रायगढ़। ग्राम पंचायत लाखा के अंतर्गत चिराईपानी से गेरवानी तक की तीन किलोमीटर लंबी जर्जर सडक़ अब स्थानीय जनता के लिए सब्र का इम्तहान बन चुकी है। कीचड़, गहरे गड्ढों और उबड़-खाबड़ रास्ते ने स्कूली बच्चों, बुजुर्गों और मरीजों के लिए इस मार्ग को जानलेवा बना दिया है। सडक़ की दयनीय हालत और स्थानीय उद्योगों की लगातार अनदेखी के विरोध में अब ग्राम पंचायत ने आर्थिक नाकेबंदी की शुरुआत कर दी है, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव का माहौल है।
सडक़ की दुर्दशा- स्कूली बच्चों की पढ़ाई पर संकट
प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के तहत निर्मित यह मार्ग अब पूरी तरह खस्ताहाल हो चुका है। स्कूली बच्चे समय पर स्कूल नहीं पहुंच पा रहे, एंबुलेंस जाम में फंसी रह जाती है और दैनिक आवागमन में ग्रामीणों को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि सरकार शिक्षा और विकास की बातें तो करती है, लेकिन बुनियादी सुविधाओं पर ध्यान नहीं देती।
उद्योगों की भारी गाडिय़ाँ बनीं तबाही की वजह
स्थानीय उद्योगों सुनील इस्पात एंड पॉवर, सालासर स्टील एंड पॉवर, वजरान प्रा. लिमिटेड, महालक्ष्मी कास्टिंग, राधे गोविंद केमिकल्स समेत अन्य कंपनियों के भारी ट्रक और ट्रेलर इस सडक़ पर लगातार दौड़ते हैं, जिससे इसकी हालत बद से बदतर होती चली गई। ग्रामीणों का आरोप है कि इन उद्योगों ने ग्राम पंचायत से आवश्यक नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट लिए बिना ही इस सडक़ का उपयोग किया और मरम्मत की जिम्मेदारी से भी पल्ला झाड़ लिया।
जन चौपाल में मिले आश्वासन भी अधूरे
पिछले वर्ष चिराईपानी में हुई जन चौपाल में ग्रामीणों ने सडक़ के पक्कीकरण की मांग की थी। उद्योग प्रतिनिधियों ने तब मरम्मत और वैकल्पिक पार्किंग की बात कही थी, लेकिन जमीनी हकीकत में कोई बदलाव नहीं हुआ। इससे ग्रामीणों का विश्वास उद्योगों से पूरी तरह टूट चुका है।
्रपंचायत ने दिया था तीन दिन का अल्टीमेटम
ग्राम पंचायत ने आपात बैठक कर उद्योगों को सडक़ सुधार के लिए तीन दिन का अल्टीमेटम दिया था। चेतावनी को नजरअंदाज करने पर पंचायत ने अब सडक़ पर आर्थिक नाकेबंदी की जाएगी। इसके तहत उद्योगों के वाहनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया है। इससे उद्योगों को लाखों रुपये का प्रतिदिन नुकसान हो सकता है।
जर्जर सडक़ को लेकर उद्योगों की बेरुखी
ग्राम पंचायत लाखा में आर्थिक नाकेबंदी, ग्रामीणों का फूटा आक्रोश
