NavinKadamNavinKadamNavinKadam
  • HOME
  • छत्तीसगढ़
    • रायगढ़
      • खरसिया
      • पुसौर
      • धरमजयगढ़
    • सारंगढ़
      • बरमकेला
      • बिलाईगढ़
      • भटगांव
    • शक्ति
    • जांजगीर चांपा
    • बिलासपुर
  • क्राइम
  • आम मुद्दे
  • टेक्नोलॉजी
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • Uncategorized
Reading: औद्योगिक विकास का अभिशाप झेल रहा लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र
Share
Font ResizerAa
NavinKadamNavinKadam
Font ResizerAa
  • HOME
  • छत्तीसगढ़
  • क्राइम
  • आम मुद्दे
  • टेक्नोलॉजी
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • Uncategorized
  • HOME
  • छत्तीसगढ़
    • रायगढ़
    • सारंगढ़
    • शक्ति
    • जांजगीर चांपा
    • बिलासपुर
  • क्राइम
  • आम मुद्दे
  • टेक्नोलॉजी
  • देश-विदेश
  • राजनीति
  • व्यवसाय
  • Uncategorized
Follow US
  • Advertise
© 2022 Navin Kadam News Network. . All Rights Reserved.
NavinKadam > रायगढ़ > औद्योगिक विकास का अभिशाप झेल रहा लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र
रायगढ़

औद्योगिक विकास का अभिशाप झेल रहा लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र

विकास के नाम पर उजड़ते आशियाने और जमीदोज हो रही कृषि भूमि, सवालों के कटघरे में जनप्रतिनिधियों की भूमिका संदिग्ध] प्रदूषण के धीमे जहर के चपेट में है अंचल

lochan Gupta
Last updated: November 2, 2023 1:11 am
By lochan Gupta November 2, 2023
Share
10 Min Read

रायगढ़। लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के ज्यादातर गांव सडक़, बिजली, पानी के अलावा बेहतर शिक्षा और चिकित्सा सुविधा के लिए अब भी मोहताज हैं। लैलूंगा क्षेत्र को दो हिस्सों में बताकर लैलूंगा और तमनार ब्लाक की समस्याओं पर बात की जाए तो हजारों करोड़ का राजस्व देने वाले तमनार ब्लाक में समस्याओं का अंबार है। तमनार क्षेत्र में छोटे-बड़े 73 उद्योग और 9 कोयला खदान संचालित है। औद्योगिक विकास की आड़ में तमनार क्षेत्र की खनिज संपदाओं का जिस तरह से दोहन किया गया, उसे रफ्तार से क्षेत्र के वासिंदों को रोजगार, स्वास्थ्य सुविधाओं के अलावा गुणात्मक शिक्षा उपलब्ध कराने की दिशा में अब तक सार्थक पहल नहीं हो पाया है। जानकारों की माने तो क्षेत्र के विकास में नेतृत्वहीनता का अभाव हमेशा खलता रहा। निर्वाचित जनप्रतिनिधि तात्कालिक लाभ के चलते उद्योगपतियों के मोहरे बनाकर क्षेत्रवासियों को सिर्फ विकास का सब्जबाग ही दिखते रहे। जिसका परिणाम यह हुआ कि तमनार क्षेत्र के करीब 13 हजार हेक्टेयर जमीन और औद्योगिक इकाइयों और कोयला खदानों की भेंट चढ़ गए। और क्षेत्र के वाशिंदों को विस्थापन और बेरोजगारी का दंश झेलने के लिए उनके हाल पर छोड़ दिया गया। मौजूदा दौर में लैलूंगा विधानसभाक्षेत्र के तमनार इलाके में जर्जर सडक़े, उनसे होने वाली दुर्घटनाएं, प्रदूषण, भूमि अधिग्रहण के बाद विस्थापन और बेरोजगारी जैसी बड़ी समस्याएं मुंह बाए खड़ी है, लेकिन राजनीतिक इच्छा शक्ति इतनी कमजोर और विवश नजर आ रही है कि इन बड़ी समस्याओं का हल नहीं सूझ रहा है।
रायगढ़ जिले का यह विधानसभा क्षेत्र अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित है। गोंड़, कंवर जाति की बहुलता वाले खनिज संपदा से भरे इस क्षेत्र के छत्तीसगढ़ राज्य गठन के बाद विकास की असीम संभावनाएं थी, लेकिन औद्योगिक विकास की होड़ में क्षेत्र के चंहूमुखी विकास की परिकल्पना धारी की धरी रह गई, और मौजूदा दौर में औद्योगिक इकाइयों और कोयला खदानों का अभिशाप क्षेत्र के वाशिंदों को झेलना पड़ रहा है। लैलूंगा क्षेत्र की सडक़ों की बात करें तो औद्योगिक क्षेत्र में आवागमन करने वाले भारी मालवाहक वाहनो से सडक़ों की दुर्दशा किसी से छिपी नहीं है। बताया जाता है कि तमनार के मीलूपारा से रायगढ़, रायगढ़ से पूंजीपथरा, लैलूंगा से घरघोड़ा पेलमा से लैलूंगा की प्रमुख सडक़े इस क्षेत्र की जीवन रेखा मानी जाती हैं। लेकिन इन बद्तर और खस्ताहाल सडक़ों की रिपेयरिंग के लिए जनप्रतिनिधियों के आंदोलन के बाद भी सार्थक पहल नहीं हो पाई। इस साल के शुरुआती में लैलूंगा से घरघोड़ा सडक़ का जीर्णोद्धार किया गया, लेकिन लीपा-पोती ही हुई। शेष अन्य प्रमुख सडक़ों की दुर्दशा जस की तस है। जिससे बड़े पैमाने पर इस क्षेत्र में सडक़ दुर्घटनाएं सामने आ रही है। मीलूपारा से रायगढ़ तक जर्जर सडक़ को लेकर क्षेत्र में आर्थिक नाकेबंदी का भी असर नहीं हुआ। इसे राजनीतिक नेतृत्व में बड़ी कमी मानी जा रही है। जर्जर सडक़ों के अलावा क्षेत्र में स्वास्थ्य सेवाओं की दुर्दशा भी बड़ी समस्या बनी हुई है। तमनार औद्योगिक क्षेत्र होने के बावजूद इस क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं का विस्तार नहीं हो सका है। लैलूंगा और तमनार में एक-एक सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के भरोसे इस क्षेत्र के लोग जीवन मृत्यु के बीच झूलते नजर आते हैं।
बड़े औद्योगिक इकाइयों के बाद भी क्षेत्र में उच्च कोटि की चिकित्सा सुविधा का विस्तार नहीं हो पाना क्षेत्र के औद्योगिक विकास में एक बदनुमा दाग की तरह माना जा रहा है। जिंदल समूह के अलावा एसईसीएल, एनटीपीसी, अडानी समूह की कोयला खदानों से हजारों करोड़ों का कारोबार इस क्षेत्र से हो रहा है, लेकिन क्षेत्र के समग्र विकास की अवधारणाएं महज कागज पर ही सिमटी हुई है। क्षेत्र में कुशल राजनीतिक नेतृत्व की कमी का खामियाजा क्षेत्र के लोगों को भोगना पड़ रहा है। लैलूंगा और तमनार में किसी बड़े औद्योगिक समूह के द्वारा भी इस दिशा में पहल नहीं की गई, और ना ही सरकारी संस्थानों में सुविधाओं के विस्तार को लेकर प्रयास हुए।
औद्योगिक विकास के जद्दोजहद में तमनार क्षेत्र के कई गांव उजड़ गए हैं। कृषि भूमि का अधिग्रहण के साथ-साथ हाथों से रोजगार का साधन चले जाना किसी साधन संपन्न किसान को बेरोजगारी के अंधे कुएं में धकेलने की तरह है। लाखों रुपए का मुआवजा पाकर भी मौजूदा दौर में कई गांव के लोगों के पास रोजगार नहीं है। स्थानीय उद्योगों में रोजगार देने का दावा करने वाली औद्योगिक इकाइयों की तिजोरी भारती रही, और क्षेत्र के वाशिंदे कंगाली के कगार तक पहुंच गए, लेकिन राजनीतिक महत्वाकांक्षा ऐसी रही कि अपनों की दुर्गति देखने का भी उन्हें मलाल नहीं है। बताया जाता है कि आप अभी कई भूमि विस्थापितों को भूमि अधिग्रहण के बाद औद्योगिक इकाइयों से समुचित मुआवजा राशि मिलने का बाट जोहन पड़ रहा है।
औद्योगिक इकाइयों पर कोयला खदानों से क्षेत्र में भू-जल स्तर में तेजी से गिरावट आई है। लैलूंगा और तमनार विकासखंड के कई गांव में पीने के पानी की भी बड़ी समस्या है। मुड़ागांव, सराईटोला, सरसमाल, खम्हरिया ऐसे कई गांव हैं जहां जलस्तर तेजी से गिरी है। बारिश खत्म होते ही कुएं तालाब और हैंड पंप सूख जाते हैं।
प्रदूषण इस क्षेत्र की एक बड़ी समस्या है बताया जाता है कि एक लाख 10 हजार मेट्रिक टन फ्लाई ऐश का उत्सर्जन प्रतिवर्ष होता है। जिससे लैलूंगा और तमनार ब्लॉक की कृषि भूमि पर जहां प्रतिकूल असर पड़ रहा है। वहीं प्रदूषण की बड़ी समस्या बन गई है। केलो नदी के तटीय क्षेत्र के अलावा खेत-खलिहानों के आस-पास फ्लाईएस डंप किए जाने से कृषि भूमि प्रभावित हो रही है। वहीं उडऩे वाली धूल से लोग दमा,श्वास की बीमारी की चपेट में आ रहे है।
सिंचाई सुविधा की भी कमी
क्षेत्र में किसानों के लिए सिंचाई सुविधाओं का विस्तार भी एक बड़ी चुनौती बन गई है। तमनार क्षेत्र में सबसे ज्यादा औद्योगिक इकाइयों के लिए कृषि भूमि का अधिग्रहण हो चुका है। बची-खुची जमीन पर सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं होने से किसानों के सामने फसल उत्पादन की बड़ी समस्या है। क्षेत्र के किसान बोर पंप पर ही निर्भर हैं, लेकिन गिरते भू-जल स्तर ने उनकी चिंता बढ़ा दी है। केलो नदी पर बने केलो सिंचाई परियोजना का लाभ भी उन्हें नहीं मिल पाया। इस दिशा में भी राजनीतिक इच्छा शक्ति शिफर ही रही।
बेहतर शिक्षा व्यवस्था का इंतजार
लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र के ज्यादातर सरकारी स्कूलों में शिक्षकों की कमी आम समस्या रही है। बताया जाता है कि औद्योगिक इकाइयों वाले इस क्षेत्र के सरकारी स्कूलों में सीएसआर मद से मानदेय पर शिक्षकों की व्यवस्था पर निर्भरता रही है। जिसका खामीयाजा यह हुआ की शिक्षा के स्तर में गुणात्मक सुधार की स्थिति नहीं बन पाई। आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र में स्कूल भवनों की दुर्दशा भी बेहद चिंताजनक है, लेकिन फंड की कमी और उपेक्षा के चलते इन सरकारी स्कूलों की दशा और दिशा में सकारात्मक सुधार के प्रयास अब तक सफल नहीं हो पाए हैं।
नशा और अपराध का फैलता जाल
औद्योगिक इकाई वाले इस क्षेत्र में अपराध के ग्राफ भी तेजी से बढ़े, बताया जाता है कि आमतौर पर शांत रहने वाले क्षेत्र में औद्योगिक इकाइयों की स्थापना के बाद से अपराधों की संख्या बढ़ती जा रही है। बाहरी लोगों के क्षेत्र में अनवरत आना-जाना और उनके बढ़ते दखल से क्षेत्र में नशे का कारोबार भी तेजी से फैलता रहा है। जिसके चलते ग्रामीण क्षेत्रों में भी नशाखोरी और अन्य अपराधों की जड़े फैलती जा रही है। जिसका खामियाजा नहीं पीढ़ी को भोगना पड़ रहा है। इस दृष्टि से औद्योगिक विकास से क्षेत्र की चहुमुखी विकास की संभावनाएं फलीभूत होती नहीं दिख रही है, राजनीतिक इच्छा शक्ति की कमी को इसका प्रमुख कारण माना जा सकता है।
मुआवजा और विस्थापना का मकडज़ाल
लैलूंगा विधानसभा क्षेत्र में मुआवजा और विस्थापन का ऐसा मकडज़ाल बिछा है जिसकी चपेट में गरीब किसान अपना सब कुछ गवा बैठे हैं। तो बिचौलिए, राजनेता और नौकरशाह मालामाल हुए। बताया जाता है कि महाजैंको के प्रस्तावित कोयला खदान की जद में आए ग्रामीणों की जमीन को शुरुआती दौर में खरीदी कर उसे टुकड़ों में बेचने का बड़ा खेल खेला गया। जिसका असर यह हुआ कि बजरमुड़ा, करवाही, चितवाही, पाता, सराईटोला सहित 14 गांव की 2700 हेक्टेयर भूमि की बड़े पैमाने पर खरीदी-बिक्री हुई। साथ ही अधिक मुआवजा राशि की लालच में बिचौलिए, राजनेता और नौकरशाह भी आ गए, बेनामी तरीके से जमीन की खरीद-बिक्री और बड़े-बड़े मकान का निर्माण कर लिया गया। मामले की शिकायत पर जांच शुरू हुई, लेकिन कार्रवाई लंबित है। इस तरह राजनीतिक रसूखदार मालामाल होते रहे हैं और क्षेत्र के वासिनदे सब कुछ गंवाकर सरकारी अनुदान की बाट जोहने मजबूर है।

You Might Also Like

युवक पर चाकू से हमला, आरोपी गिरफ्तार

दुष्कर्म के आरोपी को पुलिस ने किया गिरफ्तार

संजय-कॉम्पलेक्स से आज फिर हटाया गया अतिक्रमण

मेसर्स एसकेएस पावर जनरेशन में हुआ राष्ट्रीय सुरक्षा सप्ताह का आयोजन

बेतरतीब खड़ी दुपहिया वाहनों को उठा रही क्रेन

Share This Article
Facebook Twitter Whatsapp Whatsapp Telegram Email
Previous Article मारुती कार की डिक्की में मिली सवा पांच लाख नकद
Next Article अन्तर्राष्ट्रीय शरदपूर्णिमा महोत्सव का हुआ भव्य समापन

खबरें और भी है....

जेपी नड्डा-अमित शाह आएंगे छत्तीसगढ़
श्रावण शुरू होने के पहले ही शिव भक्तों का जत्था होने लगी रवाना
आसमानी गाज गिरने से एक की मौत, दो झुलसे
हनुमान बस की ठोकर से सायकल सवार बुजुर्ग की मौत
सुदूर अंचल के विकास के लिए संकल्पित होकर कर रहे काम- वित्तमंत्री

Popular Posts

जेपी नड्डा-अमित शाह आएंगे छत्तीसगढ़
मेगा हेल्थ कैंप का मिला फायदा, गंभीर एनीमिया से पीड़ित निर्मला को तुरंत मिला इलाज
स्कूल व आंगनबाड़ी के बच्चों का शत-प्रतिशत जारी करें जाति प्रमाण पत्र,कलेक्टर श्रीमती रानू साहू ने बैठक लेकर राजस्व विभाग की कामकाज की समीक्षा
दृष्टिहीन मिथिला का मौके पर बना राशन कार्ड, शारीरिक रूप से असमर्थ लोगों को मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सहायता योजना से लाभान्वित करने के दिए निर्देश
डेंगू से निपटने निगम और स्वास्थ्य की टीम फील्ड पर,पिछले 5 साल के मुकाबले इस साल केसेस कम, फिर भी सतर्कता जरूरी

OWNER/PUBLISHER-NAVIN SHARMA

OFFICE ADDRESS
Navin Kadam Office Mini Stadium Complex Shop No.42 Chakradhar Nagar Raigarh Chhattisgarh
CALL INFORMATION
+91 8770613603
+919399276827
Navin_kadam@yahoo.com
©NavinKadam@2022 All Rights Reserved. WEBSITE DESIGN BY ASHWANI SAHU 9770597735
Welcome Back!

Sign in to your account

Lost your password?