सारंगढ़। नरेंद्र मोदी ने राजनीतिक पार्टी और नेताओं पर लोगों की खोई हुए आस्था और विश्वास की वापसी की है। राजनीति के प्रति लोगों के कुविचार को सुविचार में बदला है। नरेंद्र मोदी को तीसरी बार प्रधानमंत्री बनाने का निर्णय देश के जनमानस ने बहुत पहले ले लिया था। यह बात इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपादक दीपक अग्रवाल ने कहा कि – समय कभी एक सा नहीं होता, इसे लोग मु_ी में कैद करने की कोशिश करते हैं लेकिन हर बार समय रेत की तरह मु_ी से निकल जाता है। 60 साल तक कांग्रेस सत्ता में रही, लेकिन समय बदला, लोगों के विचार में बदलाव आया और देश की वह महत्वपूर्ण पार्टी जो देश को आजाद कराने के लिए अहम भूमिका निभाई थी उसे एक झटके में जनमानस ने सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया। भाजपा ने समय के सैलाब में बहुत कुछ देखा, खोया और पाया है।देखते हैं इतिहास के आने में भाजपा के जन्मोत्सव की कहानी।
भाजपा का जन्म आरएसएस के कोख से हुआ है। 21 अक्टूबर 1951 को जनसंघ की स्थापना हुई। 1952 में पहला आम चुनाव हुआ और उस चुनाव में जनसंघ के तीन लोग जीते थे। इनमें कोलकाता दक्षिण पूर्व सीट से श्यामा प्रसाद मुखर्जी जीते जनसंघ के घोषणा पत्र में मुख्यत: दो मुद्दे थे। देश में समान नागरिक संहिता लागू करना तथा जम्मू कश्मीर से धारा 370 को खत्म करना। श्यामा प्रसाद मुखर्जी 11 मई 1953 को जम्मू कश्मीर में प्रवेश करने का निर्णय लिए, तत्कालीन जम्मू सरकार शेख अब्दुल्ला ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। 23 जून 1953 को जेल में रहस्यमयी स्थिति में उनकी मृत्यु हो गई। उनकी मृत्यु ने देश को हिलाकर रख दिया और जनसंघ का कारवां आगे बढ़ता गया। 1957 के आम चुनाव में जनसंघ को 4 सीट मिला, 1962 में 14 सीट, 1967 में 35 और 1971 में 22 सीट मिला 1975 में तत्कालीन प्रधान मंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू कर दिया।1977 में जनसंघ का जनता पार्टी में विलय हुआ, लेकिन दोहरी सदस्यता को लेकर जनसंघ के नेताओं ने जनता पार्टी से रिश्ता समाप्त कर नई राजनीतिक पार्टी के गठन का निर्णय लिया। 6 अप्रैल 1980 अटल बिहारी वाजपेई की अध्यक्षता में भारतीय जनता पार्टी की स्थापना हुई। स्थापना के साथ पार्टी ने अंतर्राष्ट्रीय, राष्ट्रीय, लोकहित के विषयों पर मुखर रहते हुए भारतीय लोकतंत्र में अपनी सशक्त भागीदारी दर्ज की व भारतीय राजनीति को नए आयाम दिए।
दीपक अग्रवाल ने कहा कि 1984 आमचुनाव भाजपा के लिए पहला आम चुनाव था।जिसमें पार्टी को 2 सीट मिला 1986 में लालकृष्णअडवाणी पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष बने और जून 1989 के पालमपुर अधिवेशन में पहली बार अयोध्या में श्री राम जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर के निर्माण का प्रस्ताव पारित किया गया। 1989 के आम चुनाव में दो सीटों से बढक़र भारतीय जनता पार्टी 85 सांसदों वाली पार्टी बन गई। मार्च 1990 में एक साथ भाजपा की तीन राज्यों में राजस्थान, मध्यप्रदेश और हिमाचल प्रदेश में सरकार बनी। भैंरोसिंह शेखावत राजस्थान, सुंदर लाल पटवा मध्यप्रदेश और शांता कुमार हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री बनें। यह पहली बार था कि जब भाजपा का किसी भी राज्य में अपना मुख्यमंत्री बना। लालकृष्ण आडवाणी ने गुजरात के सोमनाथ से अयोध्या तक के लिए राम रथयात्रा शुरू कियें।
1991 में भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मुरली मनोहर जोशी बने व 1991 के आम चुनाव में पार्टी को लोकसभा में सीटों की संख्या 85 से बढक़र 120 पहुंच गई। 1996, 1998 व 1999 के चुनाव में भारतीय जनता पार्टी सबसे बड़े पार्टी के रूप में उभरी, अटल बिहारी वाजपेयी पहले 13 दिन फिर 13 माह के लिए प्रधानमंत्री बने और इसके बाद एक बार फिर साढ़े चार साल तक देश के प्रधानमंत्री रहे और देश के विकास को नई दिशा दी, नयें आयाम देते हुए नई इबारत लिखी।
2013 के गोवा अधिवेशन में भाजपा के तत्कालीन राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने नरेंद्र मोदी को 2014 केलोकसभा चुनाव के लिए भाजपा चुनाव अभियान का प्रमुख बनाने की घोषणा की, बाद में उन्हें प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार भी घोषित किया गया। 2014 के लोकसभा चुनाव में भाजपा को 282 सीटों के साथ पूर्ण बहुमत मिला। देश की जनता द्वारा इतिहास रचा गया। मार्च 2018 तक भाजपा 21 राज्यों तक पहुंच चुकी थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में भारतीय जनता पार्टी ने 2014 से भी बड़ी और ऐतिहासिक जीत हासिल की। इस चुनाव में पार्टी ने 303 सीट जीती और यह पहली बार था जब किसी गैर कांग्रेसी पार्टी को दूसरी बार बहुमत मिला था। दो बार पूर्ण बहुमत की सरकार बनने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने जनसंघ के जमाने से घोषणा पत्र में शामिल और देश की जनता से किए गए सभी वादों को पूरा किया। 5 अगस्त 2019 को धारा 370 समाप्त कर दिया। इसी मानसून सत्र में ही समान नागरिक संहिता की दिशा में कदम आगे बढ़ाया गया। वहीं तीन तलाक को दंडनीय अपराध बनाया गया और मुस्लिम माता बहनों को इस काले कानून से मुक्ति दिलाई। यह बात इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के संपादक दीपक अग्रवाल ने कहीं है।
मोदी को देश फिर क्यों प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहता है : दीपक
