‘‘ रायगढ़। पवित्र कार्तिक शुक्ल माह में लोक आस्था का सूर्यषष्ठी महापर्व जिसे छठी मैया कहते हैं। इस महापर्व को श्रद्धा व उत्साह के साथ कठोर व्रत का पालन करते हुए हिंदू धर्म के करोड़ों श्रद्धालुगण मनाते हैं। मान्यता है कि इस व्रत को सच्चे मन से करने से भक्त की हर मनोरथ पूरी होती है। इस व्रत को पहले केवल उत्तर भारत, बिहार व नेपाल तक मनाया जाता था। परंतु अब इस व्रत को बड़ी श्रद्धा से पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाने लगा है और विदेश में रहने वाले भारतीय श्रद्धालु भी मनाने लगे हैं। इस बार विगत 5 नवंबर से यह तीन दिवसीय व्रत पूजा प्रारंभ नहाए खाए, खरना पूजा से हुआ है। वहीं आज भगवान भास्कर को लाखों श्रद्धालुओं ने व्रत नियमों का पालन करते हुए श्रद्धा का पहला अर्घ्य शाम को शुभ मुहूर्त में अर्पित कर नमन किया। ’’
लोकगीत के साथ श्रद्धालु पहुंचे घाट
आज गुरुवार को छठी मैया की पूजा करने वाले श्रद्धालुगण शाम चार बजे अपने घर-परिवार के सदस्यों के साथ पूजा – सामाग्री और विभिन्न तरह के फल – फूल को टोकरी में सजाकर अपने सिर में रखकर छठी मैया का लोक मंगल गान करते हुए ढोल नगाड़े के साथ अपने निर्धारित पूजा स्थान में पहुंचे। जिसे देखकर हर किसी का हृदय छठी मैया के प्रति श्रद्धा से भर गया।
समर्पित हुआ श्रद्धा का पहला अर्घ्य
छठी मैया पूजा के अंतर्गत मान्यतानुसार नहाए खाए, खरना पूजा के बाद अस्ताचल हो रहे भगवान सूर्य देव को श्रद्धा का पहला अर्घ्य दिया जाता है। धार्मिक इस परंपरा का पालन करते हुए आज शहर के सभी घाट में हजारों की संख्या में श्रद्धालुगण और व्रतीगण मंगल गान करते हुए घाट पहुँचे और विधि-विधान से मंत्रोच्चार के साथ पवित्र मन से नदी व तालाब में स्नान कर पूजा अर्चना किए। इसके पश्चात उन्होंने भगवान भास्कर को बड़ी श्रद्धा से श्रद्धा का अर्घ्य अर्पित कर आज के धार्मिक नियमों का पालन किया। जल अर्घ्य के पश्चात श्रद्धालुओं को प्रसाद भी बांटा गया।वहीं सभी घाट छठी मैया व भगवान भास्कर के जयकारे से गुंजित हो गया।
पर्व नहीं बल्कि महापर्व है
छठ घाट में पूजापाठ के लिए पहुंचे श्रद्धालु माधुरी सिंह ने बताया कि यह पर्व नहीं बल्कि महापर्व है और यही वह त्यौहार है जिसमें डूबते व उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। उनका कहना है कि उत्तर भारतीय लोगों के लिए यह सबसे महत्वपूर्ण त्यौहार है और लाखों लोग इसे मनाते हैं।
केलो नदी के सभी घाट को सजाया गया
शहर में छठ पूजा महापर्व को श्रद्धालुगण बड़ी श्रद्धा से मनाते हैं और इस पर्व की खुशी में शहर से निकलने वाली केलो नदी में स्थित सर्किट हाउस महादेव घाट, जूट मिल घाट, कयाघाट, बूढ़ी माई घाट सहित सभी तालाबों व नदी के घाट को खूबसूरत ढंग से सजाया गया है। जिसकी खूबसूरती देखते ही बन रही है और पूरे शहर में दीपावली महापर्व जैसा माहौल है।
घाटो में हुई जमकर आतिशबाजी
शहर के सभी घाट की खूबसूरती ने दीपावली पर्व की याद दिलाई। हजारों श्रद्धालुओं ने घाट में सूर्यषष्ठी महापर्व की खुशी में जमकर आतिशबाजी किए जिससे हर किसी को दीपावली महापर्व का अहसास हुआ। बच्चों की खुशियां भी देखते बनीं। उन्होंने भी बड़े ही उत्साह के साथ अपने परिजनों के साथ भगवान सूर्य देव की पूजा पवित्र मन से किया।
बाजार की बढ़ी रौनक
सूर्यषष्ठी छठ पूजा महापर्व की शहर में पूरे तीन दिनों तक धूम रहती है। इस महा पर्व में उपयोग होने वाले पूजा सामग्रियों की विशेष मांग रहती है। पूजा की इन सामग्रियों से शहर का बाजार विगत एक सप्ताह से पूरी तरह से सज गया है और जमकर खरीदारी हो रही है। जिससे इन दिनों बाजार में भी रौनक है।
आज उगते भास्कर देव को होगा अर्घ्य
महापर्व छठ पूजा के अंतर्गत आज शुक्रवार को धार्मिक नियमों का पालन करते हुए सभी व्रतीगण उगते हुए भगवान भास्कर को श्रद्धा का जल अर्घ्य अर्पित कर अपने व्रत संकल्प को पूरा करेंगे इसके बाद फलाहार का ग्रहण करेंगे। शहर में अनवरत तीन दिनों से छठ – पूजा महापर्व की विशेष धूम है और व्रतीगण इस महापर्व को बड़ी श्रद्धा व उत्साह के साथ मना रहे हैं।
36 घंटे का निर्जला उपवास
छठ पर्व में डूबते सूर्य को अर्घ्य देने के लिए श्रद्धालु पूरे परिवार के साथ पहुंचे थे। सभी छठी मैया की पूजा कर रहे थे, तो बच्चे घाट के बाद पटाखे फोडऩे का आनंद उठा रहे थे। मान्यता है कि छठ पूजा में हर मनोकामना पूरी होती है और महिलाएं इसमें 36 घंटे के लिए निर्जला उपवास रखकर छठी मैया की अराधना करती हैं। कल उगते सूर्य को अर्घ्य देने के बाद यह उपवास पूरा होगा।