पखांजुर। ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन ने पखांजुर नेताजी सुभाषचंद्र बोस स्टेडियम में पंजाब केसरी लाला लाजपत राय एवं सरदार अजीत सिंह की 96 वीं एवं 77वीं पुण्यतिथि श्रद्धापूर्वक मनाई गई। लाजपत राय का छायाचित्रों पर माल्यार्पण एवं फुल चड़ाकर श्रद्धांजलि दी। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री कृषिमंत्री, राज्यपाल, मुख्यमंत्री आदि के नाम पर अनुविभागीय अधिकारी कार्यालय लेखापाल के हाथो ज्ञापन सौपा।
ज्ञापन में माग किया है कि? समर्थन मूल्य में धान एवं मक्का खरिदी विषयक नियमानुसार खरीदी करे।और सूखत के नाम पर अतिरिक्त धान किसानों से लेना बंद करे,नापतौल हेतु नगद राशि बसुलना बंद करें।?कृषि उपज के थोक व खुदरा व्यापार को सरकार सम्पूर्ण रूप से अपने हाथ में ले और सी 2+50 प्रतिशत की एमएसपी दर पर खरीद करने का गारंटी कानून बनाये।? खाद, बीज, कीटनाशी आदि कृषि उपयोगी बुस्तुए सस्ती करों।? ग्रामीण पुरे साल काम दो, किसानों का कर्ज माफ, 60 वर्ष उम्र होने पर 10,000 रु. पेंशन दो।?बिजली बिल-2023 व स्मार्ट मीटर स्कीम रद्द करें।? नदी, नाला में स्टप डैम, लिफ्ट इरिगेशन, सर्वजनिन वोर, सिंचित तालाब निर्माण आदि से खेतों में सिंचाई हेतु पानी दो? पांच एचपी तक का बकाया बिजली बील माफ करों आदि मांगे पूरी करने कि अपील की। सभा संबोधित करते हुए ब्लॉक अध्यक्ष मिस्त्री, सचिव अनिमेष विश,कोषाध्यक्ष महेश मण्डल, रशोमय मण्डल आदि ने कहा है कि ‘पगड़ी संभाल जट्टा’ आंदोलन के नेता लाला लाजपत राय जन्म से ही विलक्षण प्रतिभा के थे और गैर समझौतावादी धारा केमहानायकों में से थे। तत्कालीन ब्रिटिश सरकार ने निर्जन क्षेत्रों में बस्तियां बसाने के लिए चिनाब नदी से लायलपुर (अब पाकिस्तान में तक पानी लाने के लिए एक नहर का निर्माण किया था।
सरकार ने जालंधर, अमृतसर और होशियारपुर के किसानों और भूतपूर्व सैनिकों को कई सुविधाओं के साथ-साथ मुफ्त जमीन देने का वादा करके उन्हें वहां बसने के लिए राजी किया था। इन जिलों के किसान अपनी जमीन और संपत्ति छोडक़र नए इलाकों में आकर बस गए और बंजर जमीन को खेती के लायक बनाने के लिए कड़ी मेहनत की लेकिन, जैसे ही उन्होंने यह कार्य पूरा किया ब्रिटिश सरकार ने उपजाऊ जमीन पर किसानों को मालिकाना हक से वंचित करने और उस पर अपना मालिकाना हक घोषित करने के लिए उपनिवेशीकरण अधिनियम और दोआबा बारी अधिनियम लागू कर दिया। नए कानूनों ने किसानों को महज बटाईदार बना दिया। उस जमीन पर झोपड़ी बनाने या उक्त जमीन को बेचने और खरीदने का अधिकार भी उन्हें नहीं दिया गया।
इससे बड़े पैमाने पर किसान भडक़ गए और स्वत: ही सडक़ों पर उतर आए। सरदार अजीत सिंह और लाला लाजपत राय ने इन किसानों को संगठित किया और उन्हें एक दिशा दी। 9 मई 1907 को लाला लाजपत राय को गिरफ्तार कर बर्मा की मांडले जेल में भेज दिया। कुछ दिन बाद सरकार ने 2 जून 1907 को सरदार अजीत सिंह को भी गिरफ्तार कर उसी जेल में भेज दिया। इस विशाल किसान आंदोलन के परिणाम स्वरूप और सेना में विद्रोह के डर से ब्रिटिश सरकार ने अधिनियमों को वापस ले लिया और किसानों को मालिकाना हक दे दिया तथा सरदार अजीत सिंह और लाजपत राय को अक्टूबर 1907 में मांडले जेल से रिहा कर दिया। किसान आंदोलन विजय हुआ। सरदार अजीत सिंह और लाला लाजपत राय हमारे इन दो राष्ट्रीय नायकों के नेतृत्व में इस आंदोलन ने हमें मेहनतकश किसानों के हित के लिए लडऩे का रास्ता दिखाया।
उनके पद चिन्हों पर चलते हुए कामरेड शिवदास घोष की शिक्षाओं को अपने दिल में लेकर ऑल इंडिया किसान खेत मजदूर संगठन के हम कार्यकर्ता देश-विदेश की बहुराष्ट्रीय कंपनियों के खिलाफ लंबी लड़ाई संगठित करने की पूरी कोशिश कर रहे हैं। जीत हमारी होगी। हम लड़ेंगे हम जीतेंगे। पान्डूराम नेताम, पेका, महेश, मनिन्द्र, अनिमेष, उत्तम, रशोमय, अभिमन्यु आदि उपस्थित रहे।
पंजाब केसरी लाला लाजपत राय का पुण्यतिथि एआईकेकेएमएस ने श्रद्धापूर्वक मनाएं
