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रायगढ़

पीईकेवी खदान के लिए 7 हजार करोड़ दे चुकी है राजस्थान सरकार

छत्तीसगढ़ के बड़े अफसरों से मिले राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम के सीएमडी आरके शर्मा, कहा क्या कहीं बिना पेड़ काटे निकल सकता है कोयला

lochan Gupta
Last updated: January 12, 2024 12:03 am
By lochan Gupta January 12, 2024
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6 Min Read

रायपुर। राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के सीएमडी आरके शर्मा अपने तीन दिवसीय छत्तीसगढ़ दौरे पर रायपुर में हैं. उन्होंने आज राजस्थान सरकार की सरगुजा जिले में स्थित परसा ईस्ट कांता बासन कोयला खदान के लिए चाही गईं जमीन के लिए नवा रायपुर महानदी भवन में उच्च अधिकारीयों से मुलाकात की. उन्होंने बताया कि जो पेड़ की बार-बार कटाई हो रही है, आपके यहाँ पेड़ काटे जा रहे हैं, मुझे यह बताइए कि क्या कोई भी जगह ऐसी है, जहां आप पेड़ काटे बिना कोयला निकाल सकते हो? कहीं निकल सकता है क्या? आज इतने सारे स्टेट हाइवेज़ निकले हैं, कितने पेड़ कटे होंगे? वहां तो कोई मुद्दा नहीं बना. आज यहां क्यों यह मुद्दा बन रहा है? या ऐसीसीएल या एनसीएल की जो माइंस हैं, कोल इंडिया लिमिटेड की जो माइंस हैं, या और भी जो माइंस हैं, ये जब माइंस बनी होंगी या इन जगहों से जब कोयला निकला होगा, तब वहां भी तो पेड़ कटे होंगे.
राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के सीएमडी आरके शर्मा ने कहा, यहां पर राजस्थान राज्य विद्युत मंडल का जो खुद का कैपिटल कोल माइन है, जो उन्हें अलॉट हुआ है. यह राजस्थान सरकार का है. ये राजस्थान राज्य उत्पादन निगम की माइंस है. उन माइंस में से हम अपना कोयला नहीं निकाल पा रहे हैं, जिनका कि अलॉटमेंट भी 2007 में हो गया है. सुप्रीम कोर्ट ने भी अपने डिसीजन्स दे दिए हैं. उन्होंने कहा, पेड़ काटने की बात करते हो, वैधानिक स्वीकृतियां जो मिलती हैं, उनमें जो डेफॉरेस्ट्रेशन होता है, उसके अगेंस्ट में रिफॉरेस्ट्रेशन कैसे करना है, उसके लिए बहुत सारे प्रावधान दिए हुए हैं. एक पेड़ काटने के अगेंस्ट में दस पेड़ लगाने पड़ते हैं. 4 लाख पौधे तो यहां पर उत्पादन निगम लगवा चुका है. वो सारे के सारे पौधे बड़े पेड़ों में डेवलप हो गए हैं. कोई भी मीडिया वाला वहां जाकर देख सकता है. कम से कम 39 लाख पेड़ हम फॉरेस्ट डिपार्टमेंट वालों के साथ में मिलकर लगवा चुके हैं और भी हमें जो आदेश मिलेगा, हम कहीं भी पीछे नहीं हैं. उन्होंने कहा, फॉरेस्ट्रेशन और इकोलॉजिकल बैलेंस देश की आवश्यकता है, वह हमें मैंटेन करना चाहिए. इसके लिए हर संभव प्रयास उत्पादन निगम करेगा, लेकिन उत्पादन निगम की जो आवश्यकताएं हैं अपनी बिजली की आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए, उसके लिए कोयला मुझे मेरी माइंस से मिलना चाहिए. इसके लिए मैं अपने लेवल पर पुरजोर कोशिश कर रहा हूं. छत्तीसगढ़ गवर्नमेंट के साथ में भी हमारे पुराने मुख्यमंत्री ने भी इस मुद्दे को उठाया था. उन्होंने बहुत बार विजि़ट भी की थी. मैं भी उनके साथ में आया था और अभी जो हमारे मुख्यमंत्री हैं, उन्होंने भी मुख्यमंत्री साहब छत्तीसगढ़ को लेटर लिखा है, बात भी की है. समस्या बहुत गंभीर है और राजस्थान और इसकी जनता को कैसे हम बिजली की आपूर्ति सुनिश्चित कर सकते हैं, वह भी सस्ती बिजली. इसके लिए मेरे प्लांट्स अपनी पूरी कैपिसिटी पर चल रहे हैं.
उन्होंने आगे बताया, जो हमें पहले कोयला मिला कोल इंडिया से, उसके तहत हमारे प्लांट्स इस तरह डिज़ाइन हो रहे हैं कि उन प्लांट्स को चलाने के लिए विशेष जीसीवी का कोयला चाहिए होता है. अब उस जीसीवी का कोयला नहीं मिलेगा, तो ज्यादा कोयला जलाकर भी जो उत्पादन मुझे चाहिए, वह मुझे नहीं मिल पाएगा, इसलिए मेरी माइन का चलना बहुत आवश्यक है.
छत्तीसगढ़ सरकार को कितना राजस्व देते हैं?
इस संबंध में पूछा गया कि छत्तीसगढ़ सरकार को कितना राजस्व देते हैं? इस सवाल पर राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम लिमिटेड के सीएमडी आरके शर्मा ने कहा, मुझे एक्जेक्ट तो याद नहीं है, लेकिन जहां तक मुझे याद है, मेरे ख्याल से जब से माइन शुरू हुई है, तब से अब तक जीएसटी या आपका जो फॉरेस्ट टैक्स है या और भी जो निधि है, जैसे- वन निधि मंडल, जो भी इनके टैक्सेस हैं, उनमें हम करीब 7 हजार करोड़ रुपए दे चुके हैं. ये 7 हजार करोड़ रुपए छत्तीसगढ़ के डेवलपमेंट में काम आए हैं तो हम कहीं भी अपनी जिम्मेदारियों से पीछे नहीं हट रहे हैं, लेकिन हमें कोयला उपलब्ध होना चाहिए, मेरा यही सरकार और प्रशासन से अनुरोध है. आपूर्ति नहीं होती है तो कब तक बिजली राजस्थान में रहेगी और कब तक क्राइसिस चालू हो जाएंगे? इस पर उन्होंने कहा, राजस्थान पिछले दो सालों से लगातार सफर कर रहा है. आज भी स्थितियां बहुत गंभीर हैं, कुछ प्लांट्स में हमारे पास में कोयले की भारी कमी है, उसकी आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए ही यहां मेरी यह छटवीं या सातवीं विजि़ट है.

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