खरसिया। नगर की आस्था के मूर्तिमान स्वरूप श्रीराम-जानकी मंदिर में प्रत्येक मंगलवार को सुंदरकांड का पाठ किया जाता है। वहीं इस मंगलवार 120वां सप्ताह रहा, जब सुंदरकांड का पाठ उत्साह एवं भक्तिपूर्वक किया गया। श्रीराम-जानकी सेवा समिति से जुड़ी महिलाओं द्वारा प्रत्येक मंगलवार को श्रीराम-जानकी मंदिर में सुंदरकांड तथा श्रीहनुमान चालीसा, हनुमानाष्टक बजरंगबाण और हनुमान जी की आरती का आयोजन संध्या 5:00 बजे किया जाता है। वहीं आरती के पश्चात खिचड़ी का प्रसाद वितरित किया जाता है जो श्रीराम-जानकी सेवा समिति के सदस्यों द्वारा स्वयं बनाया जाता है। यह सत्य है कि सुंदरकाण्ड का पाठ करने से सभी प्रकार की मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं, साथ ही किसी भी प्रकार की परेशानी या संकट हो, सुंदरकाण्ड के पाठ से वह कष्ट तुरंत ही दूर हो जाता है। सुंदरकांड के पाठ से भूत, पिशाच, यमराज, शनि राहु, केतु, ग्रह-नक्षत्र आदि सभी का भय दूर हो जाता है। सुंदर काण्ड का पाठ सप्ताह में एक बार जरूर करना चाहिए। मंगलवार और शानिवार के दिन तो जरूर करना चाहिए, यह पाठ अत्यंत लाभदायक होता है।
विषम परिस्थितियों से रक्षा करता है सुंदरकांड का पाठ
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार भी विषम परिस्थितियों में सुंदरकांड पाठ करने की सलाह दी जाती है। जीवन में किसी प्रकार की समस्या या तंगी उत्पन्न होती है तो आप संकल्प लेकर लगातार सुंदरकांड का पाठ करें, इससे एक नहीं बल्कि अनेक समस्याओं का समाधान मिलता है। श्रीराम चरित मानस को रचने वाले गोस्वामी तुलसीदास के अनुसार हनुमान जी को जल्द प्रसन्न करने के लिए सुंदरकांड का पाठ एक मात्र रामबाण उपाय माना जाता है, जिससे सुंदरकांड पाठ करने वालों के जीवन में खुशियों का संसार होता है और जीवन सुखमय होता है।
सकारात्मक ऊर्जा का होता है संचार
सुंदरकांड करने वाले व्यक्ति के अंदर सकारात्मक और विचारात्मक ऊर्जा का संचार होने लगता है, वह व्यक्ति किसी भी कार्य में अपनी रुचि दिखाता है तो उसमें सकारात्मक परिणाम मिलते हैं। वहीं सुंदरकाण्ड का पाठ करने से व्यक्ति के मन से भय जाता रहता है और आत्मविश्वास एवं इच्छाशक्ति मजबूत होती है। साप्ताहिक पाठ करने से गृहक्लेश दूर होता है और परिवार में खुशियां बढ़ती हैं। नियमित पाठ करने से कर्ज और रोग से छुटकारा मिलता है और स्वास्थ्यगत पीड़ा से छुटकारा मिलता है।
श्रीराम-जानकी मंदिर में मंगलवार को होगा 121वां सुंदरकांड पाठ
प्रत्येक मंगलवार होता है पाठ
