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NavinKadam > भिलाईनगर > छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव लोकसभा सीट पर देशभर के राजनीतिज्ञों की परिणाम को लेकर लगी निगाहें
भिलाईनगर

छत्तीसगढ़ की राजनांदगांव लोकसभा सीट पर देशभर के राजनीतिज्ञों की परिणाम को लेकर लगी निगाहें

कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल को पार्टी के अंदर सशक्त विरोधी लाबी के चक्रव्यूह को भेजना आसान नहीं

lochan Gupta
Last updated: April 8, 2024 10:42 pm
By lochan Gupta April 8, 2024
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7 Min Read

भिलाईनगर। छत्तीसगढ़ में राजनांदगांव लोकसभा सीट सीट के चुनावी परिणाम पर देशभर के लोगों की निगाहें लगी हुई है क्योंकि इस संसदीय क्षेत्र में कांग्रेस ने छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को चुनावी समर में उतारा है। तो भाजपा ने अपने सांसद रहे संतोष पांडे पर भरोसा जताया है। जिसके चलते इस संसदीय क्षेत्र में में इस बार कांटे की टक्कर है। माना जा रहा है कि कांग्रेस ने क्षेत्रीयपरिस्थितियोंऔरजातीय समीकरणों को देखते हुए यहां से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को उतारा है। राजनांदगांव की 8 विधानसभा सीटों में से 5 सीटों पर कांग्रेस का कब्जा है। इसके अलावा यह सीट पिछड़ा वर्ग बाहुल्यता वाली है। जबकि भूपेश बघेल पिछड़ा वर्ग से कांग्रेस का सबसे बड़ा चेहरा हैं। इन्हीं परिस्थितियों के चलते कांग्रेस को यहां जीत संभावना प्रतीत हो रही है। हालांकि भाजपा को मोदी की लहर और संतोष पाण्डेय पर पूरा भरोसा है। भाजपा ने पाण्डेय को दोबारा मौका दिया है। विधानसभा के नतीजों के आधार पर देखें तो यह सीट कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जा रही है। इसलिए भी, क्योंकि भाजपा प्रत्याशी सामान्य वर्ग से हैं।कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल दुर्ग जिले की पाटन सीट से विधायक हैं। स्वयं बघेल भी दुर्ग के ही रहने वाले हैं। दुर्ग लोकसभा सीट पर अभी भाजपा का कब्जा है। यहां भूपेश बघेल के भतीजे विजय बघेल सांसद हैं। उन्हें भाजपा ने फिर से प्रत्याशी बनाया है। मजे की बात है कि विधानसभा चुनाव में भाजपा ने भूपेश के सामने विजय बघेल को उतारा था। उस वक्त भूपेश मुख्यमंत्री थे। लेकिन अब परिस्थितियां बदल गई है। छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार है। ऐसे में कांग्रेस ने भी चुन-चुनकर गोटियां बिठाई है।भूपेश बघेल की मौजूदगी से इस संसदीय क्षेत्र में भाजपा को बड़ी चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। कांग्रेस के लिए भी विधानसभा चुनाव में मिली बढ़त को बनाए रखना आसान नहीं होगा।भाजपा ने पंडरिया सीट 26 हजार 398, कवर्धा 39 हजार 592 और राजनांदगांव सीट 45 हजार 84 मतों से अंतर से जीती थी। इन सीटों पर भाजपा ने कुल एक लाख 11 हजार 74 मतों से विजय पाई थी। दूसरी ओर, कांग्रेस ने पांच सीटें जीतकर कुल 80 हजार 475 मतों का बढ़त हासिल की थी। इसमें खैरागढ़ में 5,634, डोंगरगढ़ में 14 हजार 367, डोंगरगांव से 2,789, खुज्जी से 25 हजार 944 व मोहला-मानपुर से 31 हजार 741 मतों की बढ़त शामिल है।राजनांदगांव लोकसभा सीट के अंतर्गत 8 विधानसभा सीटें आती हैं। इस बार के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के खाते में पांच सीटें आई थी। जबकि बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी। राजनांदगांव लोकसभा सीट से अभी बीजेपी के संतोष पांडेय सांसद हैं। बीजेपी ने यहां से फिर से मौजूदा सांसद को ही टिकट दिया है। यह राज्य का वह क्षेत्र है जहां ओबीसी वोटर्स बड़ी संख्या में हैं। विधानसभा के नतीजों के अनुसार यह सीट कांग्रेस के लिए सुरक्षित मानी जा रही है। बीजेपी ने यहां से सामान्य वर्ग के उम्मीदवार संतोष पांडेय को उतारा है ऐसे में पार्टी भूपेश बघेल पर दांव खेलकर ओबीसी वोटर्स को साधने की कोशिश की है। भूपेश बघेल, राज्य में ओबीसी के सबसे बड़े चेहरे हैं। वहीं, पूर्व सीएम की लोकप्रियता को भी पार्टी भुनाना चाहती है।चुनाव के लिए नामांकन दाखिले के अंतिम दिन तक कुल 23 प्रत्याशी मैदान में थे। नाम वापसी का 8 अप्रैल को अंतिम दिन है। इसके बाद स्थितियां स्पष्ट होगी कि यहां से कितने उम्मीदवार चुनाव मैदान में हैं। लेकिन इससे पहले ही भाजपा व कांग्रेस के बीच आरोप प्रत्यारोप का दौर चल रहा है। भाजपा और कांग्रेस के स्थानीय नेता प्रचार के मैदान में तेजी से सक्रिय हो रहे हैं। स्टार प्रचारकों का दौरा भी शुरू होने जा रहा है। अब तक आरोप-प्रत्यारोपों में ही पूरा प्रचार अभियान केंद्रित है। स्थानीय मुद्दों की कोई बात ही नहीं कर रहा। क्षेत्र में रेल सुविधाओं के विस्तार व यात्री सेवा में बढ़ोतरी के अलावा उच्च शिक्षा, रोजगार, सिंचाई, राजनांदगांव को संभाग का दर्जा, सडक़ परिवहन, स्वास्थ्य व खेल से जुड़ी प्रमुख मांगों को दोनों दल भूल ही गए हैं। दोनों दलों के नेता या तो अपनी उपलब्धियां गिना रहे हैं या फिर दूसरे के खिलाफ आरोपों की बौछार कर रहे हैं।लोकसभा चुनाव में ग्रामीण क्षेत्र के मतदाता निर्णायक हो सकते हैं। संसदीय क्षेत्र में कुल 18 लाख 65 हजार 175 मतदाता है। इनमें 10 लाख से अधिक गांवों में रहते हैं। यही कारण है कि दोनों दलों का जोर अब तक गांवों में ही है। विशेषकर भूपेश का प्रचार अभियान का केंद्र ही गांव है। वहीं, शहरी मतदाताओं को भी साधने की रणनीति पर काम किया जा रहा है। हालांकि पार्टी के न्याय संकल्प (घोषणा पत्र) का अभी जमीनी स्तर पर प्रभाव दिखाई नहीं दे रहा है। कांग्रेस की ओर से महंगाई, बेरोजगारी व केंद्रीय एजेसियों के दुरुपयोग का मुद्दा जोर-शोर से उठाया जा रहा है। भाजपा का पूरा फोकस कमजोर ग्रामीण बूथों के अलावा कम बढ़त वाले शहरी क्षेत्रों पर भी हैं। मैदानी टीम द्वारा महतारी वंदन, धान का समर्थन मूल्य, दो वर्ष का बकाया बोनस प्रधानमंत्री आवास के साथ ही मोदी सरकार की उपलब्धियां गिनाई जा रही है।कांग्रेस प्रत्याशी भूपेश बघेल के एक आह्वान के बाद राजनांदगांव में एक ही दिन में 210 फार्म खरीदे गए थे। हालांकि नामांकन दाखिले के अंतिम दिन तक ये नामांकन जमा नहीं कराए गए। कांग्रेस प्रत्याशी बघेल ने पाटन की एक सभा में कार्यकर्ताओं को सम्बोधित करते हुए कहा था कि लोकसभा सीट पर यदि 384 प्रत्याशी उतरते हैं तो ईवीएम की बजाए बैलेट पेपर पर मतदान हो सकता है। बघेल के इस बयान का असर अन्य किसी सीट पर तो नहीं हुआ, लेकिन राजनांदगांव में सैकड़ों की संख्या में लोग नामांकन फार्म लेने निर्वाचन कार्यालय पहुंच गए। हालांकि इन लोगों ने नामांकन दाखिल करने में उतनी दिलचस्पी नहीं दिखाई और नामांकन दाखिल करने की अंतिम तिथि तक कुल 23 लोग ही मैदान में शेष बचे। अब नाम वापसी की अंतिम तिथि 8 अप्रैल को है इसके बाद यह तय होगा कि क्षेत्र से कितने प्रत्याशी मैदान में हैं।
द्वारा- यदुनंदन मिश्रा

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