रायगढ़। राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सौ वर्ष के स्वर्णिम सफर का जिक्र करते हुए विधायक रायगढ़ वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने कहा राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सौ वर्ष पूर्व विजयादशमी के ही दिन विचारों का जो नन्हा बीज रोपा था वो आज सौ वर्षों में वट वृक्ष बन गया। इस दौरान बहुत से बदलाव आए लेकिन संघ अपने सिद्धांतों पर मजबूती से अडिग रहा । स्थापना से लेकर आजादी तक और आजादी से लेकर आज तक संघर्ष की पद्धति में भले ही बदलाव आया लेकिन संघ ने राष्ट्र प्रथम की भावना को सदैव ऊपर रखा। राष्ट्र के लिए चेतना जागृत करना संघ का प्रमुख लक्ष्य रहा। स्वयं को सौभाग्यशाली बताते हुए ओपी चौधरी ने कहा संघ के शताब्दी वर्ष का महान अवसर का साक्षी बनना गौरवशाली पल है। संघ के लिए अपना जीवन खपाने वाले सभी स्वयं सेवकों का पुण्य स्मरण करते हुए उन्होंने कहा राष्ट्र सेवा के लिए समर्पित रहने वाले स्वयं सेवक बधाई के पात्र है। संघ की स्थापना करने वाले डॉक्टर हेडगेवार जी के चरणों में श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए वित्त मंत्री ओपी ने कहा स्थापना के सौ वर्ष पूरे होने पर मोदी सरकार ने विशेष डाक टिकट के साथ इस पल की स्मृतियो को सहेजने के लिए सिक्के भी जारी किए हैं। जीवन दायिनी नदियों की तरह संघ से मिलने वाले बहु आयामी लाभ का जिक्र करते हुए ओपी ने कहा संघ ने भारतीय जनमानस के मस्तिष्क में सेवा भावना के जरिए अमिट छाप छोड़ी है। समाज से जुड़े हर पहलु पर संघ के चिंतन की झलक देखी जा सकती है। संघ से बहुत से आनुषांगिक संगठन है जो विभिन्न क्षेत्रों में बारीकी से कार्य कर रहे है । शिक्षा, कृषि, समाज कल्याण, आदिवासी कल्याण, महिला सशक्तीकरण, से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में संघ सतत प्रत्यनशील है। सभी का लक्ष्य व्यक्ति के जरिए राष्ट्र की सेवा है। संघ के लिए हर भारतीय एक छोटी इकाई की तरह है ये छोटी छोटी इकाई मिलकर समाज का निर्माण करती है । संघ सौ वर्षों से व्यक्ति निर्माण के जरिए राष्ट्र निर्माण की कल्पना को साकार करने जी जान से जुटा हुआ है। आज देश भर में 83 हजार शाखाएं नियमित चलती है । शाखाओं की भूमि में बहने वाला पसीना हर स्वयं सेवक को खरे सोने में तब्दील करता है। स्वयं सेवकों के लिए शाखाये व्यक्ति निर्माण और चरित्र निर्माण की पाठशाला है। आजादी की लड़ाई में भी संघ की सहभागिता रही हैं। डॉक्टर हेडगेवार जी के साथ बहुत से स्वयं सेवकों ने आजादी के लिए लड़ाई में भाग लिया। संघ के सौ वर्षों के सफर को देखा जाए तो यह बात प्रमाणित हो जाएगी कि सत्य की राह कितनी कठिन होती है। संघ की विचारधारा को कुचलने के बहुतेरे प्रयास हुए संघ को प्रतिबंध का सामना करना पड़ा लेकिन हर विषम परिस्थिति गुजरने के बाद संघ अधिक मजबूती से राष्ट्र निर्माण के लक्ष्य में जुट गया। सही मायने में सेवा परमो धर्म का मूल मंत्र संघ की कार्यपद्धति में शामिल रहा। जब जब राष्ट्र के सामने संकट आया तब तब स्वयं सेवक जान की परवाह किए बिना जी जान से सेवा में जुटे और मानवता की अदभुत मिशाल पेश की है। देश के किसी भी कोने में आपदा या विपत्ति आए संघ से जुड़े कार्यकर्ता वहां अवश्य मिलेंगे। यही स्वयं सेवकों की असली पहचान है। संघ से जुड़े अन्य संस्थान वनवासी कल्याण आश्रम,एकल विद्यालय, विद्या भारती, सेवा भारती, आदिवासी समाज से जुड़े लोगो के लिए निरंतर जुटे हुए है। 100 वर्षों की इस वैचारिक सफर में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने हर भारतीय में राष्ट्र प्रेम की भावना जागृत करने में सफलता पाई है।