रायगढ़। रायगढ़ शहर की जिस तरह से लगातार आबादी बढ़ती जा रही है उसी रफ्तार से रसोई में गैस सिलेंडर की मांग भी बड़ी है। इस साल रायगढ़ शहर की वर्तमान अनुमानित जनसंख्या 1,88,000 है। जबकि रायगढ़ शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 2,06,000 अनुमानित बताई जाती है। हालांकि 2011 में रायगढ़ की जनसंख्या 1,37,126 रही और रायगढ़ शहरी क्षेत्र की जनसंख्या 150019 बताई गई थी। यहां आबादी का जिक्र हम इसलिए कर रहे हैं ताकि आप यह समझ सके कि रायगढ़ में रसोई के लिए गैस सिलेंडर की मांग बढऩा स्वाभाविक है। गौर करने वाली बात यह है कि रायगढ़ शहरी क्षेत्र में करीब आठ डिस्ट्रीब्यूटर हैं। जिनके द्वारा अलग-अलग कंपनियों के गैस सिलेंडर के उपभोक्ता बनाए गए हैं। इस साल के आंकड़ों के अनुसार शहरी क्षेत्र में करीब 83 हजार रसोई गैस सिलेंडर के उपभोक्ता हैं। अब सवाल यह उठता है कि शहरी क्षेत्र में जिस तरह से बड़े पैमाने पर घरेलू रसोई गैस सिलेंडर का व्यवसायिक उपयोग धड़ले से हो रहा है, तो उसकी आपूर्ति आखिर कहां से हो रही है? जानकारों की माने तो शहर में बड़े पैमाने पर अवैध तरीके से रसोई गैस सिलेंडर का कारोबार चलाया जा रहा है। बताया जाता है कि शहर के कुछ स्थानों पर तो अवैध रूप से रसोई गैस की सिफिलिंग का धंधा भी जोरों पर है, लेकिन इसे लेकर विभाग की ओर से कोई बड़ी कार्यवाही नहीं होने पर अवैध कारोंबार धड़ल्ले से चल रहा है।
दरअसल रायगढ़ शहर में बड़े पैमाने पर रसोई गैस सिलेंडर का अवैध कारोबार तेजी से फल फूल रहा है बताया जाता है कि रायगढ़ शहरी क्षेत्र में जितने डिस्ट्रीब्यूटर हैं उन्हीं के द्वारा उपभोक्ताओं को रसोई गैस सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है, तो अवैध कारोबार करने वाले लोगों तक रसोई गैस सिलेंडर आखिर कहां से आता है? विभागीय आंकड़ों के मुताबिक प्रियदर्शनी गैस सिलेंडर एजेंसी, खालसा इंडेन, रायगढ़ गैस सर्विस, यशवंत राज गैस एजेंसी, कांड़ातरोई एंडेन, विभूति इण्डेन, किरोड़ीमल नगर इंडेन के उपभोक्ताओं की संख्या करीब 83 हजार है। रायगढ़ शहर की आबादी के हिसाब से इन आंकड़ों पर गौर करें तो यह आसानी से समझा जा सकता है कि रसोई गैस के कनेक्शन कम हैं। ऐसी स्थिति में जिनके पास रसोई गैस के वैध कनेक्शन नहीं है, उन्हें आखिर रसोई गैस सिलेंडर की उपलब्धता किस तरह होती होगी। बताया जाता है कि रायगढ़ शहर के चक्रधर नगर सिंधी कॉलोनी, स्टेशन रोड के आसपास कोतरा रोड क्षेत्र सहित कई ऐसे ठिकाने हैं जहां से अवैध रूप से रसोई गैस सिलेंडर लोगों तक पहुंचाया जाता है। गंभीर बात यह है कि शहर के अलग-अलग ठिकानों पर रसोई गैस की रिफिलिंग का कारोबार भी धड़ल्ले से चल रहा है। रिहायसी वाले क्षेत्रों में चलाए जा रहे इस तरह के अवैध कारोबार के कितने गंभीर परिणाम सामने आ सकते हैं इसका अंदाजा किसी दुर्घटना के होने से ही स्पष्ट हो पाता है। बावजूद इसके इस दिशा में महकमा किसी तरह की बड़ी कार्यवाही करते नहीं दिखता। जिसमें रसोई गैस सिलेंडर के इस अवैध कारोबार की भयावहता से इनकार नहीं किया जा सकता। यह भी बताया जाता है कि फिलहाल रसोई गैस सिलेंडर की कीमत की स्थिति नहीं है। परंतु वैध कनेक्शनधारियों को जिस दर पर डिस्ट्रीब्यूटर सिलेंडर उपलब्ध कराते हैं उससे 500 से अधिक कीमत पर अवैध सिलेंडर का कारोबार चलाने वाले लोग ज्यादा लाभ कमाने के चक्कर में इस घातक कारोबार को धड़ल्ले से चला रहे हैं।
उज्ज्वला योजना के भी कनेक्शन कम
उपलब्ध आंकड़ों के अनुसार रायगढ़ शहरी क्षेत्र में प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना का लाभ ज्यादातर लोग नहीं ले पा रहे हैं। गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वाले परिवारों को उज्ज्वला योजना से जोड़ा जाना है। ताजा आंकड़ों के अनुसार खालसा इण्डेन में उज्जवला योजना के 1841 उपभोक्ता हैं, रायगढ़ गैस सर्विस में 1297, कोड़ातराई इण्डेन में 7079 और किरोड़ीमल नगर इण्डेन में उज्ज्वला योजना के 1024 कनेक्शन दिए गए हैं। ऐसी स्थिति में माना जा रहा है कि रायगढ़ शहरी क्षेत्र में उज्ज्वला योजना से ऐसे अनेक जरूरतमंद परिवार वंचित हैं जिसकी खोज खबर अब तक नहीं की जा सकी है। बताया जाता है रोजी मजदूरी कर जीवन यापन करने वाले ऐसे परिवार अवैध रूप से रसोई गैस सिलेंडर लेने मजबूर होते हैं। खास बात यह है की रसोई गैस कनेक्शन लेने के लिए ऐसे परिवार क्यों जागरूक नहीं हैं। लगता है इस पर विभाग सुध लेना भूल गया है। जिससे रायगढ़ शहरी क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध रूप से रसोई गैस सिलेंडर लेने की डिमांड भी खासा है। जिसका बेजा फायदा अवैध कारोबार करने वाले बेधडक़ उठा रहे हैं।
कहां से मिलता है अवैध सिलेंडर
शहर में व्यावसायिक तौर पर रसोई गैस सिलेंडर का बड़े पैमाने पर उपयोग किया जाता है। बताया जाता है आसानी से उपलब्ध होने वाले रसोई गैस सिलेंडर का उपयोग शहर के ज्यादातर होटलों, रेस्टोरेंट, चाय-नाश्ता की दुकानों के अलावा कैटरिंग के कारोबार में धड़ल्ले से किया जा रहा है। गैस डिस्ट्रीब्यूटर के द्वारा ही होम डिलीवरी के नाम पर उनके तक सीधे पहुंचाने की बात बताई जाती है। खास बात यह है कि उपभोक्ताओं की दर्ज संख्या में के अनुरूप ही डिस्ट्रीब्यूटर को जब कंपनियों की तरफ से सिलेंडर की आपूर्ति की जाती है, तो आखिर अतिरिक्त संख्या में सिलेंडर आखिर कहां से उपलब्ध हो जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर डिस्ट्रीब्यूटर से जुड़े लोगों का कहना है कि कई उपभोक्ता ऐसे हैं जो 5-6 महीने में सिलेंडर लेने आते हैं। कुछ उपभोक्ता ऐसे भी होते हैं जो एक बार नया कनेक्शन के समय ले जाते हैं और दोबारा सिलेंडर लेने नहीं आते हैं। कई बार उपभोक्ता की मृत्यु हो जाने के बाद भी उनका कनेक्शन जीवित रहता है, जो सिलेंडर लेने नहीं आते ऐसे सिलेंडर का उपयोग किया जाता है। गौर करने वाली यह है कि ज्यादातर रसोई गैस सिलेंडर की होम डिलीवरी नहीं होती साथ ही साथ ज्यादातर उपभोक्ता बिना मोबाइल नंबर वाले हैं। रायगढ़ शहरी क्षेत्र में फोन नंबर वाले उपभोक्ताओं की बात करें तो इनकी संख्या बेहद कम है। करीब 23-24 हजार उपभोक्ताओं के फोन नंबर ही दर्ज हैं। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि रसोई गैस सिलेंडर की बुकिंग एजेंसी में पहुंचकर कराई जाती है। ऐसे में जाहिर है की एजेंसी नहीं पहुंचने वाले उपभोक्ता के सिलेंडर की आपूर्ति कहां की जाती है? यह भी जानने वाला कौन हो सकता है? इसे आसानी से समझा जा सकता है। कहने का आशय यह है की रसोई गैस सिलेंडर की उपलब्धता डिस्ट्रीब्यूटर ही करा सकता है, ऐसे में रायगढ़ सारी क्षेत्र में रसोई गैस सिलेंडर की अवैध कारोबार के तार कहां से जुड़े हैं यह भी समझा जा सकता है।