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रायगढ़

इंसेंटिव घोटाला : आरोपियों के सामने ही लिया पीडि़तों का बयान

lochan Gupta
Last updated: April 8, 2024 11:27 pm
By lochan Gupta April 8, 2024
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8 Min Read

रायगढ़। रायपुर से आई तीन सदस्यीय टीम और जिला स्तरीय जांच समिति पर शिकायतकर्ताओं के गंभीर आरोप,जिला अस्पताल के नोडल अधिकारी को ही नहीं पता इंसेंटिव के भुगतान के बारे मेंसोमवार को रायपुर से तीन सदस्यीय टीम जिला अस्पताल इंसेटिव घोटाले की जांच के लिए पहुंची। टीम कल तक रायगढ़ में रूकी है औऱ संभवत: आज शाम या कल अपना अंतिम निर्णय लेगी। सोमवार को हुई जांच से शिकायतकर्ता असंतुष्ट थे क्योंकि जिन लोगों पर इंसेटिव घोटाले की जांच का आरोप है उन्हीं के सामने जांच टीम ने बयान लिया और आमने-सामने सवाल-जवाब भी किया। जिला स्तरीय टीम पर भी आरोप है कि वह इस पूरे मामले को रफा-दफा करने में लगी है तभी तो उसने बेगुनाह 4 डाटा इंट्री ऑपरेटर्स को बलि का बकरा बनाते हुए निलंबित कर दिया। पर बयार के द्वारा लगातार खबर प्रकाशन के बाद रायपुर से टीम एक बार फिर रायगढ़ जांच के लिए पहुंची है।
जानकारी के अनुसार जांच टीम के पहले दोपहर 1 बजे आने का समय तय हुआ था पर वह 11 बजे आई 1 बजे। जिन 48 लोगों ने इंसेंटिव घोटाले की शिकायत कलेक्टर, स्वास्थ्य मंत्री, विधायक समेत कई लोगों तक की है उन्हें जांच समिति के समक्ष उपस्थित होने के लिए सिविल सर्जन ने बुलाया। रायपुर से आई जांच समिति में एक डॉक्टर, एक एकाउंट विभाग से और एक नोडल अधिकारी आयुष्मान योजना के है। जिला स्तरीय जांच टीम डॉ. भानू पटेल, एकाउंट ऑफिसर, जिला कार्यक्रम प्रबंधक औऱ सीएस डॉ. आरएन मंडावी समेत 5 लोग हैं।
रायपुर की टीम ने एक-एक कर पीडि़तों को बुलाया और कथित आरोपी प्रोग्राम मैनेजर मनीष नायक और आयुष्मान योजन के जिला नोडल अधिकार तिलेश दीवान के सामने ही बयान दर्ज करने लगे। कई मौकों पर दोनों की पीडि़तों से बहसाबहसी भी हुई पर इससे जांच दल को कोई फर्क नहीं पड़ा।
नर्सिंग स्टाफ ने तो जमकर भड़ास निकाली और सभी ने एक स्वर में अपने हक के पैसे की मांग की। लैब टैक्निशियनों ने भी पैसा मांगा और घोटाले के जिम्मेदारों पर कार्रवाई की मांग की।
शिकायतकर्ताओं ने बताया कि यह जांच सिर्फ दिखावा है अन्यथा जिन पर आरोप हैं उन्हें साथ बिठाकर बयान कब लिया जाता है ऐसा कहीं होता है। हम इस जांच से असंतुष्ट हैं। पैसे की रिकवरी के साथ ही नियमानुसार दोषियों के निलंबन की कार्रवाई हो।
जांच टीम के सामने तब अजीब स्थिति पैदा हुई जब जिला चिकित्सालय के आयुष्मान योजना के नोडल अधिकारी डॉ. प्रकाश चेतवानी ने अपनी आपत्ति दर्ज कराते हुए बताया कि उन्हें जिला अस्पताल के डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजन के तहत आए इंसेंटिव के बारे में कोई जानकारी नहीं है और न ही उनसे होकर कोई फाईल आगे बढ़ी है। इस पर टीम ने कहा कि अब तक जरूरी नहीं है कि अस्पताल के नोडल के पास से फाइल आगे बढ़े, सीएस काफी हैं। पर आगे से अस्पताल के नोडल से होकर फाइल आगे बढ़े ऐसी व्यवस्था की जाएगी।
विवाद के कारण
स्वास्थ्य विभाग के 48 कर्मचारियों ने बीते दिन अपने ही विभाग के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। उनका आरोप है कि उन्हें मिलने वाली प्रोत्साहन राशि (यानी खूबचंद बघेल स्वास्थ्य योजना के तहत मेडिक्लेम में मिलने वाली राशि का कुछ अंश स्वास्थ्यकर्मियों को इंसेटिव के रूप में सालाना मिलता है।) में धांधली हुई। कुछ लोगों ने मिलकर अपने चहेतों को खूब पैसा दिया और जो पात्र हैं उनके नाम तक नहीं है। प्रोत्साहन राशि के लिए केस को लेकर अस्पष्ता है। सीएमएचओ कार्यालय पर मनमानी का स्टाफ ने आरोप लगाया है। जिला अस्पताल में कितने केस आए इसकी जानकारी नहीं। कितने केस और किस आधार पर बंटे कोई जानकारी नहीं है। कुछ लोग तो लगभग हर केस में हैं ऐसा कैसे और कुछ को बहुत कम केस दिया गया है। सिविल सर्जन के 4,051 केस पर 31 हजार रूपये का भुगतान किया गया है तो वहीं जतन केंद्र के संविदा में रखे गए प्रोग्राम एसोसिएट को 3,969 केस पर 2 लाख 92 हजार का भुगतान। प्रोग्राम एसोसिएट न तो किसी मरीज इलाज करते हैं और न ही किसी भी प्रकार की चिकित्सकीय सहायता। अगर संस्था प्रमुख के हिस्से 0.5 प्रतिशत की दर देखें तो इस हिसाब उनका भी हिस्सा सिविल सर्जन के बराबर होता न कि उनसे करीब 10 गुना अधिक। नर्स अर्थात सिस्टर्स में भी काफी रार मचा हुआ है। उनका आरोप है कि एक सिस्टर को 3467 केस पर 2 लाख 48 हजार यानी 71 रूपये प्रति केस तो दूसरे को 1021 केस पर 4121 रूपये अदा किये गए हैं यानी 4 रूपये प्रति केस। ऐसे कई सिस्टर्स के केस हैं जहां अनियमितता है। कुल मिलाकर इंसेंटिव बांटने में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों नें अपनी मनमानी चलाई है।
क्या है इंसेटिव और कैसे होता है वितरण
सरकारी अस्पतालों में योजनांतर्गत गतिविधियों को बढ़ावा देने, सेवा प्रदायगी की गुणवत्ता बढ़ाने एवं कार्यरत स्टाफ को बेहतर इलाज सेवा प्रदान करने के उद्देश्य से उक्त चिकित्सालयों के कुल क्लेम भुगतान राशि से 34 प्रतिशत राशि प्रोत्साहन राशि (इंसेंटिव) के रूप में चिकित्सकों व अन्य कर्मचारियों में वितरित की जाएगी एवं 1 प्रतिशत राशि का उपयोग इंडेम्निटि हेतु उपयोग किया जाएगा। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार मेडिकल कॉलेज एवं जिला चिकित्सालय के लिए प्रोत्साहन राशि का वितरण इस प्रकार है जिसमें प्रत्यक्ष उपचारकर्ता समूह है इसके अंतर्गत उपचारकर्ता चिकित्सक या सर्जन को देय प्रतिशत 45, सहायक चिकित्सक को 15 प्रतिशत, ओटी तकनीशियन को 4 प्रतिशत का प्रावधान है। अन्य उपचार समूह जिसमें क्लीनिकल एवं नर्सिंग स्टाफ-चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन को 20 प्रतिशत। चतुर्थ वर्ग-सफाई कर्मचारी इत्यादि को 6 प्रतिशत। प्रशासनिक कर्मचारी-हॉस्पिटल कंसलटेंट इत्यादि को 0.5 प्रतिशत। डाटा इंट्री को 5 प्रतिशत और अस्पताल प्रमुख को 0.5 प्रतिशत राशि देय होगी।
क्या कहते हैं अधिकारी
मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बीके चंद्रवंशी ने कहा कि पूरे मामले की निष्पक्ष जांच हो रही है। इसके लिए मैंने 8 सदस्यीय टीम बनाई है जिसमें 5 रायगढ़ के और 3 रायपुर के सदस्य हैं, जांच जारी है। वहीं जिला चिकित्सालय के आयुष्मान भारत के नोडल डॉ. प्रकाश चेतवानी ने कहा कि जांच दल के सामने मैंने कहा कि मेरे से पूछे या दिखाए कोई फाइल आगे नहीं बढ़ी है इस पर टीम ने इसकी जरूरत नहीं बताई पर आगे से नोडल के रिमार्क को शामिल करने की बात कही।

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