रायगढ़। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जनकल्याणकारी मंशा और मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के नेतृत्व में प्रदेश में सौर ऊर्जा के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए ‘पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना’ तेजी से असर दिखा रही है। इस योजना के तहत जिले में सैकड़ों घर रोशन हो रहे हैं और लोग मुफ्त, स्वच्छ एवं पर्यावरण-हितैषी बिजली का लाभ लेकर ऊर्जा आत्मनिर्भरता की ओर आगे बढ़ रहे हैं। शासन द्वारा दी जा रही सब्सिडी और सरल प्रक्रिया ने इस योजना को और अधिक लोकप्रिय बना दिया है। इसी सकारात्मक बदलाव की एक प्रेरक मिसाल हैं-रायगढ़ के चक्रधरनगर बंगलापारा निवासी मोहन सिंह ठाकुर, जिन्होंने 5 किलोवाट का सोलर प्लांट स्थापित कर साबित कर दिया कि सौर ऊर्जा न केवल खर्च घटाती है, बल्कि स्थायी ऊर्जा का मजबूत विकल्प भी है। ठाकुर बताते हैं कि योजना के तहत उन्हें बैंक लोन लेने में एक भी दिन की देरी नहीं हुई। सभी जरूरी दस्तावेजों की जांच समयबद्ध तरीके से हुई, ऋण बिना किसी जटिलता के स्वीकृत हो गया, सीएसपीडीसीएल ने ग्रिड-कनेक्शन भी निर्धारित समय पर उपलब्ध करा दिया, केंद्र सरकार से 78 हजार रुपये और राज्य सरकार से 30 हजार रुपये की सब्सिडी सीधे उनके खाते में जमा हो गई। इस पूरी प्रक्रिया को ठाकुर ने पूरी तरह पारदर्शी, उपभोक्ता हितैषी और सहज बताया।
सोलर प्लांट लगने के बाद ठाकुर के घर में ऊर्जा आत्मनिर्भरता की एक नई शुरुआत हुई। वे बताते हैं अब हमें बिजली बिल की चिंता नहीं रहती। हमारी जरूरत की बिजली हमारी अपनी छत से बन रही है। सोलर प्लांट स्थापित करने से पहले श्री ठाकुर को प्रतिमाह 2500 से 3000 रुपये तक का बिजली बिल भरना पड़ता था। लेकिन सोलर ऊर्जा शुरू होने के बाद स्थिति पूरी तरह बदल गई। लगातार चार माह तक माइनस बिल प्राप्त हुए, अतिरिक्त बिजली ग्रिड को दी गई, उसकी राशि बिजली बिल में समायोजित होती रही। मोहन सिंह ठाकुर की सफलता यह संदेश देती है कि यदि योजनाओं का लाभ सही समय पर और सही तरीके से लिया जाए, तो सौर ऊर्जा न केवल पर्यावरण के लिए बेहतर है, बल्कि घरेलू बजट में भी बड़ी राहत देती है। उनकी कहानी शहरवासियों के लिए एक प्रेरक उदाहरण बन चुकी है।
बता दें कि प्रधानमंत्री सूर्यघर योजना के तहत 1 किलोवॉट क्षमता के सोलर प्लांट से प्रतिमाह औसतन 120 यूनिट बिजली उत्पादन होता है, जिस पर 30 हजार रुपए केंद्र से और 15 हजार रुपए राज्य से, कुल 45 हजार रुपए की वित्तीय सहायता दी जाती है। उपभोक्ता को लगभग 15 हजार रुपए स्वयं वहन करने होते हैं। इसी प्रकार 2 किलोवॉट प्लांट के लिए प्रतिमाह औसतन 240 यूनिट उत्पादन संभव है, जिस पर 90 हजार रुपए तक कुल सब्सिडी ( 60 हजार रुपए केंद्र प्लस 30 हजार रुपए राज्य) से मिलती है। उपभोक्ता को केवल 30 हजार रुपए खर्च करना होता है। 3 किलोवॉट क्षमता के प्लांट से प्रतिमाह औसतन 360 यूनिट उत्पादन संभव है, और इसमें 78 हजार रुपए केंद्र प्लस 30 हजार रुपए राज्य यानी कुल एक लाख 8 हजार रुपए की सहायता मिलती है। उपभोक्ता को 72 हजार रुपए वहन करना पड़ता है, जो ऋण पर भी उपलब्ध है।
पीएम सूर्यघर मुफ्त बिजली योजना से रोशन हो रहे लोगों के घर
5 किलोवाट सोलर प्लांट से लगातार चार माह तक मिले माइनस बिल, शहरवासियों के लिए बनी प्रेरणा



