रायपुर। छत्तीसगढ़ में डायरिया और मलेरिया के मामले बढ़ते जा रहे हैं। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मियों को मुख्यालय नहीं छोडऩे के निर्देश दिए हैं। सभी पोस्टेड डॉक्टर और स्वास्थ्यकर्मी मुख्यालय में ही रहेंगे। इमरजेंसी सिचुएशन के लिए अस्पतालों में तैयारी रखने कहा गया है। बीते 15 दिनों में मलेरिया-डायरिया से प्रदेश भर में 9 आदिवासियों की मौत के बाद ष्टरू ने निर्देश दिए हैं। गांव में स्वास्थ्य शिविर लगाकर ग्रामीणों की जांच करने कहा गया है। मुख्यमंत्री के निर्देश में यह भी कहा गया है कि स्कूलों में बच्चों की प्रार्थना सभा के बाद उन्हें डायरिया और मलेरिया के बारे में बताया जाएगा। बच्चों को इसकी जानकारी दी जाएगी कि कैसे इन बीमारियों से सावधानी रखकर बचा जा सकता है। गांव में मलेरिया चौपाल लगाकर लोगों को जागरूक किया जाएगा। मुख्यमंत्री ने स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से कहा है कि लापरवाही हुई तो सख्त एक्शन लिया जाएगा। बिलासपुर जिले के कलेक्टर अवनीश शरण ने कोटा विकासखंड के मलेरिया प्रभावित कुरदर, छुईहा, टेंगनमाड़ा गांव का दौरा किया। बाइक में पीछे बैठकर कलेक्टर लोगों के बीच पहुंचे। जहां कलेक्टर गए वहां बारिश के कारण कीचड़ और दलदल से सनी सडक़ें थीं। इन सडक़ों पर जल्द काम करवाने के निर्देश उन्होंने अफसरों को दिए। कलेक्टर ने कुरदर में मलेरिया चौपाल लगाकर लोगों से बात की। उन्होंने लोगों को समझाते हुए खुद की मलेरिया जांच करवाई। मौसमी बीमारियों की वजह से कबीरधाम जिले में कुंआ, हैण्डपंप, सोलर सहित करीब 13538 जलस्त्रोंतों का क्लोरीनेशन किया जा रहा है। जहां लोग पीने का पानी लेते आते हैं, वहां आस-पास सफाई की जा रही है। जिले के कलेक्टर जनमेजय महोबे ने जिले सभी सार्वजनिक और प्राइवेट वॉटर बॉडी की सफाई करने स्वास्थ्य और पीएचई विभाग को निर्देश दिए हैं।
कबीरधाम के सोनवाही में 5 बैगा आदिवासियों की मौत हो चुकी है। सोनसिंह और फूलबाई की मौत 10 जुलाई को उल्टी-दस्त से हुई। इसी गांव के सुरेश (26) की 8 जुलाई को अज्ञात कारण से मौत हुई थी। लीकेश्वरी (25) की मौत 8 जुलाई को लालघाट (मप्र) में उसके मायके में हुई थी। सोनवाही उसका ससुराल है। डिलीवरी की वजह से कुछ दिन पहले ही मायके वाले उसे ले गए थे। संती बाई (26) की मौत 4 जुलाई को उसके ससुराल पडक़ी पारा (सहसपुर लोहारा) में हुई। खास बात ये है कि मौतों के बाद स्वास्थ्य अमले ने जब घर-घर जाकर जांच की, तो 8 मलेरिया पॉजिटिव भी मिले हैं।
हालांकि, जिला प्रशासन ने इन मौतों की जांच की तो कहा गया कि बैगा आदिवासियों की मौत का कारण डायरिया नहीं, विभिन्न कारणों से मौत हुई। कलेक्टर के निर्देश पर तीन सदस्यीय टीम ने मामले की जांच की थी। पाया गया है कि जंगली मशरूम (फुटू), घर पर ही जड़ी-बूटी से उपचार और प्रसव बाद लापरवाही के कारण मौत हुई।
कांग्रेस ने लगाए थे लापरवाही के आरोप
कबीरधाम जिले में बैगा आदिवासियों और बीजापुर में दो बच्चियों की मौत के बाद प्रदेश में मामले ने तूल पकड़ा। कबीरधाम जिले के सोनवाही गांव में भूपेश बघेल पहुंचे थे। उन्होंने कहा था- आदिवासियों का विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए। लेकिन यहां न तो दवाइयां उपलब्ध हो रही हैं न सही इलाज मिल पा रहा है। स्वास्थ्य व्यवस्था के मामले में सरकार की ओर से बड़ी लापरवाही देखने को मिल रही है।
डॉक्टर्स-स्वास्थ्यकर्मी मुख्यालय से नहीं जाएंगे बाहर
मलेरिया-डायरिया को लेकर सीएम विष्णुदेव साय ने दिए निर्देश
