रायगढ़। स्थानीय सरस्वती शिशु मंदिर उच्च माध्यमिक विद्यालय राजीव नगर रायगढ़ में महर्षि वेदव्यास जी की जयंती आषाढ़ पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा उत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस संबंध में विस्तृत जानकारी देते हुए प्रचार प्रसार प्रमुख कुबेर लाल माली आचार्य ने बताया कि सर्व प्रथम संस्था प्रमुख जगदेव प्रसाद पटेल, पद्मलोचन पटेल आचार्य, कुबेर लाल माली आचार्य एवं जीधन लाल पटेल आचार्य के द्वारा भारतीय परम्परानुसार विद्या की अधिष्ठात्री देवी मां सरस्वती, ओम्, भारत माता एवं महर्षि वेदव्यास जी के तैलीय चित्र के समक्ष दीप प्रज्जवलित कर पूजन – अर्चन कर गुरु पूर्णिमा महोत्सव का शुभारंभ किया गया। तत्पश्चात् विद्यालय के भैया – बहनों ने अपने गुरु जनों को पुष्प अर्पित कर तिलक रोली चंदन लगाकर आचार्य देवो भव की भावना से गुरु पूजन किया गया। तत्पश्चात् विद्यालय के भैया – बहनों के द्वारा गुरु पूर्णिमा वेदव्यास जयंती पर श्लोक, दोहे, गीत, गुरु की महत्ता प्रतिपादित करने वाले रोचक तथ्य एवं प्रेरक प्रसंग की प्रस्तुति दी गई। विद्यालय के भाई-बहनों में उत्साह का वातावरण देखने में आया। वहीं कार्यक्रम के अगली कड़ी में विद्यालय के प्राचार्य जगदेव प्रसाद पटेल ने अपने उद्बोधन में कहा कि गुरु गोविंद दोउ खड़े काके लागूं पाय। बलिहारी गुरु आपने गोविंद दियो बताय। अर्थात- भगवान का पहचान करने वाले गुरु ही हैं। अत: हमें गुरु और गोविंद (भगवान) दोनों खड़े हुए हों तो हमें सर्व प्रथम गुरु को ही प्रणाम अथवा अभिवादन करने की सीख प्रदान हुए गुरु की महिमा पर प्रकाश डाला गया। वहीं विद्यालय के आचार्य पद्मलोचन पटेल ने कहा कि गुरु की महिमा अनंत, अनंत किया उपकार। लोचन अनंत उघारिया, अनंत दिखावण हार। अर्थात- गुरु की महिमा अनंत है, वे अनंत उपकार के कार्य करते हैं… इसी कड़ी में कुबेर लाल माली आचार्य ने कहा कि गुरु कुम्हार शिष कुंभ है, गढ़-गढ़ काढ़ै खोंट। अंतर हाथ सहार दै, बाहर मारै चोट। अर्थात- बालक को एक कुम्हार की भांति गढ़ कर एक श्रेष्ठ नागरिक के रुप समाज में प्रतिस्थापित करने का कार्य गुरु ही करते हैं। वहीं इस अवसर पर विद्यालय के आचार्या तीजा पटवा, रजनी थवाईत, कविता तिवारी, रेवती मालाकार, सुषमा होता, तृप्ति ओगले, ममता वंजारी, विजया लक्ष्मी पटेल, ओजस्वी तिवारी, उजाला साहू, सीमा वर्मा, योगिता राठौर एवं समस्त कार्यकर्ता की उपस्थिति रही व कार्यक्रम का सफल संचालन कक्षा नवम में अध्ययनरत बहिन खुशी यादव के द्वारा रेवती मालाकार आचार्या के कुशल मार्गदर्शन में किया गया।