रायगढ़। अंचल में शारदीय नवरात्र पर्व को लेकर धूम मची हुई है। इस दौरान बुधवार को माता के चौथा रूप कुष्मांडा देवी की पूजा-अर्चना की गई। साथ ही सुबह व शाम के समय देवी मंदिरों में बड़ी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं और माता के भक्ति में लीन होकर घर-परिवार के सूख, शांति व समद्धि के लिए प्रार्थना करते नजर आ रहे हैं।
उल्लेखनीय है कि बुधवार की सुबह से ही माता का चौथा रूप कुष्मंाडा देवी की भक्ती में श्रद्वालु अंचल के देवी मंदिरों सहित अपने घरों में धूमधाम से पूजा-अर्चना किया। इस दौरान भक्त माता के दर्शन करने सुबह-शाम देवी मंदिरों में अपनी उपस्थित दर्ज करा रहे हैं। लोगों का मानना है कि माता के चौथे स्वरूप यानि कुष्मांडा देवी की आठ भुजाएं होती है। इसलिए इस स्वरूप को देवी अष्टभूजी भी कहा जाता है। माता के सात हाथों में कमंडल, धुनष, बाण, कमल पुष्प, अमृतपूर्ण कलश, चक्र व गदा होता है। जबकि आठवीं हाथ में सिद्वि व निधि को देने वाला जप माला होती है। माता के इस चौथे स्वरूप की आराधना से रोग व शोक का नाश होता है। साथ ही आराधना करने वालों को आयु, यश, बल और आरोग्य की प्राप्ति होती है। जिसके चलते शहर सहित ग्रामीण क्षेत्रों के देवी मंदिरों में सुबह से भक्तों का तांता लगा रहा, साथ ही लोग अपने घरों में भी माता का आसन लगाकर पूजा किया। भक्तों का कहना है कि नवरात्र का यह नौ दिन सभी जगह माता का वास होता है। इस कारण लोग पूरे दिन भक्ती में ही लीन नजर आ रहे हैं।
आज होगा स्कंदमाता की पूजा
गुरुवार को नवरात्र के पांचवे दिन स्कंद माता की पूजा की जाएगी। मान्यता है कि स्कंदमाता शेर की सवारी करती हैं जो क्रोध का प्रतीक है और उनकी गोद में पुत्र रूप में भगवान कार्तिकेय हैं जो पुत्र मोह का प्रतीक है। देवी का ये रूप हमें सीखाता है कि जब हम ईश्वर को पाने के लिए भक्ति के मार्ग पर चलते हैं तो क्रोध पर हमारा पूरा नियंत्रण होना चाहिए, जिस प्रकार देवी शेर को अपने काबू में रखती है। सांसारिक मोह-माया में रहते हुए भी भक्ति के मार्ग पर चला जा सकता है, इसके लिए मन में दृढ़ विश्वास होना बहुत जरूरी है।
धूमधाम से हुई माता के चौथा रूप कुष्मांडा देवी की अराधना
माता के जयकारे से गूंजता रहा अंचल
