रायपुर। छत्तीसगढ़ और झारखंड में शराब घोटाला मामले में ईडी की टीम ने एक साथ छापेमारी की है। बताया जा रहा है कि रायपुर के अशोका रतन में रहने वाले एक बार संचालक के घर पर छापा पड़ा है। सुबह-सुबह श्वष्ठ की टीम बार संचालक के ठिकाने पर घुसी है। बताया जा रहा है कि झारखंड में हुए शराब घोटाले मामले में छत्तीसगढ़ में बैठकर नीति तय की गई थी। ऐसे में आबकारी विभाग के अधिकारियों और पूर्व अधिकारियों पर भी इसमें करवाई की बात सामने आ रही है, लेकिन इसकी आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है। झारखंड के पूर्व उत्पाद (आबकारी) सचिव आईएएस विनय चौबे, और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह से जुड़े रांची और रायपुर के करीबियों को ईडी ने घेरा है। रायपुर में अशोका रतन निवासी बार कारोबारी राठौर के ठिकाने पर जांच चल रही है। राठौर कटोरा तालाब स्थित एक बार का संचालक हैं। छत्तीसगढ़ पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा ईओडब्ल्यू ने पहले ही इस मामले में उत्पाद विभाग के तत्कालीन सचिव विनय कुमार चौबे और संयुक्त सचिव गजेंद्र सिंह के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। रांची के विकास कुमार ने प्राथमिकी दर्ज कराने को लेकर आवेदन दिया था।
इसके बाद रायपुर में प्राथमिकी दर्ज हुई। आवेदन में बताया गया था कि शराब घोटाले की पूरी साजिश रायपुर में रची गई आबकारी नीति में फेरबदल कराया। नई एफआईआर में झारखंड के ढ्ढ्रस् विनय कुमार चौबे, गजेंद्र सिंह, छत्तीसगढ़ के रिटायर्ड ढ्ढ्रस् अनिल टुटेजा के अलावा झारखंड में शराब आपूर्ति, मैनपावर और होलोग्राम बनाने वाली कंपनियों को भी आरोपी बनाया गया है। यह स्नढ्ढक्र भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 420, 120 बी के तहत की गई है। छत्तीसगढ़ में शराब कारोबार के जरिए अवैध कमाई करने वाले सिंडिकेट से कथित तौर पर जुड़े रिटायर्ड ढ्ढ्रस् अनिल टुटेजा, अनवर ढेबर समेत अन्य ने झारखंड में भी कारोबार के लिए जनवरी 2022 में विनय कुमार चौबे समेत अन्य आबकारी अफसरों के साथ मिलकर शराब बिक्री का नियम बनवाया।
छत्तीसगढ़ स्टेट मार्केटिंग कॉर्पोरेशन के एमडी अरुणपति त्रिपाठी को झारखंड में कंसल्टेंट बनाया गया। इसके लिए त्रिपाठी को 1.25 करोड़ का भुगतान किया गया। विनय चौबे, गजेंद्र सिंह ने सिंडिकेट को लाभ दिखाने के लिए मदिरा सप्लाई एजेंसी और प्लेसमेंट एजेंसियों के लिए निविदा शर्त में 100 करोड़ के टर्नओवर की शर्त डाली। एफआईआर में जिक्र है कि, शराब सिंडिकेट की आपराधिक साजिश के कारण झारखंड को 2022-23 में राजस्व का भारी नुकसान हुआ। शिकायत के बाद हुई शुरुआती जांच में पाया है कि नियम में फेरबदल कर शराब कंपनियों से करोड़ों का कमीशन लिया गया। यह भी कहा गया है कि, पूर्व में जांच के दौरान सिद्धार्थ सिंघानिया नाम के कारोबारी के कब्जे में डायरी मिली थी। इस डायरी में छत्तीसगढ़ की तरह झारखंड में शराब कारोबार में कब्जे की योजना दर्ज थी।
शराब घोटाला मामले में ईडी का छापा, बार संचालक के ठिकाने पर घुसी टीम
रची गई थी आबकारी नीति में फेरबदल करने की साजिश
