रायगढ़। जहाँ बच्चे पढ़ते थे, आज वहाँ छत से टपकता पानी है दीवारें दरक गई हैं और पूरी क्लास एक कमरे में सिमटकर बैठती है। धरमजयगढ़ विकासखंड के नगर पंचायत क्षेत्र चिकटवानी गांव का प्राथमिक विद्यालय इन दिनों बदहाली का शिकार है। आलम यह है कि पहली से पांचवीं तक की सभी कक्षाएं एक ही कमरे में संचालित हो रही हैं, जहां ना बैठने की जगह है, ना हवा, ना रोशनी सिर्फ एक डर है छत गिरने का।
एक तरफ सरकार के दावे, दूसरी तरफ जमीनी सच्चाई मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भले ही शिक्षा को लेकर बड़े-बड़े दावे कर रहे हों, मगर हकीकत चिकटवानी जैसे गांवों में साफ दिख रही है। साल 2023-24 में यहां के प्राथमिक और माध्यमिक स्कूल की मरम्मत के लिए स्कूल जतन योजना के तहत टेंडर निकाले गए थे, पर प्राथमिक स्कूल का काम आज तक शुरू नहीं हो पाया।
स्कूल की हालत इतनी खस्ता है कि अब मरम्मत करना भी संभव नहीं। एक ही कमरे में पांच कक्षाओं के बच्चों को बैठाकर पढ़ाना पड़ रहा है। शिक्षक भी असहाय हैं और अभिभावक रोज चिंतित। बच्चों की पढ़ाई से ज्यादा अब उनकी सुरक्षा सबसे बड़ी चिंता बन गई है।
विकासखंड शिक्षा अधिकारी रवि सारथी ने जानकारी दी कि भवन की मंजूरी तो पहले मिल चुकी थी लेकिन काम शुरू नहीं हो पाया है। रिपोर्ट जिला दफ्तर भेज दी गई है। वहीं मामले में ग्रामीण यांत्रिकी विभाग के एसडीओ विजय देवांगन ने बताया कि जर्जर हालत की वजह से प्राथमिक स्कूल की मरम्मत नहीं हो पाई। नया भवन बनाने का प्रस्ताव शासन को भेजा गया था, लेकिन अब तक स्वीकृति नहीं आई है।
गांव वालों की गुहार
बच्चों के भविष्य से मत खेलिए चिकटवानी के ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई मजाक नहीं है। शासन को जल्द से जल्द नया भवन बनवाना चाहिए, ताकि मासूमों को सुरक्षित और सम्मानजनक शिक्षा का माहौल मिल सके।
खंडहर बना स्कूल, शिक्षा बनी संघर्ष
एक प्राथमिक विद्यालय की जमीनी हकीकत!
