रायगढ़। जिला में औद्योगिक विकास के साथ प्रदूषण की स्थिति गंभीर होती जा रही है। रायगढ़ जिला मुख्यालय के 25 किलोमीटर के दायरे में पावर प्लांट, स्पंज आयरन प्लांट और छोटे-बड़े कुल 73 उद्योग संचालित हैं। इतना ही नहीं, तमनार और घरघोडा ब्लॉक में ही 13 कोयला खदान और 12 पावर प्लांट स्थापित हैं।
प्रदूषण का स्तर और प्रभाव
रायगढ़ में प्रदूषण का स्तर खतरे की लकीर से ऊपर पहुंच चुका है। वायु प्रदूषण के प्रमुख कारणों में उद्योगों से निकलने वाला धुआं, जर्जर सडक़ों से उडऩे वाली धूल और कार्बन व अन्य रसायनों के छोटे-छोटे कण (2.5 च्ड से 10 च्ड तक) शामिल हैं। ये कण हवा में घुलकर सांस नली से होते हुए लोगों को प्रत्यक्ष रूप से प्रभावित करते हैं।
उद्योगों से उत्पन्न फ्लाई ऐश का अवैज्ञानिक निपटान भी एक गंभीर समस्या है। एनजीटी के अनुसार, रायगढ़ के उद्योग लगभग 15.2 मिलियन टन फ्लाई ऐश सालाना उत्पन्न करते हैं, जिसे वैज्ञानिक तरीके से निपटाया नहीं जा रहा है। इसके बजाय, यह कृषि क्षेत्रों और वन क्षेत्रों में डंप किया जा रहा है, जिससे पर्यावरण को भारी नुकसान हो रहा है। रायगढ़ में 20 किलोमीटर के दायरे में रहने वाला हर व्यक्ति फ्लाई ऐश के अवैज्ञानिक निपटान से पीडि़त है, जो बारिश की तरह घरों और लोगों पर गिरता है।
स्वास्थ्य पर प्रभाव
प्रदूषण के कारण रायगढ़ में स्वास्थ्य संबंधी गंभीर समस्याएं बढ़ रही हैं
सांस संबंधित बीमारियों में वृद्धि हुई है, जिसमें अस्थमा और सांस लेने में कठिनाई शामिल है।
टीबी के मरीजों की संख्या में चिंताजनक वृद्धि हुई है। रायगढ़ में 1,011 टीबी के मरीज पाए गए हैं, जो प्रदेश में चौथे स्थान पर है।
श्वांस, दमा, लिवर, हृदय एवं कैंसर जैसे जानलेवा रोगों की शिकायतें आम होती जा रही हैं।
महिलाओं के स्वास्थ्य पर विशेष प्रभाव पड़ रहा है, जिनमें मानसिक और शारीरिक दोनों प्रकार की स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ रही हैं।
भविष्य की चिंताएं
रायगढ़ में चार बड़े उद्योग अपनी क्षमता का विस्तार करने की तैयारी कर चुके हैं, जिससे प्रदूषण और बढऩे की आशंका है। अडानी पावर लिमिटेड, रायगढ़ में अल्ट्रा सुपर-क्रिटिकल थर्मल पावर प्रोजेक्ट के तहत 800 मेगावाट के दो यूनिट स्थापित करने का प्रस्ताव है।
स्थानीय लोगों और पर्यावरण कार्यकर्ताओं ने इस स्थिति पर चिंता व्यक्त की है। रायगढ़ में बढ़ते प्रदूषण और औद्योगिक दुर्घटनाओं के विरोध में कांग्रेस ने भी प्रदर्शन किया है और जिला प्रशासन से कार्रवाई की मांग की है।
यदि इस प्रकार अनियंत्रित औद्योगिकरण जारी रहा और प्रदूषण नियंत्रण के उपाय नहीं किए गए, तो निश्चित रूप से भविष्य में महानगरों की तरह ऑक्सीजन चौंबर की आवश्यकता पड़ सकती है। वैज्ञानिकों, चिकित्सकों, पर्यावरणविदों और जनसंगठनों का स्पष्ट मानना है कि वायु खतरनाक स्तर से कई गुना ज्यादा प्रदूषित हो चुकी है और जनता को मास्क लगाना जरूरी सा होता जा रहा है। रायगढ़ पर्यावरण मित्र बजरंग अग्रवाल ने कहा कि इस फ्लाई ऐश ने पूरे जीवन में जहर घोल दिया है निकलने वाला फ्लाई ऐश रायगढ़ वालों के लिए जहर बन गया है कुछ उद्योगपति एवं ट्रांसपोर्टर एवं कोल माफिया के द्वारा रेक पॉइंट पर कोल्ड डिपो में हजारों टन कोयला का चूरा कोयले की छाई फ्लाई ऐश खुलेआम मिलावट की जाती है जिस पर जिला प्रशासन एवं पुलिस प्रशासन की कोई रोक-टोक नहीं है ऐसा लगता है यह चोरी मिलावट खोर अधिकारियों के संरक्षण में यह सारे कार्य को अंजाम देते हैं जिला पुलिस अधीक्षक जिला कलेक्टर से मांग करता हूं की ऐसे कर मिलावट खोरों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्रवाई कर इनको जेल भेजा जाना चाहिए रायगढ़ पर्यावरण मित्र बजरंग अग्रवाल ने एनटीपीसी लारा से प्रतिदिन निकलने वाली हजारों टन फ्लाई ऐश की की 1 साल की पूरी जांच की मांग की है कितना फ्लाई है निकाला कितना डिस्पोज के लिए ट्रांसपोर्टों को दिया गया ट्रांसपोर्टों के द्वारा निर्धारित स्थान पर फ्लाई ऐश का दाम किया कि नहीं इसकी पुरी सीबीआई से जांच के लिए जिला प्रशासन को लिखना चाहिए क्योंकि सबसे बड़ा घोटाला फ्लाई ऐश डंपिंग का एनटीपीसी में ही हो रहा है ऊपर से लेकर नीचे तक एनटीपीसी के सारे अधिकारी बिके हुए हैं एवं फ्लाई ऐश ट्रांसपोर्टरों से टन के हिसाब से पैसों की वसूली करते हैं इसलिए उनको कोई मतलब नहीं की ट्रांसपोर्टर फ्लाई एस को कहां ले जाकर फेंक रहा है कहां नहीं बजरंग अग्रवाल ने कहा अगर शीघ्र इसकी जांच नहीं की जाएगी तो सूचना का अधिकार लगाकर एनटीपीसी से सारी जानकारी निकाल कर माननीय न्यायालय हाई कोर्ट में एक याचिका लगाकर सीबीआई जांच की मांग कर हुए करोड़ों के घोटाले की जांच के लिए मांग की जाएगी।
फ्लाई ऐश का कहर रायगढ़ जिले में- बजरंग अग्रवाल
