रायगढ़। शहर के रामलीला मैदान में 28 नवंबर से 4 दिसंबर तक श्री राम कथा सप्ताह का आयोजन विश्व कल्याण मिशन ट्रस्ट के तत्वाधान मे किया जा रहा है। इस आयोजन मे प्रख्यात कथावाचक स्वामी चिन्मयानंद बापू अपने मुखारबिंद से श्रीराम कथा का वाचन कर रहे हैं।इसी कड़ी में मंगलवार को स्वामी चिन्मयानंद महाराज पत्रकारों से रूबरू हुए जहां उन्होंने वैचारिक शुद्धता और जीवन जीने के सही तरीके के लिए अयोजित इस रामकथा को महत्त्वपूर्ण बताया।उन्होंने कहा कि आज मानव आधुनिकता की ओर तो बढ़ गया है लेकिन साथ ही उदासीनता की ओर भी अग्रसर होता जा रहा है इस उदासीनता को दूर करने के लिए विचारों में शुद्धता जरूरी है जो सनातन संस्कृति और हमारे शास्त्रों से प्राप्त होती है। शास्त्र ही मानव को नई ऊर्जा प्रदान करते हैं। कथावाचक, कलाकर और साहित्यकर ये हमारे समाज में 3 प्रहरी होते हैं,जो समाज की दिशा तय करते हैं।जब ये तीनों ही अपना कार्य कर्तव्यनिष्ठा से कार्य करते हैं तो समाज बेहतर बनता है।
वहीं धर्म में राजनीति के शामिल होने की बात पर उन्होंने कहा कि राजनीति में धर्म शुरू से ही रहा है इसलिए धर्म में राजनीति होनी चाहिए लेकिन राजनीति का कार्य सनातन धर्म को प्रोत्साहित करने के लिए होना चाहिए।धर्म की सत्ता स्वतंत्र है इसलिए धर्म की सत्ता सभी पर अंकुश रखती र्है, राजनीति में धर्म यदि नहीं होगा तो वह कूटनीति का रूप ले लेती है। इसलिए राजनीति पर धर्म का अंकुश जरूरी है।
स्वामी चिन्मयानंद ने भारतीय संस्कृति को सर्वश्रेष्ठ बताते हुए कहा कि भारत की संस्कृति और समाज पूरी दुनियां में नहीं है,इसलिए हमे हमारी संस्कृति को लेकर चलना चाहिए और अपने धर्म के प्रति सदैव सजग रहना चाहिए। जातिगत जनगणना पर अपने विचार रखते हुए उन्होंने कहा कि यदि यह समाज के उत्थान के लिए किया जाए तो अच्छी बात है।इससे किसी भी रूप में भेदभाव नहीं किया जाना चाहिए।हमारा धर्म भेदभाव नहीं सिखाता।
चमत्कार के पीछे ना भागें
किसी एक को देखकर भ्रमित नहीं होना चाहिए क्यूंकि पूरी प्रकृति ही अपने आप में चमत्कार है इसलिए चमत्कार के पीछे नहीं भागना चाहिए।बगैर तप के किसी को सिद्धि नहीं मिलती है। धर्म अपने आप में पूर्ण है:धर्म को परिभाषित करते हुए स्वामी चिन्मयानंद ने कहा कि धर्म अपने आप में संपूर्ण है और सबसे बड़ा धर्म सत्य है,सत्य से बढक़र कोई धर्म नहीं है।जिस धर्म में सत्य नहीं वह धर्म धर्म नहीं है।
कथाकारों की वजह से ही बचा हुआ है भारत
आगे उन्होंने कहा बढ़ती आधुनिकता और पाश्चात्य शैली का बढ़ता प्रभाव मनुष्य को भटकाने का कार्य करता है। इसके प्रभाव में आकर लोग अपनी दिशा से भटक जाते हैं।विदेशों में हालात तो और भी बुरे हो चुके हैं,ऐसे में कथावाचक ही हैं जिन्होंने भारत को बचाए रखा है क्योंकि कथाकार द्वारा ही धर्म का महत्व समझा जा सकता है और इसी धर्म के अंकुश से ही हम अपनी सनातन संस्कृति को बचाए रखते। अंत में उन्होंने सभी से अधिक से अधिक संख्या में पहुंचकर रामकथा का श्रवण करने की अपील की।
भारत जैसी संस्कृति पूरी दुनिया में नहीं-चिन्मयानंद
