पखांजुर। जयराम नगर एन.बी नवयुग स्कुल में मुंशी प्रेमचंद का 144वीं जन्म जयंती पर कार्यक्रम किया। प्रेमचंद का छायाचित्र पर वरिष्ठ शिक्षिका अमिता मण्डल ने फुल चढ़ाकर श्रद्धांजलि अर्पित किया।सभा का संबोधित करते हुए संगीता मण्डल,मुकेश पटेल,निबास अधिकारी आदि ने कहां है कि प्रेमचंद के गरीबी कठोर कठिन संघर्ष और साधारण लोगो के लिए साहित्यि,छोटी कहानियों कि लेखन से समाज का वास्तविक चित्र को इन्सानियत के दरवार पर विचारनीय और तमाम यतनाओं से मुक्ति के लिए समाज को सोचने हेतु मजबूर किया।और मध्ययुगीन,रुढिवादी सोच विचार, अत्याचार आदि के खिलाफ उन्होंने अपनी कलम चलायी। बीसवी शदी की शुरूआत में हिन्दी और उर्दू साहित्य धार्मिक कहानियों, कपोल कल्पनाओं, भूत-प्रेतों और राजा-रजवाड़ों की कथाओं के दायरे से आगे नहीं बढ़ सका था। हालांकि इसी बीच हिन्दी और उर्दू काव्य जगत में कई हस्तियों का आगमन हो चुका था। ऐसे ही समय में पहले उर्दू में तथा बाद में हिन्दी साहित्याकाश में नये सूर्य का उदय हुआ। गद्य साहित्य ने अब कपोल-कल्पित कथाओं को छोडक़र हकीकत की धरती पर पैर रखा। राजा-रजवाड़ों की जगह साहित्य में स्थान मिला बेबस किसानों को, राजकुमारी की कल्पना विलास की जगह विधवा नारी की करूण कथा को, ब्राह्मणों की छूआ-छूत की जगह तथाकथित शुद्रों की जीविविषा को, शासकों के प्रति अडिग समर्पण की जगह देशप्रेम और विद्रोह को। प्रेमचंद मानवतावादी साहित्यकारों की क्रांतिकारी धारा के साहित्य-रस को निचोडक़र आज के युग के लिए उपयोगी साहित्य-सृष्टि के प्रयास में जुट जाना। इस दृष्टिकोण को सामने रखकर देश के अंदर एक स्वस्थ्य सामाजिक वातावरण निर्मित करने की लगन के साथ यदि हम प्रेमचंद को याद करते हैं, तभी उन्हें याद करने की सार्थकता रहेगी। तेजस्वी साहु, मुकेश पटेल,विनोद कुमार रावटे,नन्दीनी नैना तनुश्री, तनुजा,पंकज सुरज,विशाल,रोहित शिक्षक-शिक्षीका आदि उपस्थित रहे।
प्रेमचंद की मनाई गई 144वीं जयंती

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lochan Gupta
