रायगढ़। देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की पूजा को लेकर नगर सहित अंचल में काफी तैयारी चल रही है, इसके लिए विगत सप्ताहभर से पंडाल सहित साज-सज्जा भी जारी थी। वहीं शनिवार को बाजार में काफी चहल-पहल रही ताकि रविवार को सुबह से ही पूरी विधि-विधान से देव शिल्पी को स्थापित कर पूजा-अर्चना किया जाएगा।
उल्लेखनिय है कि हर साल 17 सितंबर को देवशिल्पी भगवान विश्वकर्मा की धूमधाम से पूजा-अर्चना की जाती है, जिसको लेकर इस साल भी मोटर गैरेज व प्लांटों में पूजा-पाठ को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है। वहीं विगत सप्ताहभर पहले से ही पंडाल व मोटर गैरज सहित लोहा दुकानों में साफ-सफाई का दौर चल रहा था, जो अब पूरा हो चुका है, ऐसे में इस बार छोटे-बड़े मोटर गैरज, संस्थानों, आरा मील, पावर प्लांट, स्टील प्लांट व सरकारी दफ्तरों मे भी भगवान विश्वकर्मा जी की प्रतिमा को स्थापित किया जाएगा। वहीं गैरेज संचालकों का कहना है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा विधि-विधान से करने से पूरे साल अच्छी कमाई होती है, जिसको लेकर सभी गैरेज संचालक हर साल 17 सितंबर को अपने प्रतिष्ठान में पूरे दिन सिर्फ पूजा-पाठ ही करते हैं, इस दिन किसी भी तरह के कार्य नहीं होता हैं। जिसको लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है।
बाजार में रही चहल-पहल
रविवार को विश्वकर्मा जयंती होने के कारण शनिवार को बाजार में पूरे दिन चहल-पहल का माहौल देखा गया, इस दौरान फल-मिठाई सहित पूजा सामनों की जमकर बिक्री हुई। जिससे शहर में चहल-पहल का माहौल देखा गया। बताया जा रहा है कि रविवार को सुबह से ही पूजा-पाठ का दौर शुरू हो जाएगा, जिसके चलते एक दिन पहले ही लोगों ने खरीदी कर ली है, ताकि दिक्कतों का सामना न करना पड़े।
प्रतिमा का भी हुई अच्छी बिक्री
शहर में इस बार तीन-चार स्थानों में भगवान विश्वकर्मा की प्रतिमा तैयार की गई, जिसके लिए पहले से आर्डर भी दिया गया था। हालांकि इस बार प्रतिमाओं का भी रेट काफी बढ़ा हुआ है, जिससे छोटी प्रतिमाओं का ज्यादा मांग रहा। वहीं मूर्तिकारों का कहना था कि लेबर चार्ज व मटेरियल का रेट बढ़ जाने के कारण मूर्ति को अधिक रेट पर बेचना पड़ रहा है। जिससे लोग छोटी प्रतिमाओं का ही ज्यादा डिमांड कर रहे हैं। हालांकि विश्वकर्मा जयंती को लेकर लोगों में काफी उत्साह देखा जा रहा है, जिससे अच्छी-खासी बिक्री हुई है।
यह है मान्यता
मान्यता है कि भगवान विश्वकर्मा की पूजा करने से सुख, समृद्धि में वृद्धि होती है, ऐसे में जयंती के दिन इंजीनियरींग, शिल्पकार, बुनकर, गैरेज संचालक, प्लांट संचालक विधि-विधान से पूजा करते हैं। साथ ही विश्वकर्मा वाले दिन औजारों और मशीनों की पूजा कर देवशिल्पी से यह निवेदन किया जाता है कि हमारी मशीनें बिना किसी रुकावट के निरंतर चलती रहे, साथ ही भगवान श्विकर्मा को दुनिया के निर्माता माना गया है। जिससे इनकी पूजा पूरी निष्ठा के साथ करने से मनवांछित फल की प्राप्ति होती है।