रायगढ़। पितृपक्ष से पूर्व भाजपा की दूसरी लिस्ट हो सकती है जारीरायगढ़ के लिये अभी समय कांग्रेस में रायगढ़ विधानसभा सीट से दावेदारों को लेकर जितनी ऊहापोह की स्थिति निर्मित है उससे कहीं ज्यादा भाजपा में है। पखवाड़े भर पहले ओपी चौधरी के अपनी चुनावी जमीन टटोलने को लेकर हुई बातचीत के आधार पर राजनीतिक पंडितों ने उनके यहां से चुनाव लडऩे की घोषणा तक कर दी। हालांकि ओपी बिना सॉफ्ट सिग्नल के आगे नहीं बढ़े होंगे। उनकी दावेदारी सामने आने के बाद सारे दावेदार खामोश हो गये। बल्कि कुछ अपनों ने ही उन पर दगाबाजी करने के आरोप खुलेआम लगाये।
वर्ग विशेष की बैठक जो पीएम मोदी के कार्यक्रम को लेकर हुई थी वहां के मुखिया ने यह तक कह डाला कि ओपी जी आप मुख्यमंत्री बने हमारी शुभकामनाएं आपके साथ है लेकिन रायगढ़ का विधायक का दावेदार हमारे वर्ग का हो। अब यह बात उन्होंने मजाक में कही या फिर गंभीरता से, लेकिन इसकी चर्चा खूब हुई। रायगढ़ विधानसभा से भाजपा के दावेदार की घोषणा भाजपा सबसे आखरी में करेगी। उससे पहले भाजपा पितृ पक्ष पूर्व अपनी दूसरी लिस्ट जारी करेगी।
भाजपा के विश्वस्त सूत्रों ने बताया कि संघ की मंशा जाने बिना भाजपा ने 21 सीटों पर अपने प्रत्याशियों की घोषणा की थी इसको लेकर संघ में रोष है क्योंकि भाजपा को आगे बढ़ाने में राष्ट्रीय स्वंय सेवक संघ के आनुषांगिक संगठनों का बहुत बड़ा योगदान रहता है। रायपुर के रोहिणीपुरम स्थित संघ के कार्यालय में आरएसएस के राष्ट्रीय सह सर कार्यवाह अरूण कुमार, क्षेत्रिय प्रचारक दीपक विस्पुते, प्रचारक पे्रमशंकर, प्रांत संघ चालक डॉ.पुणेंदू सक्सेना के साथ भाजपा के प्रदेश के संगठन प्रभारी शिव प्रकाश, प्रदेश प्रभारी ओम माथुर, क्षेत्रिय संगठन महामंत्री अजय जामवाल, प्रदेश महामंत्री संगठन पवन साय, भाजपा के सह प्रभारी नितिन नबीन शामिल हुए। इस बैठक में विधानसभा चुनाव को लेकर मंथन किया गया।
सूत्रों की माने तो अब जो भी प्रत्याशी तय होंगे उनमें संघ का सीधे तौर पर दखल होगा। संघ अपने आनुषांगिक संगठनों से प्रत्याशियों का सर्वे या तो करा चुकी है या फिर करा रही हैं। ऐसे में कयास यह लगाये जा रहे हैं कि जो दावेदार संघ की परिपाटी में चला हो या फिर संघ के करीब हो उसकी टिकट पक्की हो सकती है। क्योंकि संघ जिताऊ उम्मीदवार वाले फॉर्मूले पर भरोसा नहीं करती उसे अपनी विचारधारा और वैचारिक सुदृढ़ता वाले उम्मीदवार को आगे लायेगी। इस कयास के बाद अब रायगढ़ समेत पूरे प्रदेश में संघ से जुड़े उम्मीदवारों-कार्यकर्ताओं में एक नया जोश भर गया है। संघ से जुड़े एक पदाधिकारी बताते हैं कि भाजपा संगठन हमेशा से अपने कार्यकर्ताओं को बताता रहा है कि आप जमीन से जुड़े और लोगों के साथ मिलकर आगे बढ़े। बड़े-बड़े बैनर, पोस्टर सिर्फ दिखावा है इससे आपके आसपास के लोग प्रभावित होंगे संगठन नहीं। संघ हमेशा से अपने कर्मठ और जुझारू लोगों को उसका प्रतिसाद देता है। रघुवर दास, मनोहर लाल खट्टर और समीप जाये तो जशपुर के रवि भगत व बिलासपुर के अरूण साव क्या इन्होंने कभी पोस्टरवार में भाग नहीं लिया और भाजपा संगठन ने इन्हें संघ की अनुसंशा पर यथोचित सम्मान दिया अर्थात आप कर्म करते रहिये फल की चिंता न करिये। फल की लालसा में किया कर्म संघ में व्यर्थ है।
बहरहाल इस एंगल से देखे तो रायगढ़ विधानसभा क्षेत्र के उम्मीदवारों में बैचेनी बढऩी लाजमी है क्योंकि जो प्रमुख दावेदार हैं वे तो संघ के एक इंच भी समीप कभी नहीं रहे। संभव है भाजपा को लेकर समीकरण जरूर बदलेंगे और इस बात के बाद एक बार फिर से भाजपा में दावेदारी की होड़, बयानबाजी, प्रेस विज्ञप्ति, पोस्टरबाजी और फोटो सेशन चरम पर होगा क्योंकि अभी तक भाजपा ने ओपी को अपना आधिकारिक दावेदार घोषित नहीं किया है जिसे घोषित होने में अभी दिवाली तक का समय है। अब जब संघ का एंगल आया है तो सेफ सीट की तलाश पर सेंध जरूर लगेगी। अंतत: दो महीना पहले सर संघ संचालक मोहन भागवत जशपुर आये थे और बहुरानी को आशीर्वाद देकर गये। जिसके कारण ही रायगढ़, चंद्रपुर और खरसिया का समीकरण अचानक से बदल गया। अभी आने वाले समय में कई सारे ट्विस्ट आयेंगे क्योंकि भाजपा किसी भी कीमत पर छत्तीसगढ़ फतह करना चाहती है जिसके लिये उसने कमर कस ली है।
ओपी को लेकर चूक तो नहीं गई भाजपा
फिलहाल ओपी चौधरी भाजपा के पोस्टर बॉय तो हैं ही साथ ही साथ दिग्गज नेता और चाणक्य भी हैं। उनको लेकर भाजपा ने कहीं चूक तो नहीं कर दी ऐसा कई वरिष्ठ भाजपाई मानते हैं। उनका कहना है कि संघ के चंद्रपुर में दखल देने के बाद भाजपा ने हड़बड़ी में खरसिया से दूसरे प्रत्याशी को घोषित किया। क्योंकि ओपी के कारण चंद्रपुर, खरसिया और रायगढ़ सीट लटकी हुई थी। चंद्रपुर जब ओपी के हाथ से निकला तब रायगढ़ सीट जो भाजपा के लिये संगठन सुरक्षित मानता है वहां से उन्हें लडऩे पर विचार किया और खरसिया से उनका ध्यान हटा दिया पर जैसे रायगढ़ सीट की घोषणा सबसे आखरी में होती तो उसके साथ ही खरसिया सीट वर्तमान उम्मीदवार के नाम को ही घोषित करते तो अभी की छिछालेदर से बचा जा सकता था। फिलहाल अभी के चुनावी समर में जितनी मुंह उतनी बातें कोई किसी को सच मान रहा तो किसी को।
संघ की पसंद पर संभव है भाजपा उम्मीदवार
