नई दिल्ली/रायपुर। केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह मंगलवार को साइबर सुरक्षा से जुड़े हुए चार कार्यक्रमों का उद्घाटन करेंगे. इनमें से एक है ‘साइबर कमांडो’ प्रोग्राम गृह मंत्रालय एक साल से ज्यादा से इस कार्यक्रम पर काम कर रहा था. एनडीए सरकार के तीसरी बार सत्ता में आने के बाद मंत्रालय ने इसे अपने 100-दिवसीय एजेंडा में भी शामिल किया था. अब मंत्रालय 100 दिन पूरे होने से पहले ही इसका उद्घाटन कर रहा है.
क्या है नया साइबर कमांडो प्रोग्राम, कैसे हुई शुरुआत?
गृह मंत्रालय की ओर से जारी विज्ञप्ति के अनुसार ‘साइबर कमांडो प्रोग्राम’ के तहत देश में साइबर सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और केंद्रीय पुलिस बलों में साइबर कमांडो स्पेशल विंग तैयार किए जाएंगे. डिजिटल स्पेस को सुरक्षित बनाने में पुलिस की मदद करना इन साइबर सैनिकों का काम होगा.
साइबर कमांडो कार्यक्रम का जिक्र सबसे पहले जनवरी 2023 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुंह से सुनने को मिला था. पीएम मोदी ने डीजीपी/ आईजीपी की बैठक में कहा था कि इस तरह के एक यूनिट का गठन होना चाहिए. इसके बाद गृह मंत्रालय ने अक्तूबर 2023 में सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों से 10 ‘साइबर कमांडो’ चुनने के लिए कहा था. इसके अनुसार पहले बैच में देशभर से करीब 350 साइबर कमांडो ट्रेन किए जाएंगे।
कैसे दी जाएगी ट्रेनिंग?
गृह मंत्रालय ने प्रोग्राम के पहले बैच के लिए चुने गए 350 पुलिसकर्मियों को ट्रेनिंग देने के लिए अगस्त 2024 में आईआईटी और आईआईआईटी के साथ समझौते पर हस्ताक्षर किए थे. इस प्रोग्राम के लिए पुलिसकर्मियों को राष्ट्रीय पुलिस अकादमी में तो प्रशिक्षण दिया ही जाएगा। साथ ही आईआईटी कानपुर, आईआईटी मद्रास, आईआईटी कोट्टायम, आईआईआईटी नया रायपुर, आरआरयू गांधीनगर और एनएफएसयू दिल्ली को भी साइबर सैनिकों के पहले बैच को ट्रेन करने के लिए कहा गया है.
कैसे काम करेंगे साइबर कमांडो?
इन प्रशिक्षण केंद्रों में कमांडो साइबर सुरक्षा और डिजिटल फोरेंसिक्स की ट्रेनिंग हासिल करेंगे. इनके काम करने का तरीका भी साइबर पुलिस थानों में मौजूद पुलिसकर्मियों से अलग होगा. साइबर पुलिस कर्मी जहां पीडि़तों की शिकायत पर कार्रवाई करते हैं, वहीं ये कमांडो साइबर सुरक्षा के खतरों से निपटेंगे. साइबर कमांडो घटना के बाद प्रतिक्रिया देने के बजाय संभावित साइबर खतरों को खोजेंगे और उनका मुकाबला करेंगे। लगातार सामने आने वाले नए डिजिटल खतरों और स्कैम्स पर नजर रखना उनका काम होगा. उनका लक्ष्य इनका विश्लेषण करके इन्हें बेअसर करना होगा. सनद रहे कि गृह मंत्रालय इन देश में तेजी से फैल रहे साइबर अपराध एपिडेमिक को रोकने के लिए ये कदम उठा रहा है. साल 2024 के शुरुआती चार महीनों में ही साइबर फ्रॉड करने वाले भारतीयों को 1750 करोड़ रुपए का चूना लगा चुके हैं।
साइबर ठगों की आई शामत
अब गृह मंत्रालय तैयार करेगा साइबर कमांडो
