लिए अब शासन और प्रशासन दोनों को ही त्वरित और ठोस कदम उठाने की आवश्यकता है।
चिटफंड कंपनियों से रिकवरी बनी पुलिस के लिए चुनौती
अब तक सिर्फ 10 लाख की वापसी, 85 हजार निवेशक इंतजार में
