रायगढ़। स्टेशन आने वाले बुजुर्ग व दिब्यांग लोगों को एक नंबर से दो नंबर प्लेटफार्म तक जाने के लिए बैटरी कार तो उपलब्ध है, लेकिन इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। हालंाकि इसकी जानकारी रेलवे के अधिकारियों को भी है, लेकिन इसको सूचारू रूप से संचालन कराने में ध्यान नहीं दिया जा रहा है, जिसके चलते दिब्यांग व बुजुर्गों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उल्लेखनीय है कि इन दिनों रेलवे स्टेशन के सौंदर्यीकरण के लिए लाखों रुपए खर्च किए जा रहे हैं, ताकि स्टेशन आने वाले यात्रियों को सुंदर वातावरण मिले और सुविधायुक्त सफर हो, लेकिन दिब्यांग व बुजुर्गों को राहत पहुंचाने के लिए अभी तक कोई पहल होता नजर नहीं आ रहा है। जिसके चलते इनको तो परेशानी हो ही रही है, साथ ही इनके परिजनों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि विगत पांच-छह साल पहले एक प्रायवेट संस्था द्वारा दिव्यांग, असहाय व बुजुर्ग यात्रियों को एक नंबर से दो नंबर प्लेटफार्म तक जाने आने के लिए एक बैटरी कार मुहैया कराई गई थी जिससे उक्त यात्रियों को काफी राहत मिल रही थी, लेकिन यह कार कुछ दिन चलने के बाद बंद हो गई। तब से यह कार प्लेटफार्म नंबर एक में धूल फांक रही है। जिससे अब स्टेशन आने वाले दिब्यांग व बुजुर्ग यात्रियों को व्हीलचेयर के सहारे एक नंबर से दो नंबर प्लेटफार्म तक ले जाया जाता है, जिससे परिजनों को भी काफी परेशानी का सामना करना पड़ता है। हालांकि अब स्टेशन में हो रहे सौंदर्यीकरण को देखते हुए लोगों को उम्मीद थी कि इस बार कार को चलने लायक रास्ता बन जाएगा, लेकिन अधिकारियों का दौरा होने के बाद भी इस तरफ किसी प्रकार की पहल नहीं की जा रही है, जिसके चलते परेशानी बनी हुई है। वहीं बताया जा रहा है कि एक नंबर से दो नंबर जाने वाले मार्ग में एक ओएचई खंभे आ गया है, यह खंभा ऐसी जगह पर स्थित है, जहां से बैटरी कार नहीं निकल पाती, इस खंभे की वजह से वहां की जगह छोटी हो गई है। साथ ही प्लेटफार्म क्रमांक 2 के पिछले भाग की चौड़ाई 3.22 मीटर है एवं उसी के बीच एक ओएचई खंभा है। जिसकी वजह से प्लेट फार्म क्रमांक 3 की ओर कोपिंग से केवल 1.32 मीटर व प्लेट फार्म क्रमांक 2 से कोपिंग से केवल 1.35 मीटर खाली जगह है। जिससेचलते बैटरी कार नहीं चल पा रही है। जिसके चलते बीमार व बुजुर्गों के साथ उसके परिजनेां को भी परेशान होना पड़ रहा है।
इस संबंध में सूत्रों की मानें तो बैटरी कार विगत कई साल से एक नंबर प्लेटफार्म पर खड़ी है, जो देख-रेख के अभाव में जर्जर स्थिति में पहुंचने लगा है। साथ ही बैठरी कार चलाने के लिए चालक भी रखा गया है, जिसको बगैर गाड़ी चले ही मेहनता उपलब्ध कराया जाता है, हालांकि इसका वेतन रेलवे की तरफ से नहीं मिल रहा है, लेकिन देख-रेख रेलवे करना है, इसके बाद भी स्थानीय अधिकारियों के उपेक्षा का खामियाजा दिब्यांगों को भुगतना पड़ रहा है। साथ ही अधिकारियों का कहना है कि जब चालक से संपर्क किया जाता है तो उसका कहना होता है कि यहां बैटरी कार के लिए सवारी नहीं मिलती है, इस कारण वह नहीं आता, लेकिन सवाल यह खड़ा हो रहा है कि जब कार चलती ही नहीं है तो उसको वेतन किस बात का दिया जाता है।
बैटरी कार प्रायवेट संस्था द्वारा लोगों के सेवा के लिए दिया गया है, लेकिन दो नंबर तक जाने की रास्ता नहीं होने के कारण नहीं चल रही है। साथ ही उसका वेतन भी संस्था देती है। ऐसे में रविवार को चालक को बुलाया गया है, जिससे बात कर गाड़ी को चलाया जाएगा।
एसएस महापात्रे, स्टेशन मास्टर, रायगढ़
रेलवे स्टेशन में सालों से धूल फांक रही बैटरी कार
ओएचई खंभा बीच में होने के कारण आ रही समस्या, दिब्यांग व बुर्जुगों को व्हीचेयर का लेना पड़ रहा सहारा
