रायगढ़। स्वास्थ्य में सालाना इंसेंटिव मामले को लेकर विगत 15 दिनों से हडक़ंप की स्थिति बनी हुई है। जिसको लेकर स्वास्थ्य विभाग द्वारा पांच सदस्यीय टीम का गठन कर विगत दो दिनों से जांच चल रही है, लेकिन अभी तक इस मामले में कोई सही जानकारी नहीं मिल पाई है।
उल्लेखनीय है कि जिला अस्पताल के स्टाफ के बीच डॉ. खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना का मिलने वाला सालाना इंसेंटिव को लेकर रार मचा हुआ है। क्योंकि जो सूची जारी की गई थी, उसमें सभी स्टाप का नाम नहीं था। साथ ही जिनका है उसमें डॉक्टर्स से अधिक इंनसेंटिव डाटा इंट्री ऑपरेटर्स को मिला है। सिविल सर्जन से अधिक जतन केंद्र के कुछ कर्मचारियों को मिल है। जिसको लेकर विगत 15 दिनों से विभागीय कर्मचारियों में आक्रोश पनप रहा था, जिसको देखते हुए अब उच्चाधिकारियों द्वारा इस मामले में एक पांच सदस्यीय टीम का गठन कर बुधवार से जांच चल रही है, लेकिन अभी तक कुछ खास खुलासा नहीं हो पाया है। वहीं जांच टीम में शामिल अधिकारियों की मानें तो पहले इंसेंटिव वितरण के नियम को समझना पड़ेगा, इसके बाद जांच होगी की कहां से गड़बड़ी हुई है। ऐसे में यह जांच पूरा होने में आठ से दस दिन का समय लगने की बात कही जा रही है। साथ ही सूत्रों की मानें तो जिला स्तर पर जांच होने के बाद राज्य स्तर से भी अधिकारी जांच के लिए नियुक्त हो सकते हैं, ताकि पूरा मामला साफ हो सके और कर्मचारी भी संतुष्ट हो सके। वहीं पूर्व में कर्मचारियों ने आरोप लगाया था कि सामान्य ड्यूटी वाले डाक्टर्स के साथ भेदभाव हुआ है, साथ ही कैजुअल्टी में तो आया को नर्स से अधिक इंसेंटिव मिला है। साथ ही डाक्टर व नर्स जो हमेशा समय से अधिक ड्यूटी करती है उनके केस को कम कर दिया गया है, जिसके चलते इनका इंसेंटिव कम बना है। जिसकेि चलते सीएचएमओ कार्यालय में पदस्थ अधिकारियों पर आरोप-प्रत्यारोप लगा था।
इस नियम से होता है इंसेंटिव का वितरण
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग द्वारा जारी निर्देश के अनुसार मेडिकल कॉलेज एवं जिला चिकित्सालय के लिए प्रोत्साहन राशि का वितरण में उपचारकर्ता चिकित्सक या सर्जन को देय प्रतिशत 45, सहायक चिकित्सक को 15 प्रतिशत, ओटी तकनीशियन को 4 प्रतिशत का प्रावधान है। अन्य उपचार समूह जिसमें क्लीनिकल एवं नर्सिंग स्टाफ-चिकित्सक, नर्स, फार्मासिस्ट, लैब टेक्नीशियन को 20 प्रतिशत, चतुर्थ वर्ग-सफाई कर्मचारी इत्यादि को 6 प्रतिशत, प्रशासनिक कर्मचारी-हॉस्पिटल कंसलटेंट इत्यादि को 0.5 प्रतिशत, डाटा इंट्री को 5 प्रतिशत और अस्पताल प्रमुख को 0.5 प्रतिशत राशि देय होता है।
जिला अस्पताल में शुरू हुई इंसेंटिव मामले की जांच
विभाग के 5 अधिकारी टीम में शामिल, कर्मचारियों में असंतोष
