रायपुर। राजधानी रायपुर में सोमवार को भारतीय किसान संघ ने राज्य सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। संघ के सैकड़ों किसान मुख्यमंत्री निवास का घेराव करने निकले, लेकिन पुलिस ने उन्हें बूढ़ातालाब के पास ही रोक दिया। भारी विरोध को देखते हुए प्रशासन ने सप्रे स्कूल के पास ही बैरिकेडिंग कर दी थी। जिसके चलते किसान सीएम हाउस तक नहीं पहुंच सके। किसानों की मुख्य मांगों में उचित समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी, हाफ बिजली बिल स्कीम को फिर से लागू करना, एग्रीटेक पोर्टल की तकनीकी विसंगतियों को दूर करना और धान की खरीदी की अवधि बढ़ाना शामिल है। किसान यह भी मांग कर रहे हैं कि धान की प्रति क्विंटल राशि में केंद्र सरकार की तरफ से तय 2100 रुपए के एमएसपी के साथ-साथ राज्य सरकार की ओर से घोषित एक रुपए की अतिरिक्त राशि को जोड़ते हुए 3,100 की जगह 3,286 रुपए प्रति क्विंटल भुगतान किया जाए।
भारतीय किसान संघ ने मांग की है कि, 1 नवंबर से धान खरीदी शुरू हो और 15 फरवरी तक चले। उन्होंने गन्ने की कीमत 500 रुपए प्रति क्विंटल निर्धारित करने की मांग भी रखी है। किसानों का कहना है कि राज्य में जिस तरह से एग्रीटेक पोर्टल की अनिवार्यता लागू की गई है, उससे तकनीकी दिक्कतों और अपूर्ण जानकारियों के कारण कई पात्र किसान वंचित हो रहे हैं।
इस बीच, सरकार ने खरीफ विपणन वर्ष 2025-26 के लिए धान खरीदी की तारीखों का ऐलान कर दिया है। 15 नवंबर से 31 जनवरी तक पूरे राज्य में 2,739 खरीदी केंद्रों पर धान की खरीदी की जाएगी। इस बार सरकार प्रति एकड़ अधिकतम 21 क्विंटल तक धान खरीदेगी और प्रति क्विंटल 3,100 रुपए का भुगतान किया जाएगा।
नई व्यवस्था के तहत ई-केवाईसी को अनिवार्य कर दिया गया है। किसानों को केंद्र सरकार के एग्रीस्टेक पोर्टल पर 31 अक्टूबर तक पंजीकरण कराना होगा। सरकार का दावा है कि इससे फर्जीवाड़ा और डुप्लीकेट रजिस्ट्रेशन की समस्या खत्म होगी। 23 लाख हेक्टेयर में डिजिटल क्रॉप सर्वे भी पूरा कर लिया गया है, जिसका डेटा अब ग्राम सभाओं में सार्वजनिक रूप से पढ़ा जा रहा है। इस बार टोकन वितरण भी पूरी तरह ऑनलाइन किया गया है। ‘तुंहर हाथ’ मोबाइल एप से किसान टोकन बुक कर सकेंगे, वहीं धान बेचते वक्त बायोमैट्रिक सत्यापन अनिवार्य रहेगा। सरकार ने निर्देश दिए हैं कि हर खरीदी केंद्र पर प्रशासनिक अधिकारी प्रभारी बनाए जाएंगे। समितियों को भी प्रति क्विंटल 5 रुपए का प्रोत्साहन दिया जाएगा यदि वहां ‘शून्य सुखत’ यानी कोई विवाद या गड़बड़ी न हो।
केंद्र सरकार ने छत्तीसगढ़ को 73 लाख मीट्रिक टन चावल का लक्ष्य दिया है। इसके लिए जूट बारदाने की व्यवस्था की जा रही है और धान की रिसाइकलिंग रोकने के लिए कंट्रोल रूम और मार्कफेड ऑफिस में इंटीग्रेटेड कमांड एंड कंट्रोल सेंटर तैयार किया गया है। सीमावर्ती राज्यों से अवैध धान की आवक को रोकने विशेष जांच दल तैनात किए गए हैं। साथ ही, धान उठाव और परिवहन की भी सख्त निगरानी की जा रही है। हालांकि, इन तमाम तैयारियों के बीच किसानों का गुस्सा शांत होता नहीं दिख रहा। भारतीय किसान संघ का कहना है कि सरकार सिर्फ कागज़ों में तैयारी दिखा रही है, जमीनी स्तर पर किसानों की समस्याएं जस की तस बनी हुई हैं। अगर सरकार ने जल्द उनकी मांगें नहीं मानीं, तो आंदोलन और तेज़ होगा।
भारतीय किसान संघ का सीएम हाउस घेराव, पुलिस ने रास्ते में ही रोका
धान खरीदी, हाफ बिजली बिल स्कीम समेत कई मांगे शामिल
