जैजैपुर। सक्ती जिले के ग्रामीण क्षेत्र में दर्राभांठा से भोथिया होते हुए कचंदा तक की सडक़ बदहाली की जीती-जागती तस्वीर बन गई है। करीब 20 किलोमीटर लंबी यह सडक़ गड्ढों और कीचड़ से भरी हुई है, जिससे ग्रामीणों को जान जोखिम में डालकर आवागमन करना पड़ रहा है। इस सडक़ को वर्ष 2003 में प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत बनाया गया था। लेकिन, बीते 22 वर्षों में इसकी मरम्मत नहीं हुई, लगातार शिकायतों, ज्ञापनों और विरोध प्रदर्शनों के बावजूद शासन-प्रशासन की ओर से कोई पहल नहीं की गई है।
जनप्रतिनिधियों ने भी उठाई आवाज़, फिर भी समाधान नहीं
इस सडक़ की हालत को लेकर सिर्फ आम ग्रामीण ही नहीं, जनप्रतिनिधियों ने भी गंभीरता से आवाज़ उठाई है। पूर्व विधायक केशव चंद्रा, रमेश चंद्रा सहित कई नेताओं ने भोथिया से लेकर जांजगीर कलेक्टर कार्यालय तक करीब 50 किलोमीटर का पैदल मार्च कर सडक़ मरम्मत की मांग की थी। इसके बावजूद आज तक इस दिशा में ठोस कदम नहीं उठाया गया।
तहसील, बैंक और स्कूल पहुंचने में परेशानी
भोथिया में तहसील कार्यालय और एसबीआई बैंक की शाखा स्थित है, जहां प्रतिदिन 25 गांवों के हजारों लोग अपने कामों के लिए पहुंचते हैं। खराब सडक़ के कारण रोज़ाना दोपहिया वाहन सवार दुर्घटना का शिकार हो रहे हैं। देखा जाए तो सबसे अधिक परेशानी स्कूली बच्चों को हो रही है, जिन्हें साइकिल से स्कूल आना-जाना पड़ता है। बारिश के मौसम में कीचड़ और जलभराव की वजह से कई छात्र स्कूल तक नहीं पहुंच पाते।
ग्रामीणों में गहरा आक्रोश, आंदोलन का संकेत
सडक़ की हालत से तंग ग्रामीणों में प्रशासन के प्रति आक्रोश बढ़ता जा रहा है। उनका कहना है कि अब सिर्फ आश्वासन नहीं, अमल चाहिए। यदि शीघ्र कार्रवाई नहीं हुई, तो वे बड़े स्तर पर आंदोलन करेंगे।
22 साल से मरम्मत का इंतज़ार करती सडक़ ग्रामीणों की तकलीफ बनी रोज़मर्रा की हकीकत
दर्राभांठा-भोथिया-कचंदा मार्ग की दुर्दशा पर नहीं पड़ा शासन-प्रशासन का ध्यान, जनप्रतिनिधियों ने भी किया था कलेक्टर कार्यालय तक 50 किमी का पैदल मार्च
