धरमजयगढ़। जिले में आरटीआई एक्ट के तहत मांगी गई एक जानकारी को लेकर एसईसीएल प्रबंधन द्वारा जिस तरह का रवैया अपनाया जा रहा है वह बिलकुल भी अप्रत्याशित नहीं है। क्योंकि इस मामले में एसईसीएल प्रबंधन द्वारा पहले भी भ्रामक जानकारी का सहारा लिया गया है। एसईसीएल ने आरटीआई एक्ट के तहत लिखित जानकारी उपलब्ध कराते हुए कहा है कि परियोजना में प्रभावित राजस्व भूमि होने के कारण ग्राम पंचायत की एनओसी जरुरी नहीं है।
अब प्रबंधन द्वारा एक अन्य मामले में जो सूचना दी गई है वह भी पूरी तरह से भ्रमित करने वाला है। आरटीआई के इस मामले में एसईसीएल प्रबंधन ने पहले पत्र लिखकर आवेदक को जानकारी उपलब्ध कराई कि वृहद जानकारी होने के कारण प्रदान किया जाना संभव नहीं है। अत: आवेदक कार्यालय में उपस्थित हो कर अवलोकन कर सकते हैं। जिसके बाद इस सूचना के लिए आवेदक द्वारा दस्तावेजों के अवलोकन हेतु दिन, तिथि और समय निर्धारित करने के लिए प्रबंधन को पत्र लिखा गया। जिसके तारतम्य में अब एसईसीएल प्रबंधन द्वारा कहा गया है कि इस मामले में आवेदक को 2 पेज की सूचना उपलब्ध करा दी गई है। इस तरह एसईसीएल प्रबंधन द्वारा खुद के भेजे गए पत्र को नकारते हुए 2 पेज की सूचना उपलब्ध करा दिए जाने की बात कही जा रही है। एसईसीएल प्रबंधन द्वारा यह सब कुछ जानबूझकर किया जा रहा है। हालांकि मैनेजमेंट ने लिखा है कि आवेदक के तिथि समय निर्धारित किए जाने संबंधी पत्र से संबंधित कोई भी जानकारी चाहते हैं तो इस कार्यालय को पूर्व सूचना देते हुए कार्यालयीन समय में आकर संबंधित दस्तावेजों का आवलोकन कर सकते हैं। बता दें कि आरटीआई एक्ट के प्रावधान के मुताबिक अवलोकन हेतु दिन समय और तिथि निर्धारित करने की जिम्मेदारी संबंधित पीआईओ की होती है। मामला रायगढ़ जिले के छाल एसईसीएल सब एरिया में विस्तार परियोजना से जुड़ा हुआ है। उपयोग कर्ता एजेंसी द्वारा इस एरिया के लिए अलग से प्रस्ताव प्रस्तुत किया गया था। इस प्रोजेक्ट संबंधित कुछ जानकारी आरटीआई के तहत मांगी गई है। इस मामले में प्रबंधन की ओर से दी गई जानकारी, जिसमें कहा गया है कि ग्राम पंचायत की एनओसी जरुरी नहीं है, शुरू से ही विवादों में रही है। संभवत: प्रबंधन अपने ही जवाब में उलझ गया है। लेकिन इस बार एक बार फिर से प्रबंधन ने अपने द्वारा ही भेजे गए पत्र को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि इस मामले में 2 पेज की सूचना दी जा चुकी है। यह भी संभव है कि प्रबंधन अब इस पुरे मामले को ही उलझाना चाह रहा है। जिससे कि प्रोजेक्ट से संबंधित किसी भी तरह की अन्य जानकारी सार्वजानिक रूप से सामने न आ सके। हालांकि, मैनेजमेंट की ओर से भेजे गए पूर्व में दिए गए जवाब, जिसमें एनओसी की आवश्यक नहीं होने की बात कही गई है, से यह संदेह गहराता जा रहा है कि इस मामले में अनिवार्य और विधिवत प्रक्रिया का पालन किए बिना ही प्रोजेक्ट के लिए वन मंजूरी ले ली गई है।
खुद के जवाब में उलझता जा रहा है एसईसीएल प्रबंधन,संदेह गहराया
पहले अवलोकन हेतु लिखा पत्र, अब कहा-दी जा चुकी है सूचना
