रायगढ़। शहर के प्रतिष्ठित व्यक्ति शशि – मणिशंकर पांडेय के निवास स्थान शंकर नगर धांगरडीपा में विगत 7 अप्रैल से चैत्र मास के पावन महीना में बड़ी श्रद्धा व उत्साह के साथ श्री पांडेय परिवार की पहल से श्री शिव पुराण कथा का सात दिवसीय संगीतमयी आयोजन भव्यता के साथ किया जा रहा है। वहीं व्यासपीठ पर विराजित हैं। मानस रसिक, मानस मराल श्री द्वारिकाधीश मंदिर सारंगढ़ के विद्वान पं गिरधारी लाल तिवारी। जो बड़े ही सहज सरल ढंग से भगवान श्री शिव जी की अमृतमयी कथा का रसपान निसदिन दोपहर तीन बजे से भगवान श्री शिव की इच्छा समय तक करा रहे हैं। वहीं कथा स्थल में भगवान शिव की कथा श्रवण कर रहे उपस्थित सभी श्रद्धालुगण पुलकित हो रहे हैं।
आज होगा जालंधर प्रादुर्भाव
भगवान श्री शिव पुराण कथा प्रसंग के अंतर्गत पावन कथा स्थल में भगवान श्री गणेश, भगवान कार्तिकेय जन्म रहस्य कथा के पश्चात आज 13 अप्रैल को रविवार जालंधर प्रादुर्भाव, त्रिपुरासुर वध, द्वादश ज्योर्तिलिंग महिमा, 14 को ज्योर्तिलिंग महिमा व 15 अप्रैल दिन मंगलवार को हवन पुर्णाहुति, सहस्त्रधारा, ब्राम्हणभोज, महाप्रसाद का भव्य आयोजन। वहीं कथा स्थल में प्रतिदिन श्रद्धालुओं की भीड़ उमड़ रही है।
भव्यता देने में जुटे श्रद्धालुगण
सात दिवसीय पावन संगीतमयी भगवान श्री शिव पुराण कथा के भव्य आयोजन को भव्यता देने में कथा यजमान शशि-मणिशंकर पाण्डेय, संगीता-अचल पाण्डेय, आयु पाण्डेय अनुभा-घनश्याम दुबे अंकिता-रमेश उपाध्याय सविता-लोकनाथ केशरवानी सौम्य, वांछा (न्यासा), सजल, नंदकुमार पाण्डेय, सतीश पाण्डेय, रविशंकर, उमाशंकर, सुकांत, अमित, विकास, विवेक, सूर्यप्रकाश, कौस्तुभ, दिव्यांश, शुभ, विभू एवं समस्त पाण्डेय परिवार के श्रद्धालुगण जुटे हैं। वहीं श्री पांडेय परिवार ने सभी शिव भक्तों से कथा स्थल में पधारकर शिव तत्व ग्रहण कर पुण्य के भागी बनने का निवेदन किया है।
भगवान गणेश व कार्तिकेय कथा
आज भगवान शिव कथा के अंतर्गत पं गिरधारी तिवारी ने उपस्थित श्रद्धालुओं को भगवान गणेश व कार्तिकेय की कथा का रसपान विस्तार से कराते हुए कहा कि भगवान कार्तिकेय शिव जी के ज्येष्ठ पुत्र हैं। उन्हें स्कंद भी कहा जाता है। चूंकि भगवान स्कंद का पालन पोषण छह कृतिकाओं ने किया इसीलिए कृतिकाओं द्वारा पालन पोषण किये जाने के कारण ही आगे चलकर इनका नाम भगवान कार्तिकेय पड़ा।वहीं विघ्नहर्ता भगवान गणेश जी के जन्म की कथा सुनाते हुए कहा कि भगवान गणेश जी का जन्म माता पार्वती जी के शरीर के मैल से हुआ है।भगवान गणेश जी का सिर भगवान शिव जी ने काट डाला था।पुत्र का सिर अपने पति द्वारा काट डालने से जब पार्वती अत्यधिक क्रोधित हो उठीं तब भगवान शिव ने हाथी का सिर काटकर भगवान गणेश जी के धड़ में लगा दिया। वहीं गणेश जी का वास्तविक सिर चंद्रदेव अपने पास उठा ले गए।इसी कारण गणेश चतुर्थी का व्रत करने पर माताओं के द्वारा चंद्रमा का दर्शन करके अर्ध्य देने की परंपरा बनी है।माताएं अपने पुत्रों की दीर्घायु के लिए अर्ध्य देकर गणेश जी के वास्तविक स्वरूप की पूजा करती हैं।इसीलिए माताओं द्वारा किये व्रत से उनके पुत्रों की रक्षा होती है। इस तरह से कथा स्थल में भगवान शिवकथा की धारा बह रही है। जिसमें श्रद्धालुगण डूबकी लगा रहे हैं साथ ही मधुर भजन गीतों के संग आनंदित होकर झूम रहे हैं।
कल्याण के देव हैं भगवान गणेश और कार्तिकेय : पं. गिरधारी तिवारी
शंकर नगर धांगरडीपा में भव्य श्री शिव पुराण कथा का आयोजन
