रायपुर। रायपुर के दो बड़े मॉल कॉम्पलेक्स का करोड़ों का टैक्स बकाया है। मॉल के लोगों ने जिला प्रशासन के अफसरों से गुजारिश करके राजीनामा बनवा लिया और जहां 40 करोड़ का टैक्स देना था वहां 4 करोड़ में बात को खत्म करने की प्रक्रिया होने लगी। इसका महापौर एजाज ढेबर विरोध कर रहे हैं।
शुक्रवार को इसी मामले में ढेबर और कुछ एमआईसी मेंबर कलेक्टर को ज्ञापन देने पहुंचे। यहां मीडिया से ढेबर ने कहा- सिटी सेंटर और ट्रेजर आईलैंड मॉल का टैक्स कई सालों से बकाया है। आईलैंड का 19 करोड़ और सिटी सेंटर का 17 करोड़, करीब 40 करोड़ टैक्स बकाया है। मगर इसपर राजीनामा कराया था। यहां पर आकर सेटिंग करके 2-2 करोड़ में मैनेज कर रहे हैं। ढेबर ने आगे कहा- हमने मांग की है कि नियमितिकरण की जो फाइल चली है उसे रोका जाए। भाजपा के लोग इस बात को कहते हैं महापौर को जानकारी है, आचार संहिता के बीच फाइल चली है, तो कैसे बात हम तक आएगी। हमेशा से रूढ्ढष्ट ने मुद्दा उठाया है। मैं कलेक्टर से कहने आया था कि किसी भी प्रकार का नियमितीकरण नहीं होना चाहिए। जब तक टैक्स नहीं दिया जाता।
ये है मामला
मेयर एजाज ढेबर इसे सीधे तौर पर पूर्व निगम कमिश्नर के कार्यकाल में हुई बड़ी गड़बड़ी करार दे रहे हैं। वहीं नेता प्रतिपक्ष मीनल चौबे इस मामले में सीधे तौर पर ढेबर पर आरोप लगा रहे हैं कि जब टैक्स घटाया गया तब वे ही महापौर थे और अब भी हैं। फिर यह कैसे हो गया? इस मामले में दोनों ही निगम अफसरों पर सवाल उठे रहे हैं कि आखिर किसी बड़े मॉल का टैक्स क्यों और कैसे कम कर दिया गया। ट्रेजर आईलैंड का मामला तब जोर पकड़ा जब मॉल के बिकने की सुगबुगाहट शुरू हुई। यह मॉल बैंक में बंधक था और पिछले कई वर्षों से निर्माणाधीन अवस्था में ही था। मॉल के बिकने की खबर निगम को मिली तब नगर निगम ने टैक्स वसूली के लिए बैंक और मॉल के प्रबंधन को डिमांड नोट जारी किया। उस वक्त करीब 15 करोड़ रुपए का डिमांड निकाला गया था। इसमें कुछ अवैध निर्माण तथा बकाया टैक्स शामिल था। जोन-3 के पूर्व कमिश्नर ने डिमांड नोट जारी किया था। तब मॉल के बिकने की खबर आई और निगम के टैक्स डिमांड को लेकर नए प्रबंधन ने आपत्ति लगाई। आपत्ति यह थी कि 2016 में किए गए सर्वे में ट्रेजर आईलैंड को पूरी तरह निर्मित बता दिया गया और उस आधार पर टैक्स की गणना की गई। सर्वे करने वालों ने खाली प्लाट पर भी निर्माण बताकर टैक्स जोड़ दिया। जबकि मॉल अभी निर्माणाधीन है और उसका संचालन शुरू नहीं हुआ है। फिर भी कमर्शियल टैक्स लगाया गया। प्रबंधन की इस आपत्ति के बाद नगर निगम ने टैक्स रिवाइज किया और पाया कि वास्तव में सर्वे गलत हुआ है। इस आधार पर नगर निगम ने फिर से करीब पौने तीन करोड़ का डिमांड भेजा।
रायपुर के मॉल ने नहीं दिया 40 करोड़ का टैक्स
4 करोड़ में मामला सेट करने पर मचा बवाल, कलेक्टर के पास पहुंचे महापौर
