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NavinKadam > रायगढ़ > मरते दम तक अनशन, किसी को नहीं आ रही शर्म
रायगढ़

मरते दम तक अनशन, किसी को नहीं आ रही शर्म

खुद को बर्बाद कर बच्चों को आबाद करते केआईटी शिक्षक, 18 महीने से नहीं मिली तनख्वाह, 66 दिन से हड़ताल जारी

lochan Gupta
Last updated: September 29, 2023 1:19 am
By lochan Gupta September 29, 2023
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6 Min Read

रायगढ़। यहां दो फोटो का जिक्र है जिसमें पहली फोटो 2002 की है जिसमें गढ़उमरिया में किरोड़ीमल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नॉलेजी की नई बिल्डिंग का उद्घाटन समारोह में नवगठित छत्तीसगढ़ राज्य के दिग्गज मंत्री जिसमें सीएम अजीत जोगी, गृहमंत्री नंदकुमार पटेल, स्वास्थ्य मंत्री कृष्ण कुमार गुप्ता और सिंचाई मंत्री शक्राजीत नायक मौजूद थे।
जिले के पहले इंजीनियरिंग कॉलेज को लेकर सभी ने बड़ी-बडी बातें की। युवाओं को तेजी से औद्योगिक नगरी के रूप में बदल रहे रायगढ़ जिले में इंजीनियरिंग की नौकरी और उसकी पढ़ाई के लिए केआईटी कॉलेज की तारीफ में कूब कसीदे पढ़े गए। शासन द्वारा प्रवर्तित व स्व वित्तपोषित का दर्जा दिया गया जिसका संचालन शासकीय किरोड़ीमल पॉलीटेक्निक सोसायटी को दिया गया। हालांकि तब भी इसे पूर्ण शासकीय करने की मांग की गई थी लेकिन 2 साल पुराने केआईटी को भव्य बिल्डिंग की चमक ने ढक लिया। उस समय के शिक्षकों के चेहरों को देखें तो समझ आएगा कि कितनी खुशी थी। कठिन परीक्षा व इंटव्यू देकर नौकरी मिली मानों पूरा जीवन यहीं सेट हो गया।
दूसरी तस्वीर 22 साल बाद यानी 2023 के सितंबर महीने के 28 तारीख की है। केआईटी का स्टाफ क्रमिक आमरण अनशन पर बैठा है। इनके आंदोलन का 66 दिन आज पूरा हो गया। इस दौरान वे सभी जनप्रतिनिधियों के दर-दर जाकर ठोकर खा चुके हैं। न तो शासन इनके साथ खड़ा है और न ही प्रशासन। कितनी शर्म की बात है कि जिन लोगों ने हजारों इंजीनियर देश को दिए हैं वो आज अपने वेतन समेत अन्य मांगों के लिए आमरण अनशन कर रहे हैं। ऐसे में रायगढ़ जिले के औद्योगिक नगरी होने का क्या फायदा। क्या रायगढ़ सिर्फ इनके धुएं, डस्ट और प्रदूषण के लिए बचा है।
केआईटी का कोई सुनवइया इसलिए नहीं है कि यहां शासन-प्रशासन जब चाहे अपने मन से कुछ भी निर्माण करा दे क्योंकि तय रकम उनके हिस्से में भी आएगी। लेकिन जब यहां के स्टाफ को वेतन देने की बारी आती है तो कॉलेज की संरचना को लेकर अधिकारी दुहाई देते हैं। डीएमफ फंड से दो बार तनख्वाह दी जा चुकी है। अभी 18 महीने से केआईटी के स्टाफ का वेतन रूका है। शिक्षक बैंक डिफाल्ट हो रहे हैं, उन्हें धमकी मिल रही है। बच्चों को स्कूल से निकाला जा रहा है। इलाज या पढ़ाई के खर्च के लिए संपत्ति-जमीन बेची जा रही है।
केआईटी में इतने साल काम करने के बाद अब ज्यादातर लोगों को अन्यत्र नौकरी करने की उम्र सीमा भी खत्म हो चुकी है। केआईटी ने बच्चों का तो भविष्य बना दिया लेकिन अपने शिक्षकों का बर्बाद कर दिया। केआईटी को लेकर शासन के पास कोई स्पष्ट कार्ययोजना नहीं है। शासन ने कल ही कैबिनेट की बैठक में एक कॉलेज को 100 प्रतिशत अनुदान देने की घोषणा की है। पहले भी निजी मेडिकल कॉलेज को अधिग्रहित कर सरकारी का दर्जा दिया लेकिन केआईटी की किस्मत तब भी नहीं चमक सकी जब उसकी वर्किंग सोसायटी का अध्यक्ष उसकी के जिले का है। यानी किरोड़ीमल पॉलीटेक्निक सोसायटी का अध्यक्ष पदेन तकनीकी शिक्षा मंत्री होता है जो खरिसया विधायक उमेश पटेल हैं। हालांकि उन्होंने कई मौको पर कहा कि वे केआईटी का भला करेंगे उनके रहते केआईटी कभी बंद नहीं होगा। पर ऐसा क्या कारण हैं जो केआईटी का अभी तक उद्धार नहीं हो पाएगा। अब केआईटी से कोई क्या ही उम्मीद करे।
विरोध व्यापक पर नहीं पड़ रहा फर्क
केआईटी के स्टाफ 66 दिन से हड़ताल पर हैं। विभिन्न तरीके से उनका विरोध जारी है। कभी वो विधायक निवास मार्च करके जाते हैं तो कभी अम्बेडकर मूर्ति के पास शिक्षक सम्मान कार्यक्रम करते हैं। संबंधित जनप्रतिनिधियों को गुहार लगाने के बाद अब सोशल मीडिया में क्रिएटिव मीम से लेकर हाथों में मेंहदी लगाकर विरोध जता रहे इन सब के बावजूद जिम्मेदारों कों कोइ फर्क नहीं पड़ रहा। फिर चाहे किसी की तबियत खराब हो या फिर कोई गंभीर हो जाये। स्टाफ के क्रमिक भूखहड़ताल का आज 4था दिन हैं। जिस आधार पर केआईटी कर्मियों की अनदेखी हो रही उससे नहीं लगता की उनकी हड़ताल का कोई सुखद परिणाम निकले।
इलाज के अभाव में बीमार परिजन मर रहे
नियति का सबसे क्रूर रूप केआईटी के कर्मचारी देख रहे हैं। बुधवार को इलाज के अभाव में केआईटी के प्यून अजीम बक्स के पिता का निधन हो गया। इन्हीं अजीम का कुछ दिन पहले पिता के इलाज में पैसे नहीं होने के कारण प्रभाव पडने को लेकर विडियो वायरल हुआ था। स्थिति नहीं सुधरी और अंततरू उनका निधन हो गया। इसी तरह दो महीना पहले प्यून चैनसिंह सिदार की पत्नी का भी इलाज ठीक से नहीं होने के कारण निधन हो गया। उन्होंने अपना घर बेचा, जमीन गिरवी रखी तब भी काम नहीं बना तो वे कॉलेज प्रबंधन के सामने कुछ एडवांस के लिये गिड़गिड़ाये नतीजा सिफर ही रहा। ड्राईवर कृपासिंधु सिदार की पत्नी भी 4 महीने पहले इलाज के अभाव में दम तोड़ दी। कुछ दिनों के अंतराल में तीन केआईटी कर्मचारियों के परिजनों की मौत में कहीं न कहीं पैसा जुड़ा हुआ है। पैसा जो उनकी मेहनत का है। जिससे वे डेढ़ साल से महरूम है।

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