रायपुर। लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष सांसद राहुल गांधी का बयान इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है। मंगलवार को भोपाल में एक कार्यक्रम के दौरान राहुल गांधी ने कहा, रेस के घोड़े और बारात के घोड़े अलग करने ही पड़ेंगे। हमें यह तय करना है कि कौन लंगड़ा है, कौन रेस का है और कौन बारात का घोड़ा है।
राहुल गांधी के इस बयान पर भाजपा विधायक और पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कहा कि राहुल गांधी कोई राजनीतिक पार्टी नहीं चला रहे हैं, बल्कि ऐसा प्रतीत होता है कि वह कोई स्टड फार्म चला रहे हैं और ‘घोड़ों की खेती’ कर रहे हैं। वहीं, अजय के बयान पर पलटवार करते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष दीपक बैज ने कहा कि भाजपा खुद बैसाखियों के सहारे चल रही है। हमारे घोड़ों की तुलना में भाजपा में गधों की फौज है। प्रधानमंत्री मोदी अगर रात को दिन कह दें, तो भी उनके नेता चुप रहते हैं।
अजय चंद्राकर ने कहा कि राहुल गांधी घोड़ों के बारे में नॉलेज बढ़ा रहे हैं। उन्हें तो कांग्रेस पार्टी का नाम बदलकर ‘स्टड फार्म गांधी परिवार प्राइवेट लिमिटेड’ कर देना चाहिए। जिस तरह चुनावों में कांग्रेस के प्रदर्शन को देखा जाए, खासकर राहुल गांधी के सक्रिय राजनीति में आने के बाद उनका प्रदर्शन देखें तो, तो साफ़ दिखता है कि वह स्वयं पार्टी के लिए एक ‘लंगड़े घोड़े’ साबित हुए हैं।
चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ में राहुल गांधी के सभी घोड़े ‘बीमार’ हो गए हैं। छत्तीसगढ़ के सभी कांग्रेस नेताओं को किसी स्टड फार्म में भर्ती कर देना चाहिए, जहां बीमार घोड़ों के इलाज और देखरेख के लिए अस्पताल होता है, अब वे वहीं रखने लायक हो गए हैं। अंबानी जी ने जामनगर में वन्य जीवों की देखरेख के लिए जो ‘वनतारा’ बनाया है, छत्तीसगढ़ के कांग्रेसियों को वहीं भेज देना चाहिए।
दीपक बैज ने कहा कि लगातार हमारे नेता राहुल गांधी लगातार प्रदेशों में दौरा कर रहे हैं। कांग्रेस संगठन के कार्यकर्ताओं को उन्होंने साफ कह दिया है कि हमें रेस के घोड़े चाहिए, जो स्पीड से काम कर सके। भाजपा खुद बैसाखी में चल रही है। हमारे घोड़ों की तुलना में भारतीय जनता पार्टी में गधों की फौज है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अगर दिन को रात कह दें, तो उनका कोई जवाब देने वाला नहीं है।
मंगलवार को राहुल गांधी भोपाल में कांग्रेस के संगठन सृजन अभियान की औपचारिक शुरुआत करने पहुंचे थे। इस दौरान राहुल ने कहा था कि आपमें से कई ऐसे लोग होंगे, जो पूरी शक्ति के साथ, दिल के साथ कांग्रेस पार्टी के लिए काम करते हैं। ऐसे भी लोग होंगे, जो थोड़ा थक गए हैं या जिनका मूड ठीक नहीं है, जो ज्यादा टेंशन लिए हुए हैं।
अब रेस के घोड़े और बारात के घोड़े अलग करने ही पड़ेंगे। कमलनाथ ने मुझसे कहा कि कांग्रेस कभी-कभी रेस के घोड़े को बारात में भेज देती है और कभी-कभी बारात के घोड़े को रेस की लाइन में खड़ा कर देती है। मगर, एक तीसरी कैटेगरी भी है। वह है- लंगड़ा घोड़ा। हमें ये छांटना है कि लंगड़ा कौन सा है, रेस का कौन सा है और बारात का घोड़ा कौन सा है? बारात वाले को बारात में भेजना है। रेस वाले को रेस में और लंगड़े वाले को रिटायर करना है। उसे ये भी कहना है कि भइया ये लो, थोड़ी सी घास खाओ, पानी पियो, रिलैक्स करो, बाकी लोगों को तंग मत करो, बाकी घोड़ों को डिस्टर्ब मत करो, नहीं तो फिर कार्रवाई करनी पड़ेगी। मायने: ऐसे नेता बाहर होंगे जो गुटबाजी और अंदरूनी राजनीति में उलझे रहते हैं। चुनाव में जनाधार वाले नेता ही कैंडिडेट होंगे। पार्टी परफॉर्मेंस के आधार पर ही फैसले लेगी।
राहुल के बयान पर सियासत
छत्तीसगढ़ में कांग्रेस के सभी घोड़े बीमार : अजय चंद्राकर
