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NavinKadam > रायगढ़ > रायगढ़ को ‘नालंदा परिसर’ नहीं, अपनी सांस्कृतिक पहचान चाहिए : रुसेन कुमार
रायगढ़

रायगढ़ को ‘नालंदा परिसर’ नहीं, अपनी सांस्कृतिक पहचान चाहिए : रुसेन कुमार

मुकुटधर पांडेय, किशोरीमोहन त्रिपाठी और महाराजा चक्रधर सिंह, दानवीर किरोड़ीमल शिक्षा परिसर बने

lochan Gupta
Last updated: February 2, 2025 12:25 am
By lochan Gupta February 2, 2025
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4 Min Read

रायगढ़। नगर निगम चुनाव में महापौर पद के उच्च शिक्षित प्रत्याशी रुसेन कुमार ने रायगढ़ को ‘छत्तीसगढ़ की पूर्वी दिशा में स्थित शिक्षा नगरी’ के रूप में विकसित करने की अपनी प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने कहा कि रायगढ़ की शिक्षा और संस्कृति को उसकी स्थानीय विरासत और महापुरुषों से जोडऩा आवश्यक है, न कि छत्तीसगढ़ और रायगढ़ के बाहर के प्राचीन नालंदा जैसे प्रतीकों से।
रायगढ़ को अपनी सांस्कृतिक पहचान बचानी होगी। रुसेन कुमार ने रायगढ़ के मरीन ड्राइव क्षेत्र में प्रस्तावित ‘नालंदा परिसर’ की अवधारणा को शानदार बताते हुए नामकरण को लेकर सवाल उठाया है। कहा जा रहा है कि यह प्रदेश की सबसे बड़ी और अत्याधुनिक लाइब्रेरी होगी, जहाँ छात्रों को विश्वविद्यालयों जैसी सुविधाएँ मिलेंगी। यहाँ इकोसिस्टम होगा, जिससे रायगढ़ के छात्र राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा के लिए खुद को तैयार कर सकेंगे, यह अच्छी बात है लेकिन हमें हर कार्य में, परियोजना में स्थानीय सांस्कृतिक और साहित्यिक विरासत के संदर्भ को ध्यान में रखना चाहिए। उन्होंने इस नालंदा परियोजना के नाम पर सवाल उठाते हुए कहा, रायगढ़ की शिक्षा और संस्कृति से जुड़ी प्रत्येक विकास परियोजना स्थानीय महापुरुषों की विरासत को आगे बढ़ाने वाली होनी चाहिए। हमें नालंदा परिसर नहीं, बल्कि ‘मुकुटधर पांडेय परिसर’, ‘किशोरीमोहन त्रिपाठी परिसर’ या ‘महाराजा चक्रधर सिंह परिसर’ ‘दानवीर किरोड़ीमल’ जैसे नामों को प्राथमिकता देनी चाहिए। रायगढ़ की पहचान इन महापुरुषों से जुड़ी है, हमें इसे सहेजना होगा। रुसेन कुमार ने इस विषय पर अपनी स्पष्ट राय रखते हुए कहा, ‘हम रायगढ़ के विकास में कोई कमी नहीं करेंगे, लेकिन हमें यह भी देखना होगा कि हमारी महान परियोजनाएँ हमारी पहचान को मजबूत करें। नालंदा का महत्व अपने स्थान पर है, लेकिन रायगढ़ को अपने महापुरुषों की पहचान को बचाकर आगे बढऩा चाहिए। हमें नालंदा परिसर की नहीं, बल्कि मुकुटधर पांडेय, किशोरीमोहन त्रिपाठी और महाराजा चक्रधर सिंह, दानवीर किरोड़ीमल परिसर की जरूरत है।’
स्थानीय ऐतिहासिक महापुरुषों की विरासत को मिले सम्मान
रुसेन कुमार ने कहा कि रायगढ़ केवल एक ऐतिहासिक नगर नहीं, बल्कि धर्मनिष्ठ, सांस्कृतिक और साहित्यिक धरोहरों का संगम है। यहाँ मुकुटधर पांडेय, किशोरीमोहन त्रिपाठी और महाराजा चक्रधर, सिंह दानवीर किरोड़ीमल जैसे महान विभूतियों की जन्म स्थली और कर्मभूमि है। उनके योगदान को भुलाकर किसी बाहरी ऐतिहासिक संदर्भ को अपनाना उचित नहीं। उन्होंने कहा, ‘हमारी संस्कृति की नींव हमारे महापुरुषों पर टिकी है। रायगढ़ की शिक्षा प्रणाली को इनकी विरासत से जोडक़र ही भविष्य की योजनाएँ बनाई जानी चाहिए। इससे न केवल स्थानीय पहचान को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि आने वाली पीढिय़ाँ अपने गौरवशाली अतीत से प्रेरणा भी लेंगी।’ रायगढ़ को छत्तीसगढ़ की शिक्षा नगरी बनाएंगे- महापौर प्रत्याशी ने यह भी कहा कि वे रायगढ़ छत्तीसगढ़ की पूर्वी शिक्षा नगरी के रूप में विकसित होने के लिए उपयुक्त शहर है।
जनता से राय लेकर किया जाएगा नाम परिवर्तन
रुसेन कुमार ने कहा कि वे इस विषय पर जनता से चर्चा, संवाद और गहन विचार-विमर्श किया जाएगा और यदि रायगढ़ की जनता इस परियोजना के नाम में बदलाव चाहती है, तो इसे बदलकर स्थानीय सांस्कृतिक प्रतीक और नामों से जोड़ा जाएगा। उन्होंने कहा कि रायगढ़ के इतिहास और विरासत को मजबूत करना हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी। अब यह देखना होगा कि रायगढ़ की जनता इस विषय पर क्या प्रतिक्रिया देती है। महापौर पद के प्रत्याशी के रूप में रुसेन कुमार का यह विचार न केवल एक प्रशासनिक पहल, बल्कि रायगढ़ की सांस्कृतिक अस्मिता को सुरक्षित रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है।

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