जशपुरनगर। प्राचीन मंदिर से प्रत्येक वर्ष प्रभु जगन्नाथ भगवान बलभद्र जी और सुभद्रा जी की रथ यात्रा हर्ष उल्लास से निकाली जाती है, लगभग 250 वर्ष प्राचीन मंदिर की देखभाल बाला जी ट्रस्ट जशपुर के द्वारा किया जाता है, मंदिर की आस्था लोगों से जुड़ी हुई है कलेक्टर रोहित व्यास ने बुधवार को दुलदुला विकास खंड के ग्राम कस्तूरा में प्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर का अवलोकन किया और मंदिर के कुछ ही दूरी पर स्थित प्राचीन कुआं का जीर्णोद्धार करने के निर्देश दिए हैं। मंदिर समिति के अध्यक्ष कर्णपाल सिंह ने बाजारडांड के लिए सीसी रोड बनवाने की मांग की जिस पर कलेक्टर ने संबंधित अधिकारियों को आवश्यक दिशा-निर्देश दिए हैं। इस अवसर पर सहायक कलेक्टर अनिकेत अशोक, एसडीएम कुनकुरी नन्द पांडे जनपद पंचायत सीईओ कुनकुरी और तहसीलदार राहुल कौशिक उपस्थित थे।
कस्तूरा के प्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर के पंडित मुकेश कुमार दास ने जानकारी देते हुए बताया कि कस्तूरा का मंदिर लगभग 200 से 250 साल पुराना प्राचीन मंदिर है। राज परिवार जशपुर के द्वारा पूर्वजों से इस मंदिर की पूजा अर्चना के साथ संरक्षित किया जा रहा है।
कस्तूरा प्रभु श्री जगन्नाथ मंदिर की आस्था लोगों से जुड़ी हुई है। लगभग 250 साल से ही कस्तूरा से रथयात्रा प्रति वर्ष निकाली जाती है। मंदिर के पुजारी मुकेश कुमार दास ने बताया कि मंदिर की देखरेख और संरक्षण के लिए श्री बाला जी ट्रस्ट जशपुर बनाया गया है। ट्रस्ट के द्वारा जशपुर के 5 मंदिर दुलदुला विकासखंड चराईडांड का एक मंदिर और कस्तूरा का 1 मंदिर कुल 7 मंदिर का देखरेख और संरक्षण संवर्धन किया जा रहा है। पंडित जी का परिवार पूर्वजों से इस मंदिर की पूजा अर्चना करते हुए आ रही है।
कस्तूरा से रथयात्रा ज्येष्ठ पूर्णिमा में प्रभु श्री जगन्नाथ भगवान, बलभद्र और सुभद्रा जी का देव स्नान कराया जाता है। इस दौरान 15 दिनों के लिए मंदिर में दर्शन वर्जित रहता है। क्यों प्रभु जगन्नाथ भगवान बीमार पड़ जाते हैं।
प्रभु जगन्नाथ भगवान को बैंगा के संरक्षण में रखा जाता है। उनकी देखरेख में जड़ी बूटी आयुर्वेद पद्धति से प्रभु को ठीक किया जाता है।
उन्होंने ने बताया कि तत्पश्चात नेत्र उत्सव मनाया जाता है। प्रभु जगन्नाथ भगवान , बलभद्र जी और सुभद्रा जी को स्नान कराया जाता है। तत्पश्चात विधि विधान और मंत्रोच्चार से प्रभु जगन्नाथ भगवान बलभद्र और सुभद्रा जी की रथयात्रा निकाली जाती है। और मौसी बाड़ी में प्रभु जगन्नाथ भगवान को रखा जाता है।
मौसी बाड़ी में 9 दिन रखा जाता है और 10 दिन बाद प्रभु जगन्नाथ भगवान बलभद्र और सुभद्रा जी का रथ अपने मौसी के यहां से वापस आता है और प्रभु श्री जगन्नाथ भगवान, बलभद्र जी और सुभद्रा जी को मंदिर में स्थापित किया जाता है।
कलेक्टर ने कस्तूरा के प्रभु जगन्नाथ भगवान के सबसे प्राचीन मंदिर का अवलोकन किया
