रायगढ़। विश्व हिन्दी अधिष्ठान (न्यास) रायगढ़ द्वारा दिवंगत सुप्रसिद्ध हास्य कवि पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे को भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए देशभर से प्राप्त शोक संदेशों का समाहार किया गया। अधिष्ठान के संस्थापक संयोजक डॉ. मीनकेतन प्रधान ने पद्मश्री सुरेंद्र दुबे की अन्तर्राष्ट्रीय प्रसिद्धि का उल्लेख करते हुए उनके निधन को छत्तीसगढ़ के लिए अपूरणीय क्षति और अत्यंत दु:खद बताया।
छत्तीसगढ़ राजभाषा आयोग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. विनय कुमार पाठक ने श्री दुबे के निधन पर उनके रायपुर निवास में पहुँचकर श्रद्धांजलि सहित गहन शोक व्यक्त किया ।रायगढ़ अंचल के वरिष्ठ साहित्यकार रामभजन पटेल ने उन्हें छत्तीसगढ़ की अस्मिता और गौरव को दिग्दिगंत प्रसरित करने वाले भाई कवि के रूप में रेखांकित किया। रायपुर की प्रतिष्ठित साहित्यकार डॉ. सत्यभामा आडिल और डॉ.उर्मिला शुक्ल ने पद्मश्री दुबे जी के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। बिलासपुर के साहित्यकार डॉ. विनोद वर्मा ने कीर्ति शेष सुरेन्द्र दुबे के निधन को अपूरणीय क्षति बताते हुए विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की है। डॉ.आर. के तम्बोली,डॉ .एस.पी.गुप्ता, वाई.के. पंडा ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें हिंदी साहित्य के एक कीर्ति स्तंभ का अवसान बताया। व्हाट्सएप समूह के ही माध्यम से लखनऊ से चर्चित साहित्यकार डॉ.करुणा पांडे और डॉ. ज्ञानेश्वरी सिंह (पुणे),डॉ.सीमा शर्मा(अमृतसर), डॉ.योगिता वाजपेई कंचन ने स्व .सुरेन्द्र दुबे को हास्य विधा के माध्यम से सामाजिक जीवन मूल्यों को श्रोताओं तक पहुँचाने में उन्हें बेजोड़ कवि बताया।
डॉ. बेठियार सिंह साहू ने अपने सन्देश में घटना को अत्यंत दु:खद बताते हुए कहा कि वे सदैव यादों में जीवन्त रहेंगे, धरा धाम में उनका यश कालजयी बना रहेगा। इतिहास में उनका अहं स्थान सदैव अविस्मरणीय रहेगा। उन्हें छत्तीसगढ़ को देश-दुनिया में गौरवन्वित करने वाली एक महान विभूति के रूप में अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि व्यक्त की। प्रो. सौरभ सराफ ने उनके निधन को हास्य व्यग्य के क्षेत्र में साहित्य जगत के लिए बड़ी क्षति बताया। इसी क्रम में पुष्पांजलि दासे ने कहा कि हमेशा हँसाने वाले आज लाखों लोगों को रुला गए। उन्होंने पद्मश्री दुबे जी की रचनाओं को कालजयी एवं समाज के लिए उपयोगी बताते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित की। इसी क्रम में सुन्दर लाल साहू ने उन्हें एक वैश्विक हास्य कवि के रूप में छत्तीसगढ़ का गौरव निरुपित करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की। अधिष्ठान की सदस्य लता साहू ने उन्हें चिरकाल तक प्रासंगिक बने रहने वाले लोकप्रिय कवि के रूप में याद करते हुए भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की।
पंकज रथ और जगदीश यादव ने इसे अत्यंत दुखद घटना मानते हुए कहा कि स्व. दुबे जी सदैव हंसाते थे इस तरह आज जाना साहित्य और कला जगत के लिए अंतराष्ट्रीय क्षति है। जीवंत जीवट प्रखर व्यंग में महारत हासिल श्री दुबे सदैव जनमानस की स्मृतियों में अमर रहेंगे। इच्छापुरम आंध्रप्रदेश से लिंगम चिरंजीव राव ने अपने शोक सन्देश में कहा कि डॉ. सुरेन्द्र दुबे जी सरल, सहज व्यक्तित्व के हास्य, व्यंग्य क्षेत्र में विशिष्ट हस्ताक्षर रहे, म.प्र. व छत्तीसगढ की शान रहे। रायपुर, बिलासपुर के कार्यक्रमों में विगत चार दशकों में अनेक बार उनकी उपस्थित वाले कवि सम्मेलनों में और टी.वी. पर राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय मंचों पर वर्तमान में ‘वाह वाह क्या बात है’। शैलेश लोढा जी के संचालन में सुनने का सौभाग्य मिलता था। आज उनके निधन की सूचना से एक अपूर्णीय क्षति हिंदी क्षेत्र के लिए महसूस हो रही है। छत्तीसगढ व देश में उनकी पहचान आगे अविस्मरणीय बनी रहेगी। इन्हीं भावनाओं के साथ उन्होंने श्रद्धांजलि अर्पित की। के.एल. खन्डपा ने भी गहन शोक प्रकट किया है। अमित सदावर्ती ने शोक व्यक्त करते हुए स्व.दुबे से पूर्व में हुई मुलाकातों को याद किया। उन्होंने बताया कि सारंगढ़ के कवि सम्मेलन में वे आए थे, बहुत खुशमिजाज और सौम्य व्यक्तिव के धनी थे। विशाखापत्तनम से डॉ. टी. महादेव राव ने गहन शोक दु:ख व्यक्त करते हुए श्रद्धांजलि अर्पित की है। नरेन्द्र पटेल ने अपने सन्देश में कहा है कि छत्तीसगढ़ की माटी से लेकर विश्व मंच तक अपनी विशिष्ट कविताओं से पहचान बनाने वाले महान कवि पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे जी के निधन से पूरा छ.ग. शोकमय है। ईश्वर दिवंगत आत्मा को अपने श्रीचरणों में स्थान दें उनकी कविताएं सदैव हमारे हृदय में जीवित रहेंगी।
मुरली प्रधान ने कहा कि इस दुखद समाचार से आघात लगा।ईश्वर से प्रार्थना है उन्हें अपने श्री चरणों में स्थान दें। चन्द्रिका वैष्णव उनके साहित्यिक व्यक्तित्व को छत्तीसगढ़ की धरोहर बताया ।निर्भय राम गुप्ता ने अत्यंत दुखद और अपूरणीय क्षति बताते हुए श्रद्धांजलि व्यक्त की है।मनहरण सिंह ने स्व.दुबे को महान प्रतिभा सम्पन्न हास्य कवि के साथ मानवीय मूल्यों का पक्षधर रचनाकार बताया ।डॉ.विद्या प्रधान ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए छत्तीसगढ़ का साहित्यिक गौरव बताया( इसी तरह अधिष्ठान से जुड़े निमाई प्रधान,लोचन गुप्ता,हरिशंकर गौराहा,तथागत श्रीवास्तव ,सोनल,जानकी,राजीव गुप्ता आदि सदस्यों कीर्तिशेष पद्मश्री सुरेंद्र दुबे को श्रद्धांजलि अर्पित कर परिजनों के प्रति संवेदना व्यक्त की है। उक्ताशय की जानकारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से अधिष्ठान के संयोजक डॉ. मीनकेतन प्रधान ने जारी की।
पद्मश्री सुरेन्द्र दुबे को विश्व हिन्दी अधिष्ठान ने दी श्रद्धांजलि
