रायगढ़। लैलूंगा क्षेत्र के ग्राम पंचायत चिरईखार के आश्रित ग्राम कुरोपहरी से एक बार फिर बड़ी खबर सामने आई है, जहां महीनों से टूटी सडक़ और जर्जर पुल ग्रामीणों के लिए खतरा बन चुका है। पच्चीस जुलाई 2025 की वह तारीख आज भी लोगों के जेहन में ताजा है, जब तेज बारिश में यह सडक़ बह गई थी और तब से लेकर अब तक कोई सुधार कार्य नहीं हुआ।
ग्रामीणों ने बताया कि एसडीएम समेत कई अधिकारी और कर्मचारी निरीक्षण करने आए, तस्वीरें लीं, वीडियो बनाए और आश्वासन देकर चले गए, लेकिन जमीनी स्तर पर आज तक कुछ भी नहीं बदला। चुनावी वादों में “विकास” का शोर मचाने वाले जनप्रतिनिधि अब गायब हैं।
हालात इतने बदतर हैं कि सरपंच ने ग्रामीणों की मदद से लकड़ी का अस्थायी पुल तैयार करवाया, ताकि लोगों का आना-जाना चालू रह सके। लेकिन यह लकड़ी का पुल अब धीरे-धीरे टूटने लगा है। ग्रामीणों का कहना है कि हर दिन जान हथेली पर लेकर पार करना पड़ता है। पिछले कुछ दिनों में कई लोग इस पुल से फिसलकर नीचे गिर चुके हैं, लेकिन प्रशासन की नींद अब तक नहीं टूटी।
रोजी-रोटी के लिए मेहनत करने वाले मजदूर जब शाम को लौटते हैं, तो अंधेरे में यह पुल मौत का जाल बन जाता है। फिर भी मजबूरी ऐसी है कि उसी रास्ते से गुजरना पड़ता है।
ग्रामीणों ने सवाल उठाया है कि अगर किसी की जान चली जाती है, तो जिम्मेदार कौन होगा? क्या प्रशासन अब भी चुप बैठा रहेगा? लोगों का कहना है कि सरकार, विधायक और पंचायत तीनों की नाकामी ने कुरोपहरी को अंधेरे में धकेल दिया है। अब देखना यह है कि क्या प्रशासन जागेगा या फिर ग्रामीणों को उनकी हालत पर छोड़ देगा।
लैलूंगा चिरईखार के कुरोपहरी में टूटी सडक़ व पुल बनी मुसीबत
प्रशासनिक उदासीनता से जनता त्रस्त
