पखांजुर। बच्चो की बेहतर पढ़ाई और भविष्य को लेकर सरकार नित नए बड़े बड़े वायदे करती है, लेकिन पखांजूर इलाके का कलर कुटनी,विवेक नगर पी. व्ही 89, पी, व्ही 91चितरंजन नगर,कन्हार गाँव,आदि गांवों में पहुंचने पर ऐसा लगता है मानो यह गांव विकास से कोसो दूर है,यहाँ पहुंचने से ऐसा लगता है मानो सरकार की तमाम शिक्षा व्यवस्था ठप दिखाई देती है।यहाँ के बच्चे स्कूल तो जाते है,परंतु स्कूल की छत इनकी नसीब में नही है,स्कूल भवन तो है पर पूरी तरह जर्जर अवस्था मे,जो कभी भी ढह सकती है,इससे बच्चों की जान की ख़तरा बनी हुई है।इसी प्रकार पूरे पखांजुर क्षेत्र में सैकड़ों की संख्या में स्कूल भवन जर्जर अवस्था मे है,और सभी बच्चे जान जोखिम में डालकर पढ़ाई करने में मजबूर है,जर्जर स्कूल भवन की जानकारी स्थानीय नेता विधायक, संसद जनप्रतिनिधियों के होने के बावजूद भी देश के भविष्य के बारे मे न सोचना समझ से परे है।
इस प्रकार ग्राम पंचायत ढोरकट्टा सरकार की तमाम योजनाएं झोपड़ी तक सिमट कर रह गई है,सबसे बड़ी बात की सरकार और संबंधित विभाग ने आजतक जहमत नहीं उठाई की इस गाँव की बुनियादी समस्याओ का समाधान किए जाये,यहीं कारण है की यहाँ की तमाम वें सरकारी सुविधाऐं जो भावनो मे होनी चाहिए वह बांस बल्ली से बने झोपड़ी मे संचालित है।
पालीथीन से बने यह दृश्य को सरकारी सिस्टम को देखने की जरूरत है,वह सरकार की नाकामियों का जीता जागता उदाहरण है,दरसल यह झोपड़ी ग्राम पंचायत ढोरकट्टा का प्राथमिक स्कूल है,जो पिछले पांच वर्षो से इसी पालीथीन की झोपड़ी मे संचालित है,पालीथीन की झोपड़ी के निचे ही कक्षाएं लगती है,मध्यान भोजन भी यहीं बनता है,बारिश के दिनों मे यहाँ भी पानी टपकता है, तेज आंधी तूफान मे छत उड़ जाती है लेकिन कम से कम भवन ढहने का भय नहीं है।
प्राथमिक स्कूल के भवन मे जगह जगह दरारे पड़ चुकी है बारिश मे छत से पानी गिरता है,भवन कब ढह जाये इसकी कोई गारंटी नहीं,विधायक और सांसद समेत संबंधित विभाग को पत्र लिखकर ग्रामीण थक चुके है,लेकिन ज़ब किसी ने इस समस्या की समाधान की ओर कदम नहीं उठाई तो ग्रामीणों ने अस्थाई बांस बल्ली से झोपडी बनाई ऊपर पालीथीन बिछाई ताकि बच्चो की पढ़ाई हो सके,स्कूल मे पहली से पाँचवी तक कक्षाएं लगती है,कुल बच्चो की दर्ज संख्या 30 है,दो शिक्षक पदस्थ है।
समस्या यही नहीं थमती,यहाँ लगने वाला प्राथमिक स्कूल तो झोपड़ी मे लगता ही है, इसके आलावा यहाँ लगने वाला आंगनबाड़ी भी पिछले 6 वर्षो से झोपड़ी मे संचालित है,यहाँ बच्चो की दर्ज संख्या 16 है।आंगनबाड़ी बना जरूर रहा है परन्तु पिछले 4 वर्षो से पूरा नहीं हुआ। मजबूरन 6 वर्ष से झोपड़ी मे आंगनबाड़ी संचालित है,बारिस के समय साँप,बिच्छू जैसे अन्य खतरों से जूझना पड़ता है, विभागीय अधिकारिओ को कई बार अवगत कराया गया लेकिन कोई सुध लेने को तैयार नहीं।
हालांकि इस मामले मे पखांजूर अनुविभागीय अधिकारी टीकाराम देवांगन ने आश्वासन दिया है की प्राथमिक स्कूल की स्वीकृती हेतु जल्द दस्तावेज तैयार करवाया जायेगा एवं पंचायत से बात कर जल्द आंगनबाडी भवन को पूर्ण करने को निर्देशित किए जायेगा ताकि बच्चो को परेशानी न हो। अब देखने वाली बात होगी की जिस समस्या को सरकार और विभाग के नुमाइंदो ने पांच वर्षो तक गंभीरता से नहीं लिया अब क्या सकारात्मक पहल किए जाता है।
जर्जर भवन, तो कही झोपड़ी में सिस्टम, शिक्षा व्यवस्था लाचार, देश की भविष्य से खिलवाड़
