रायगढ़। छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिले के भूपदेवपुर क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम नहरपाली में संचालित मोनेट कंपनी के जेएसडब्ल्यू के रूप में विलय होनें के बाद आसपास क्षेत्र के दर्जन भर गांव के हजारों ग्रामीण अपने आपको ठगा हुआ महसूस कर रहे हैं। कंपनी के लिये भू-अर्जन के कारण अपनी रोजी रोटी व कृषि भूमि को खो चुके इन ग्रामीणों ने अब कंपनी की वादाखिलाफी , प्रदूषण और मनमानी के खिलाफ विरोध का झंडा उठाते हुए पांच सूत्रीय मांगों के साथ अपनी मांगे पूरी न होनें की स्थिति में आगामी 5 जून पर्यावरण के दिन से जेएसडब्ल्यू के खिलाफ अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन व आर्थिक नाकेबंदी शुरू करने की चेतावनी दी।
जिलाधीश के नाम पर सौंपे गए लिखित ज्ञापन के माध्यम से भूपदेवपुर थाना क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले ग्राम पंचायत भूपदेवपुर, बिलासपुर, रक्शापाली, बड़े जामपाली, दर्रामुड़ा, नहरपाली के जनप्रतिनिधि सरपंच व गांव के अन्य ग्रामीणों के हस्ताक्षर से जारी इस ज्ञापन में आरोप लगाया गया है कि पूर्व में यहां संचालित मोनेट कंपनी के द्वारा भू-अर्जन से प्रभावित लैंड लूजरों को स्थाई नौकरी देने का आश्वासन कंपनी की ओर से दिया गया था इसी तरह गोदनामा लिये गए 9 ग्रामों में विकास के कार्य, प्रदूषण पर नियंत्रण तथा ग्रामवासियों की सुविधाओं के लिये सीएसआर मद से विकास के काम करवाने के लोक लुभावन वादे तो किये गए मगर कंपनी के मालिक ने बीच में ही इस कंपनी को जेएसडब्ल्यू के हवाले कर दिया और ग्रामीणों की मांगे अधूरी की अधूरी रह गई। इन ग्रामवासियों ने आरोप लगाया है कि जेएसडब्ल्यू के अधिकारियों से संपर्क करने पर उनके द्वारा मनमानी काम किया जा रहा है और लैंड लूजरों को उनकी मांग के अनुरूप नौकरी नही दी जा रही है। इन प्रभावित ग्रामों के जनप्रतिनिधियों और ग्रामीणों ने जेएसडब्ल्यू कंपनी पर क्षेत्र में प्रदूषण परोसने और धुल-धुंए और डस्ट के कारण सांसों की बीमारी का फैलाव होनें तथा कंपनी के मेनगेट के आसपास डस्ट के कारण आये दिन सडक़ दुर्घटनाएं घटित होनें का आरोप लगाते हुए कहा है कि पूर्व में भू-अर्जन के कारण प्रभावित भू-स्वामियों को कंपनी में अब न केवल स्थाई नौकरी दी जाये बल्कि उनके रिटायरमेंट के बाद उनके बेटों को भी स्थाई नौकरी में रखा जाए। इसी तरह कंपनी के द्वारा गोदनामा लिये गए 9 गांवों में पूर्व में किये गए वादों के अनुरूप विकास के कार्य पूरे किये जाएं, तथा प्रदूषण पर स्थाई निंयत्रण के साथ-साथ पूर्व में निकाये गए कामगारों को भी रोजगार उपलब्ध कराया जाये। ग्रामीणों का आरोप है कि नहरपाली के आसपास ग्राम पहुंच के लिये बनाई गई बीएमडब्ल्यू सडक़ को भी कंपनी के द्वारा हडप लिया गया है। इसे भी शासन स्तर पर त्रिपक्षीय वार्ता करके मुक्त कराया जाये तथा आम सडक़ के रूप में उसे मान्यता दी जाये।
प्रभावित गांव के ग्रामीणों ने जिलाधीश के नाम पर सौंपे गए इस ज्ञापन पत्र के माध्यम से 6 सूत्रीय मांगों को लेकर एकजुट स्वर में आवाज बुलंद किया है और उपरोक्त मांगे पूरी न होनें की स्थिति में आगामी 5 जून पर्यावरण दिवस के दिन से कंपनी के मेन गेट के बाहर अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन तथा आर्थिक नाकेबंदी की भी चेतावनी दी है।
गौरतलब रहे कि मोनेट कंपनी का जेएसडब्ल्यू के रूप में विलय होनें के बाद क्षेत्र के ग्रामीणों में खासा आक्रोश देखा जा रहा है और पिछले कुछ दिनों के दौरान कई गांव में इस संबंध में बैठकें करने के बाद इन ग्रामीणों ने अब अपने हक के लिये आरपार की लड़ाई का ऐलान कर दिया है। देखना यह है कि इन प्रभावित ग्रामीणों की हक की इस लड़ाई को जिला प्रशासन किस नजरिये से देखती है और कंपनी इस मामले में क्या पहल करती है।
जेएसडब्ल्यू के खिलाफ आर्थिक नाकेबंदी का अल्टीमेटम
जिलाधीश को सौंपा 6 सूत्रीय मांग का पत्र, 5 जून को अनिश्चितकालीन धरना व चक्काजाम की चेतावनी
