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NavinKadam > रायगढ़ > 31 बरस से अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा मे जल रही मानव सेवा की अखंड ज्योत
रायगढ़

31 बरस से अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा मे जल रही मानव सेवा की अखंड ज्योत

तीन दशकों से पीडि़त मानव की सेवा हेतु संचालित है गतिविधियां, मानव सेवा का त्रिवेणी बनी अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा

lochan Gupta
Last updated: July 30, 2024 11:48 pm
By lochan Gupta July 30, 2024
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33 Min Read

रायगढ। अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में तीन दशक से मानव सेवा की अखंड ज्योत जल रही है। आज के ही दिन पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम के अनन्य प्रिय शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम के कर कमलों के जरिए पूर्वांचल के ग्राम बनोरा में चौदह सूत्रीय उद्देश्यों को लेकर मानव सेवा का जो बीज रोपा गया वह तीन दशकों में वट वृक्ष बन गया बल्कि इस विशाल वट वृक्ष की शाखाएं छत्तीसगढ़ के शिवरीनारायण, डभरा, चिरमिरी, अंबिकापुर सहित अन्य प्रांत उत्तरप्रदेश के रेणुकोट, बिहार के मुर जिले के जिगना, झारखण्ड के आदर एवं रांची तक विस्तारित हो चुकी है। आश्रम की सभी शाखाओ में पीडि़त मानव सेवा का कार्य अनवरत जारी है। अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा अपनी स्थापना के मूलभूत उद्देश्यों को सार्थक कर रहा है। अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा छत्तीस गढ़ प्रदेश वासियों के लिए अनमोल धरोहर बन गया है।अंचल के लिए सबसे बड़ी आध्यात्मिक पाठशाला में यह ट्रस्ट पीडि़त मानव की सेवा के साथ साथ आम जनमानस के जीवन से अज्ञानता के अंधकार को दूर करने एवम मनुष्य को मोक्ष की राह बताने का कार्य भी बखूबी से कर रहा है।जन्म से मृत्यु तक के जीवन सफर में मनुष्य धन संपत्ति ख्याति अर्जित करने के लिए दिन रात जुटा रहता है। मौजूदा शिक्षा व्यवस्था मनुष्य को डॉक्टर इंजीनियर व्यवसाई वकील शिक्षक तो आसानी से बना रही है। मौजूदा शिक्षा और व्यवस्था में बेहतर इंसान बनाने की प्रक्रिया शामिल नहीं है। शिक्षा के व्यवसाई करण की वजह से समाज में चारो तरफ व्यवसायिक मानसिकता हावी हो गई है। अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा मानव मात्र के अंदर मौजूद अदभुत गुणों को निखारने व उनका समाज हित मे उपयोग में लाने की दिशा में सतत प्रयत्न शील है। बनोरा ट्रस्ट एक ऐसी आध्यात्मिक पाठशाला है जिसमे सभी धर्म जाति उम्र के लोग शामिल होते है। यह पाठशाला मानव को जन्म का रहस्य बताते हुए जीवन में कार्य करने की शैली और इस दौरान मुक्ति का सही मार्ग बताती हैं। छत्तीसगढ़ में अघोर पंथ का बीजारोपण करने वाले वाले महान संत पूज्य अघोरेश्वर के शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम जी ने अघोर पंथ की पावन परंपरा का विस्तार किया।बाबा प्रियदर्शी राम जी का पावन स्पर्श पाकर बनोरा की पावन भूमि अध्यात्मिक विचारों का केंद्र बन गई। बनोरा आश्रम की अध्यात्मिक शिक्षा ने मानव समाज को यह बताया कि समस्याओ का समाधान सृष्टि में बाहर नही है अपितु सभी समाधान मानव के मन मस्तिष्क में मौजूद है। चित्त को स्थिर रखे बिना मनुष्य किसी भी समस्या का समाधान नही कर सकता।मानव जीवन के लिए आस्था और विश्वास के महत्व को परिभाषित करने में यह संस्था सफल रही है। मानव मन को गढऩे की ठोस कार्य योजना इस आश्रम के अहम उद्दश्यों में शामिल है। आज एक बड़ा तबका अघोरपंथ के नैतिक मूल्यों को अपनाते हुये राष्ट्र निर्माण में अपनी सक्रिय सहभागिता दर्ज करा रहा है। वनांचल में स्थापित इस आश्रम ने यह साबित किया। किस तरह एक आदमी भी राष्ट्र निर्माण मददगार भूमिका निभा सकता है। मोह माया के दलदल में फ़सी हुई मानव जाति वैचारिक रूप से कमजोर हो रही है। मनुष्य के नैतिक पतन का असर समाज पर पड़ेगा।त्रिकालदर्श अघोरेश्वर महाप्रभु ने समय रहते इस बात को महसूस किया कि चरित्रवान मनुष्य के बिना सबल राष्ट्र की कल्पना असंभव है। मनुष्य को मजबूत करने के लिये ऐसी पाठशाला की जरूरत थी जहां चरित्र निर्माण आसानी से हो सके। सही मायने में बनोरा आश्रम मानव जाति के लिये ऐसे चरित्र की पाठशाला है जहां से मनुष्य स्वयं को सहजता से बदल सकता है। महाप्रभु अघोरेश्वर की मंशा अनुरूप बनोरा की मौजूदा व्यवस्थायें स्वत: ही राष्ट्र निर्माण का मार्ग प्रशस्त कर रही हैं।

अघोरश्वर महाप्रभु ने श्मशान से समाज की ओर अवधारणा का श्रीगणेश तो कर दिया लेकिन इस दिशा में बहुत सारे कार्य किये जाने शेष थे। अघोरेश्वर के प्रियतम शिष्य बाबा प्रियदर्शी राम अघोरेश्वर के शेष अधूरे कार्यो को बखूबी से पूरा कर रहे है। बनोरा ट्रस्ट का पत्ता पत्ता समाज की अंतिम पंक्ति में खड़े साधन विहीन बेबश बेसहारा लोगो को शीतल छाया का अहसास करा रहा है। सम्पन्न समाज का बड़ा तबका संस्था द्वारा बताए गए मार्ग का अनुशरण कर रहा है। साथ ही समाज के संपन्न वर्ग को जीवन के उद्देश्य कला और संस्कारों के महत्व का भी अनवरत बोध करा रहा है। गरीब व अमीर के मध्य वैमनस्यता की खाई बढ़ रही है। विवश लोगों के आंसू पोछने के साधन इस विकसित अर्थव्यवस्था में कम ही है। अघोर गुरूपीठ ट्रस्ट बनोरा साधन विहिन लोगों को नि:शुल्क स्वास्थ्य शिविरों के जरिए अनवरत् चिकित्सा सुविधाएं उपलब्ध कराने में सफल रहा। आधुनिक मनोवृत्तियों से घिरा मानव बुराईयों की चक्रव्यूह में फंस गया है। संस्कारों की कमी से सामाजिक चेतना शून्य हो चली है। बढ़ती नशाखोरी समाज की जड़ो को खोखला कर रही है। व्यवसायिक शिक्षा परेशानियों का मुख्य कारण है। ऐसी विषम परिस्थितियों में आश्रम से परम पूज्य प्रियदर्शी राम के निरंतर आर्शीवाचन समाज को दिशा दिखाने में पथ-प्रदर्शक साबित हो रहे है। जिन उद्देश्यों को लेकर इस ट्रस्ट की स्थापना की गई इस ट्रस्ट ने आशातीत सफलता पाई है।राष्ट्रहित को सर्वोपरि समझते हुए मानव मात्र को भाई समझना, नारी के लिए मातृभाव रखना,बालक-बालिकाओं के बहुमुखी विकास के लिए शिक्षोन्मुखी वातावरण निर्मित करना, असहाय व उपेक्षित लोगों की सेवा तथा उनके लिए समाज में मर्यादित भाव जागृत करना, अंधविश्वास, नशाखोरी, तिलक-दहेज, के उन्मूलन हेतु सफल प्रयास करना, मानव धर्म की मूल भावनाओं के विचार विनिमय के लिए मंच प्रदान करना इस संस्था के मूल उद्देश्य है। जिन्हें पूरा करने हेतु विभिन्न गतिविधियां निरंतर संचालित है। अज्ञानता के अंधकार को दूर करने के लिए ट्रस्ट के प्रयास सराहनीय रहे है।साधन विहीन एवम समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े बेबस बेसहारा लोगों को जीवन की मूलभूत आवश्यकता शिक्षा चिकित्सा उपलब्ध कराना संस्था के मूल उद्देश्यों में शामिल है।दोनो ही क्षेत्र में संस्था ने अविस्मरणीय योगदान देते हुए सेवा के नए कीर्तिमान स्थापित किए है। इस क्रम में सन 1994 में अघोरेश्वर भगवान राम की स्मृति में जशपुर जिला के ग्राम मनोरा में स्थापना की गई थी। निर्धन छात्रों को नि:शुल्क शिक्षित करने हेतु विशेष प्रावधान है। इसके अलावा छात्र-छात्राओं की बढ़ती संख्या एवं उच्च शिक्षा की आवश्यकता को देखते हुए रायगढ़ से बनोरा जाने वाली मुख्य सडक़ से उत्तर दिशा में स्वतंत्र भू-खण्ड में आकर्षक माध्यमिक उच्च विद्यालय का निर्माण कराया गया है। नव निर्मित शिक्षण संस्था सर्व सुविधायुक्त है। शौचालय,खेल मैदान,पेयजल व्यवस्था, स्नानागार की सुविधा,शिक्षकों के लिए शिक्षक सदन, प्रधानाध्यापक के लिए स्वतंत्र कक्ष, लिपिक कक्ष,स्टोर रूम, सहित सभी आवश्यक व्यवस्थाएं विद्यालय परिसर में मौजूद है। राज्य शासन द्वारा दी जाने वाली छात्रवृत्ति के अतिरिक्त दोनों ही विद्यालयों में प्रथम स्थान प्राप्त करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करने हेतु अघोरेश्वर भगवान राम शिक्षण समिति द्वारा स्व. लक्ष्मण शुक्ल मेघा छात्रावृत्ति प्रदाय की जाती है। कन्या प्रोत्साहन छात्रवृत्ति भी शिक्षण समिति प्रदान करती है। विशाल आकर्षक मुख्य द्वार सहित भवन में स्थित सुंदर बगीचे का निर्माण कराया गया है, जो लोगों को आकर्षित कर लेता है। एक ओर जहाँ जीर्ण शीर्ण स्कुलो में शिक्षा ग्रहण करने से ग्रामीण बच्चो का उत्साह वर्धन नही हो पाता था इसलिए नवनिर्मित भवन बच्चो की मंशानुरूप निर्मित करवाया गया है। दूर सुदर के बच्चों को स्कूल तक लाने के लिए एक बस की व्यवस्था भी है। उच्चस्तरीय अध्यापन अनुशासन व संस्कारो की यह परिणिती है कि अध्ययनरत बच्चों ने जिला स्तरीय प्रतियोगिता में कई बार सफलता पाई है।

बच्चों में संस्कारो के बीजारोपण हेतु विशेष ध्यान दिया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में न्यूनतम फीस में निर्धन बच्चों के लिए बेहतरीन शिक्षा की उपलब्धता यह प्रमाणित करती है कि चिकित्सा के अलावा शिक्षा के क्षेत्र में भी अघोर गुरूपीठ ने उपलब्धियों के आसमान को छुआ है। शिक्षण व्यवस्था के लिए विद्यालय शिक्षण समिति गठित की गई है जो समय समय पर शिक्षा से जुड़े पहलुओं पर नजर रखती है। यह शिक्षण समिति साक्षरता विकास कार्य के अलावा पर्यावरण रक्षा के लिए भारतीय संस्कृति पर आधारित अनुसंधान का कार्य भी करती है। आश्रम द्वारा शिक्षा के क्षेत्र में कई स्थानों पर नियमित स्कूलों का संचालन किया जा रहा है ताकि ग्रामीण क्षेत्र में अधिक बालक-बालिकायें साक्षर बने। निर्धन छात्रों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान की जा रही है 31 मार्च 2024 तक कुल 847 छात्रों को लाभ मिला। कुल 367 छात्रों को निशुल्क गणवेश, शिक्षण सामग्री का वितरण किया गया। छात्रवृत्ति प्राप्त करने में 149 छात्र व 157 छात्रा कुल 306 ने सफलता हासिल की है। ग्रीष्मकालीन नि:शुल्क शिक्षा की 40 दिवसीय कोचिंग में ग्रामीण क्षेत्र में निवासरत दसवीं कक्षा के 84 छात्र व बारहवीं कक्षा के 66 छात्र कुल 150 छात्रों ने विशेष लाभ हासिल किया।सदैव हरियाली से आच्छादित रहने वाले इस अघोर गुरूपीठ का निर्माण घासीदास अमृतलाल एवं नंदलाल के द्वारा दान स्वरूप दी गई साढ़े तीन एकड़ जमीन में किया गया है। आश्रम के मुख्य द्वार के उपर निर्मित आकर्षक हंस के जोड़े मनुष्य को सदा नीर-क्षीर विवेकी होनें का संदेश देते है। प्रवेश द्वार के अंदर प्रवेश करते ही एक ज्ञान केन्द्र है, जहां अघोरेश्वर के जीवन से जुड़े ग्रंथ, लाकेट,फोटो एवं साहित्यों का अनुपम संग्रह है। मुख्य द्वार में रोग निवारण केन्द्र औषधालय में प्रियदर्शी बाबा राम के दुवाओ का असर दवाओं से कही अधिक है। प्रतिदिन दवा वितरण के अलावा प्रति सप्ताह बुधवार को होम्योपैथिक चिकित्सा रोगियों को नि:शुल्क दवा दी जाती है। श्वास संबंधी बीमारी की दवा प्रतिवर्ष शरद पूर्णिमा में दी जाती है। मिर्गी के रोगी एवं सफेद दाग के रोगी आश्रम परिसर में स्थित औषधालय से पूर्णतया छुटकारा पा सकते है। यहां दर्द निवारण फिजियोथेरेपी कक्ष की पृथक व्यवस्था है। अघोरेश्वर भागवान राम जी के मंशा अनुरूप पीडि़त, शोषित, दलित मानव के कल्याण हेतु ब्रम्हनिष्ठालय बनोरा शक्ति पीठ शिवरीनारायण, अघोर आश्रम डभरा, क्रियाकृटि रेनुकोट(सोनभद्र उ.प्र.) अघोर सेवा आश्रम कोईलीजोर (अंबिकापुर) अभेद आश्रम सरभोका (चिरमिरी) अत्मअनुसंधान केन्द्र आदर (झारखंड) के माध्यम से नि: शुल्क चिकित्सा सेवाएं एवं नि:शुल्क दवाएं उपलब्ध कराई जा रही है। चिकित्सीय सुविधाएं देने हेतु रायगढ़, खरसिया, लैलूंगा, जांजगीर, बिलासपुर, कोरबा के विशेषज्ञ चिकित्सक अपनी नि:शुल्क सेवाएं देते है। होम्योफिजीशियन डॉ सुबोध पंडा,डॉ सुशील कुमार गुप्ता होम्योपैथिक सहायक चिकित्सक डॉ मिश्रा जनरल फिजिशियन डॉ.डी.के.दास,डॉ जी सी चटर्जी,जर्नल सर्जन डॉ.राजेन्द्र अग्रवाल,डॉ ए एम गुप्ता, डॉ ए के सिंघल,डॉ अनिल हरिप्रिया बिलासपुर,अस्थि विशेषज्ञ डॉ. पी के पटेल,डॉ अनंत कुमार,डॉ प्रफुल्ल चौहान बागबहार, डॉ आर के गुप्ता लैलुंगा,ह्दय रोग विशेषज्ञ डॉ प्रकाश मिश्रा,डॉ अजय गुप्ता,डॉ जी एन तिवारी खरसियां, डॉ यू सी शर्मा जांजगीर,शिशु रोग विशेषज्ञ डॉ लोकेश षडंगी,डॉ.के.एन.पटेल डॉ संजीव गोयल,डॉ धनंजय पटेल,डॉ ताराचंद पटेल, डॉ विनोद नायक,स्त्री रोग विशेषज्ञ कु सुचित्रा त्रिपाठी, डॉ मधु दुबे,डॉ सारिका सिंघल,डॉ मालती राजवंशी, डॉ एस एन केशरी,डॉ त्रिभुवन साहू खरसियां,डॉ प्रेमा षड़ंगी डभरा,दंत रोग विशेषज्ञ डॉ.प्रतीक आनंद,डॉ डी के वर्मा,डॉ राहुल अग्रवाल,डॉ शलभ श्रीवास्तव,डॉ सतीश अग्रवाल,मेडिसीन स्पेशलिस्ट डॉ मनीष बेरीवाल,पैथालाजिस्ट डॉ.शिप्रा गोयल,डॉ रीना नायक,नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ आर के अग्रवाल,डॉ. प्रभात पटेल,डॉ रोहित दिलावरी रायपुर,चर्म रोग विशेषज्ञ डॉ पियुष गोयल,नाक-कान-गला विशेषज्ञ डॉ लीना राय श्रीवास्तव,डॉ राजकिशोर नायक,डॉ जय साहू खरसियां,डॉ अमरेन्द्र सिंह रेणुकोट,डॉ आर के ओझा अंबिकापुर,डॉ आर के झा,डॉ अश्वनी,डॉ संजय प्रकाश,डॉ सीमा प्रकाश,डॉ अनिल शुक्ल,आदर सहित मुख्य स्वास्थ्य अधिकारी का नि:शुल्क चिकित्सा शिविर में विशेष सहयोग मिलता है।
बनोरा,डभरा,शिवरीनारायण, अम्बिकापुर रेनुकोट आदर में आयोजित होने वाले स्वास्थ्य शिविर से मरीजो को निरंतर लाभ हासिल हो रहा है। नि:शुल्क शिविरों में मरीजों की जांच हेतु एक्स रे,ई सी जी,डायबिटिक न्यूरोपेथी टेस्ट (एरीस्टो टी एफ) यूरिक एसीड टेस्ट (अलवर्ड डेविड)बोन डेंसिटी टेस्ट (मेयरबीटा बायोटिक्स) एक्सपायरो मेट्री अस्थमा टेस्ट (शिप्ला) जैसी उच्च स्तरीय सुविधायें भी मौजुद रहती हैं। धनवंतरी पैथोलेब खरसियां, श्री पैथोलेब डभरा, श्री पैथोलेब रायगढ़ द्वारा पैथोलॉजी जांच मुहैया कराई जाती है। शिविरों में वितरित की जाने वाली नि:शुल्क दवा वितरण कार्य मेडिकल प्रतिनिधी एसोशियेशन के सदस्यों के द्वारा किया जाता है। स्वास्थ्य सेवाओं के अंतर्गत के तहत स्थापना काल से अब तक
एलोपैथिक शिविरों से कुल 108194 मरीजों को लाभ प्राप्त हुआ है जिसमे अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 33690, अघोर आश्रम-डभरा में 52174, अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण में 6471, आत्म अनुसंधान केंद्र-आदर में 6093, अघोर सेवा आश्रम-कोइलिजोर में 9164 एवं अवधूत कुटी-जौनपुर में 605 मरीजों को लाभ मिला।
होम्योपैथिक शिविरों में कुल 94922 मरीज लाभान्वित हुए। जिसमे अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 49601, अघोर आश्रम-डभरा में 951, अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण में 4494, अभेद आश्रम-सरभोका में 1236, क्रिया कुटी खाड़पाथर आश्रम-रेणुकूट में 4483, औघड़ की मड़ई-जिगना में 34157 मरीजों को लाभ प्राप्त हुआ है।बनोरा ट्रस्ट द्वारा नेत्र शिविर सन 1997 से प्रारंभ हुए थे दिसंबर 2014 तक कुल 12498 लोगों ने फायदा लिया जिनकी संख्या अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 6985, अघोर आश्रम-डभरा में 3112, अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण में 2326, एवं आत्म अनुसंधान केंद्र-आदर में 75 मरीज लाभान्वित हुए। हाईड्रोशील का नियमित आपरेशन डा. राजेन्द्र अग्रवाल के नि:शुल्क सहयोग से प्रति माह किया जाता है। वर्ष 2003 से प्रारंभ नि:शुल्क हाइड्रोशील आपरेशन से अब तक 907 मरीज लाभान्वित हुए है। ये आपरेशन डॉक्टर राजेंद्र अग्रवाल द्वारा किए जाते है।हाइड्रोसील ऑपरेशन में कुल लाभान्वित 907 मरीजों में अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 798 एवं अघोर आश्रम (काली मंदिर)-शिवरीनारायण के 109 मरीज शामिल हैं।शासन की नीति गत कारणों की वजह से दिसंबर 2014 से नेत्र शिविर स्थगित कर दिये गये है। इसलिए नेत्र जांच हेतु शिविर आयोजित किए जाते है।नेत्र जांच शिविरों में कुल 6772 मरीजों ने लाभ प्राप्त किया जिन्हे आवश्यकतानुसार आई ड्रॉप, चश्मा वितरीत किया गया जिनकी संख्या अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 1565 एवं औघड़ की मड़ई-जिगना में 5207 मरीज है। एवं मोतियाबिंद की शिकायत से ग्रसित मरीजों को उचित परामर्श देकर आगे ईलाज की पूर्ण जानकारी उपलब्ध करवाई गई।बनोरा आश्रम से जुडी सभी शाखाओं में नि:शुल्क होम्योपैथी चिकित्सा के जरिये उपचार किया जाता है। जिसके तहत बनोरा आश्रम रायगढ़ में डा. सुबोध पंडा, डा. सुशील गुप्ता, शिविरी नारायण आश्रम में डा. रवि शंकर दीक्षित, सरभोगा आश्रम में डा. रविकांत द्विवेदी तथा रेनुकोट में डा. अमरेन्द्र सिंह नि:स्वार्थ सेवाएं प्रदान कर रहे है। सन 1999 से अब तक इस पद्धति के जरीये 94922 मरीज लाभांवित हो चुके है। जिसमे अघोर गुरु ट्रस्ट बनोरा में 46901,अघोर आश्रम डभरा में 951,अघोर आश्रम काली मंदिर शिवरीनारायण में 4494,अभेद आश्रम सरभोका में 1236,क्रिया कुटीर खाड़ पाथर आश्रम रेनुकोट में 4483,औघड़ की मड़ई जिगना में 34157 मरीज लाभान्वित हुए है। आश्रम के सिद्धांतो के अनुरूप समाजिक बंधन विवाह हेतु दहेज वर्जित है। खर्चीली शादी में रोक लगाने बिना दहेज शादियों के लिये आश्रम सतत प्रयत्नशील है। इस क्रम में अब तक बिना दहेज के 73 विवाह संपन्न हुए है। इन शादियों में वर वधु पक्ष से सदस्यों की संख्या निश्चित होती है।अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट बनोरा में 49 अघोर आश्रम काली मंदिर शिवरीनारायण में 5 अघोर आश्रम कोइलीजोर में 1 औघड़ की मड़ई जिगना में 8 कुटीर खाड़ पाथर आश्रम रेनुकोट में 10 जोड़ो का सादगी से विवाह संपन्न कराया गया। एक विधवा विवाह भी संपन्न कराया गया है। नशा उन्मूलन हेतु मादक द्रव्यों के सेवन को रोकने के लिये प्रचार-प्रसार के आलावा नशा निरोध हेतु दवाई भी वितरीत की जाती है। महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में पूज्य बाबा जी द्वारा क्रियाकुटी रेनुकोट आश्रम(उप्र) में वर्ष 2012 से महिला शिल्प कला प्रशिक्षण केन्द्र प्रारंभ किया गया है। इस केन्द्र से अब तक 200 महिलाओंं को प्रशिक्षित कर स्वरोजगार के योग्य बनाया गया।
दिव्यांग जनों के जीवन के दुख के निराकरण हेतु पूज्य अघोरेश्वर ने 6 दिवसीय कृत्रिम अंग निर्माण एवं वितरण शिविर का आयोजन किया। वर्ष 2015 से प्रारम्भ इस शिविर के जरिए कुल 881 दिव्यांग जनों को 976 कृत्रिम अंग नि:शुल्क वितरित किये गए। इस हेतु जयपुर से विशेषज्ञों की टीम मौजूद रहती है। जीवन के लिये स्वच्छता अनिवार्य है लेकिन गरीबी स्वच्छता के लिये बड़ी बाधक भी है। इस मर्म को आश्रम प्रबंधन ने समझते हुए ग्राम बनोरा में निवासरत 73 निर्धन परिवारों को चिन्हित किया और उन्हे आश्रम की ओर से शौचालय निर्मित कर नि:शुल्क उपयोग हेतु सौंपा गया। अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा द्वारा संचालित आश्रमों में निरंतर आवश्यक उपयोग की वस्तुओं का वितरण किया जाता रहा है। ठण्ड के ठिठुरते मौसम में कुल 3265 जरूरतमंद लोगों को रोजमर्रा की चीजें उपलब्ध कराई गयी जैसे कम्बल, साडी, धोती, नहाने का साबुन, धोने के साबुन, कपड़े इत्यादि जो कि अघोर गुरुपीठ ट्रस्ट-बनोरा में 484 पुरुष व 878 महिलायें एवं 12 अन्य, अघोर सेवा आश्रम-कोइलिजोर में 49 पुरुष व 277 महिलायें, क्रिया कुटी खाड़पाथर आश्रम-रेणुकूट में 52 पुरुष व 300 महिलायें, औघड़ की मड़ई-जिगना में 13 पुरुष, अवधूत कुटी-जौनपुर में 63 पुरुष व 282 महिलायें एवं 11 अन्य एवं आत्म अनुसंधान केंद्र-आदर में 844 लोग है।
इसी क्रम में बाढ़ पीडि़तों के सहायतार्थ लाभान्वित लोगों की संख्या कुल 1826 है।
स्वच्छ जीवन शैली अपनाने हेतु निरंतर ग्रामों में जागरूकता अभियान चलाये जाते हैं, इसके तहत कुल 73 शौचालय का निर्माण किया जा चूका है। कोविड महामारी के दौरान भी अघोर गुरु पीठ ट्रस्ट, बनोरा द्वारा अपनी नैतिक जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुए पीडि़त जनों के सहायतार्थ 23 अप्रैल 2020 को प्रधान मंत्री सुरक्षा निधि में एक लाख ग्यारह हजार रुपए 20 सितम्बर 2020 को छत्तीसगढ़ सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन में जिला प्रशासन के जरिए एक लाख इक्कीस हजार रूपए का योगदान दिया गया।06 मई 2021 को ट्रस्ट द्वारा छत्तीसगढ़ सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन में माननीय जिलाध्यक्ष महोदय को दो लाख पांच हजार रुपए का योगदान पुन: दिया गया था साथ ही 02 जून 2021 को शासकीय अस्पताल, रायगढ़ में एक लाख उनतीस हजार आठ सौ की लागत से 20 नग एयर-कूलर भेंट स्वरुप दिए गए।प्रकृति में संतुलन बनाये रखने की दिशा में यह ट्रस्ट अपनी सभी शाखाओं के चारों ओर वृक्षारोपण को प्राथमिकता देती है एवं आश्रम में आने वाले सभी लोगों को वृक्षारोपण कार्य हेतु प्रोत्साहित भी करते है। इस वर्ष गुरु पूर्णिमा पर छत्तीस गढ़ के यशस्वी मुख्यमंत्री विष्णु देव साय एवम वित्त मंत्री एवम विधायक रायगढ़ ओपी चौधरी ने विद्यालय परिसर में वृक्षारोपण किया।
सामाजिक सरोकारों हेतु अपनी भूमिका के तहत वर्ष 2014 में महानदी के बाढ़ से प्रभावित पुसौर वासियों को राहत शिविर में दैनिक उपयोग में आने वाले वस्त्र,कंबल,चादर,मच्छरदानी,साबुन,साड़ी,धोती,बच्चों के पोशाक,नि:शुल्क वितरित किये गये। जांजगीर – चांपा जिले में डभरा तहसील में आई बाढ़ के दौरान भी राहत शिविरों में यथासंभव नि:शुल्क सामग्री वितरित की गई। अघोरेश्वर भगवान राम के अवतरण दिवस एवं निर्वाण दिवस के अवसर पर शासकीय चिकित्सालयो में रोगियों,वृद्धजनों एवं कुष्ठ रोगियों के आश्रम में भी फल एवं दैनिक उपयोग की वस्तुयें प्रदान की जाती हैं। अघोरेश्वर भगवान राम के सामाजिक एवं आध्यात्मिक शिक्षा एवं विचारों के प्रचार-प्रसार हेतु लघु साहित्य हैण्डबिन वितरित किये जाते हैं। आश्रम की परिधि से बाहर दक्षिण-पूर्व में कृषि के लिए सात एकड़ भूमि क्रय की गई इससे आधुनिक तरीके से धान की खेती का अभिनव प्रयोग किया गया है। चुंकि गावों में रोजगार के अवसरों का अभाव होता है। इस वजह से कृषि ही प्रमुख आय का साधन है। आधुनिक तरीके से खेती के प्रयोग के पीछे यह उद्देश्य है कि स्थानीय निवासी इस उन्नत पूर्ण तरीके को अपनाकर अधिक उत्पादन कर सके। यहां की भूमि खेती के योग्य है लेकिन सिंचाई के अभाव की वजह एक फसल प्राप्त होती है। सिंचाई के तकनीक को उन्नत करने का प्रयास किया जा रहा है। ताकि गेहू आदि की उपज प्राप्त की जा सके। प्रत्येक वर्ष प्रयोग के तौर पर धान की अच्छी किस्मे भी बीज स्वरूप डाली जाती है। उत्पादन के समय सिंचाई पर भी ध्यान केन्द्रित किया जाता है। खेती के कार्यो में बनोरा के ग्रामीण भी अपना श्रमदान देते है। आवश्यकता पडऩे पर मजदूर भी लगाए जाते है। उत्तरोत्तर विकास पथ पर अग्रसर रहते हुए अघोर गुरूपीठ ट्रस्ट अपने स्थापित उद्देश्यों की पूर्ति में तत्पर रहता है। बिना दहेज के शादी-व्याह,मुडंन संस्कार, नामकरण संस्कार, पठनव प्रदान संस्कार, दीक्षा संस्कार सहित सभी उपयुक्त संस्कार परम पूज्य अघोरेश्वर द्वारा निर्देशित किए जाते है। चैत्र नवरात्र पूज्य अघोरेश्वर का अवतरण दिवस भद्र पक्ष,शुक्ल पक्ष,सप्तमी तिथि, 29 नवंबर को पूज्य अघोरेश्वर का निर्वाण दिवस सहित वर्ष में 4 आयोजन ऐसे होते है। जिनमें भिन्न-भिन्न प्रांतों से भक्तजन आकर आयोजन में सम्मिलित होते है। इस अवसर पर भजन-कीर्तन एवं पूजा पाठ करते है। विद्यालय के आश्रमवासी छात्रों की सुविधाओं को ध्यान में रखते हुए एक छात्रावास का निर्माण भी कराया गया है। छात्रावास में एक विशाल बरामदा है। एक कक्ष में दस छात्र सहजता से रह सकते है। छात्र-संख्या अधिक होनें पर भी छात्र अनुशासन की डोर से बंधे होते है। गाय धर्म की अनुपम शोभा है। गौ-माता के प्रति विशेष श्रद्धा की वजह से आश्रम परिसर में गौ-शाला का निर्माण भी किया गया है जिसमें गायें एवं बछड़े है इनके गोबर से कंपोस्ट खाद बनाकर कृषि एवं बागवानी के उपयोग में लाया जाता है। गायों की सेवा हेतु पृथक से एक व्यक्ति मौजूद है। परम पूज्य प्रियदर्शी बाबा का नवनिर्मित कक्ष आगंतुकों को आकर्षित किए बिना नहीं रहता। इस निवास कक्ष में ही शिष्यो को अपने गुरू दर्शन का लाभ मिलता है। श्रद्धालुओं, भक्तों की व्यथा बड़े ही मनोयोग से सुनी जाती है और उनके निराकरण कर हर संभव आध्यात्मिक उपाय बताया जाता है। इस निवास के अग्र भाग में हरी घास से अच्छादित दो सुंदर क्यारियां एवं हरे घास का मैदान है जिनमें हमेशा रंग-बिरंगे फूलों की छटा सदैव बिखरी होती है। आश्रम का चप्पा-चप्पा हरियाली से आच्छादित है। शहरों में जिस हरियाली को देखने आंखे तरसती है जबकि इस आश्रम में जिधर नजर जाती है उधर हरियाली मन को प्रसन्न किए बिना नही रहती।
मुख्य द्वार से आगेे बढऩे पर संगमरमर से निर्मित विशाल उपासना स्थल है। जहां श्री यंत्र,परम पूज्य अघोरेश्वर भगवान राम की विशाल प्रतिमा चरण-पादुका एवं अस्थि कलश स्थापित है। सर्व प्रथम आगंतुक उपासना स्थल में भगवान अघोरेश्वर राम के दर्शन कर मन में शांति का अनुभव करते है। अघोर भभूत माथे पर लगाने की परंपरा भी है। प्रतिदिन प्रात: प्रियदर्शी राम जी पूजा संपन्न करते है,संध्या बेला में आरती तथा भजन-कीर्तन यहां की दिनचर्या में शामिल है जिसमे सभी शामिल हो सकते है। इसकेे अलावा मुंडन संस्कार, विवाह एवं अन्य संस्कारों पर भी यहां आहूति दी जाती है।अशांति से घिरे मनुष्य को आश्रम की चार दिवारी में कदम रखते ही दिव्य शांति अनुभुति का एहसास होता है। चार कक्षों का पक्का भवन उपासना स्थल में लगा हुआ उत्तर में स्थित है। नवनिर्मित कक्षों में अतिथियों के ठहरने की व्यवस्था भी है। इस भवन से ही लगा हुआ एक अतिथि गृह भी सारी सुविधाओं से पूर्ण है। इसके अतिरिक्त आश्रम परिसर में दक्षिण भाग में तीन कक्षों वाला भवन महिलाओं के शरण हेतु निर्मित है। उपासना स्थल में दक्षिण में वृहद सुसज्जित व भव्य पंडाल निर्मित है। इसके पश्चिम दिशा में सुंदर मंच निर्मित है। जिसके उपर वर दहस्त मुद्रा में पूज्य अघोरेश्वर का विशाल चित्र लगा हुआ है। आश्रम के इस पंडाल में भक्तगण आर्शीवाचन एवं प्रसाद ग्रहण करते है। पर्व, त्यौहार में यह सभागार के उपयोग में आता है। आश्रम के पीछे उत्तरी-पश्चिम कोण में तीन कक्षा एवं दो बरामदों वाला भवन है जहां आश्रम के स्थाई कार्यकर्ता के अलावा पर्व त्यौहार के दौरान अतिथिगण भी रहते है। विशाल कुंए के समीप औघड़ संत राम सागर राम जी का सुंदर समाधि स्थल निर्मित है। समाधि पर एक सुंदर अरघा एवं शिवलिंग की स्थापना की गई है। जहां भक्तगण पूजा अर्चना करते है। आश्रम परिसर के पृष्ठ भाग में एक बोरवेल है जिसकी मदद से रिक्त पड़ी जमीन में मौसमी सब्जियों के उत्पादन से आश्रम की आवश्यकताओं की पूर्ति की जाती है। आश्रम द्वारा जनहितकारी कार्यक्रम भी संपन्न किए जाते है। मसलन अत्यंत गरीब तबके के लोग जो वर्ष भर तन ढक़ने के लिए वस्त्र संबंधी आवश्यकताओं की पूर्ति नहीं कर सकते ऐसे लोगों के लिए पुराने वस्त्रों की व्यवस्था कर उन्हें बांटना, विपत्ति ग्रस्त एवं विकलांग अपाहिजों की सेवा करना एवं आवश्यकतानुसार आर्थिक मदद करना प्राकृतिक-दैविक प्रकोपों से पीडि़त अवस्था के लोगों को भोजन एवं वस्त्र की आवश्यकतानुसार तात्कालिक सहायता, शारीरिक कष्ट की हालत में अच्छे चिकित्सकों के जरिये इलाज एवं दवा की व्यवस्था, जाड़े के मौसम में ठंड से ठिठुरते लोगों के लिए कंबल की व्यवस्था, कमजोर महिला वर्ग के सदस्यों के लिए मरणोपरांत कफन तथा दांह संस्कार के लिए लकडिय़ों की व्यवस्था करना, आसपास के गांवों में हो रहे फिजूल खर्ची को रोकने के लिए उचित मशविरा प्रदान करने, मादक द्रव्यों को छोडऩे के लिए कारगार उपायो का प्रचार करना। सेवा परमो धर्म के मूल मंत्र के जरिये मानव सेवा को माधव सेवा में परिभाषित करने वाली यह संस्था समाज के लिए पथ प्रदर्शक की भूमिका निभा रही है। अघोर गुरूपीठ बनोरा से बहने वाली आस्था श्रद्धा विश्वास की जलधारा समाज को आध्यात्मिक तृप्ति प्रदान कर रही है पूज्य अघोरेश्वर का एक आश्रम अमेरिका के सोनामा में निर्मित है वहां से विदेशी श्रद्धालुओं का भी निरंतर आना-जाना लगा रहता है। आश्रम दर्शन के निर्धारित समय से अन्य संप्रदाय से साधु संत एवं विशिष्टजन भी पूज्य बाबा के दर्शन पाकर सत्संग का लाभ उठाते है।
आज स्थापना दिवस के कार्यक्रम
अघोर गुरूपीठ ट्रस्ट बनोरा के 26 वें स्थापना दिवस में आयोजित कार्यक्रमों के तहत प्रात: 06:30 प्रभात फेरी 7.30 से शक्ति ध्वज पूजन, 8.30 से सामुहिक आरती, 9 बजे से सांस्कृतिक कार्यक्रम के पश्चात 11 बजे पीठाधीश्वर बाबा प्रियदर्शी राम जी का आशीर्वचन होगा।
जीवन को उत्सव में बदलने का हुनर सीखा रही अघोर गुरु पीठ बनोरा
जन्म से मृत्य के सफर में मनुष्य स्वय को नाना प्रकार की परेशानियों में घिरा हुआ महसूस करता है। ऐसी विषम परिस्थिति के लिए लोग भगवान भाग्य या अन्य किसी को दोष देते है लेकिन अध्यात्मिक पाठशाला बनोरा बड़ी सहजता से यह बताती है कि मनुष्य की सोच ही दुखो का कारण है। सोच को बदलाव करने का तारिका बनोरा में उपलब्ध है।यहां जीवन को लोग उत्सव मे बदलने का हुनर सीखते है।बनोरा की आध्यत्मिक गतिविधियां आत्मा और मन का भेद समझाने में सफल रही है। आत्मा जैसे ही शरीर के संपर्क में आती है वह आत्मीय गुणों प्रेम प्यार क्षमा ज्ञान को भूल कर मन के आचरण लोभ मोह माया क्रोध के चक्रव्यूह में फंस कर जन्म जन्मान्तर तक मुक्त नही हो पाती। गृहस्थ जीवन मे रहते हुए किस तरह मानव आत्मीय गुणों का उपयोग कर श्रेष्ठ कर्म कर सकता है इसकी सरल विधि भी बताई गई।
मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने किया वृक्षारोपण तो वित्त मंत्री ने छात्रों को मोटी वेशनल स्पीच देकर किया प्रोत्साहित
अघोर गुरु पीठ बनोरा परिसर में सूबे के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने स्थानीय विधायक एवम मंत्रिमंडल के सहयोगी वित्त मंत्री ओपी चौधरी के साथ वृक्षा रोपण किया वही वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने ग्रीष्म कालीन अवकाश के दौरान बनोरा के स्कूल में ग्रामीण छात्रों को प्रतियोगी परीक्षा में शामिल होने के टिप्स देते हुए मोटिवेट किया वही ग्रन्थालय के लिए भी ओपी चौधरी ने भारी मात्रा में पुस्तके भी दी।
जन कल्याण हेतु समर्पित है पूज्य बाबा प्रियदर्शी का जीवन
बाबा प्रियदर्शी राम जी का जीवन मानव कल्याण एवम समाज कल्याण के लिए समर्पित है। पूज्य के कर कमलों से होने वाली सकारात्मक गतिविधियां ग्रामीण जन जीवन में बदलाव का माध्यम बन रही है। पूज्य बाबा के आशीर्वाचनो के जरिए आम जनमानस में आस्था एवं मानवता के प्रति विश्वास बढ़ा है।

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